पेट के कैंसर को सामान्य तौर पर अपेक्षाकृत ज्यादा जटिल कैंसर की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में इस प्रकार के कैंसर से पीड़ित लोगों में इसके शुरुआती लक्षण पकड़ में नहीं आ पाते हैं और जब तक लक्षण समझ में आने शुरू होते हैं तब तक यह कैंसर फैलना शुरू हो चुका होता है. लेकिन यदि शुरुआत में ही या फर्स्ट स्टेज में इस कैंसर के बारें में पता चल जाए तो दवाओं, उपचार तथा थेरेपी की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है. दुनिया भर में पेट के कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल नवंबर माह को “स्टमक कैंसर अवेयरनेस मंथ” यानी पेट के कैंसर को लेकर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. Stomach cancer awareness month November .
भले ही चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की की है और कैंसर के अधिकांश प्रकारों का समय पर पता चलने पर इलाज होना आज के दौर में काफी हद तक मुमकिन भी हो गया है. लेकिन फिर भी कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में डर बैठ जाता है. आंकड़ों की माने तो वर्ष 2019 में दुनियाभर में कैंसर से लगभग एक करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी. जोकि वर्ष 2010 की तुलना में 20.9 फीसदी ज्यादा थी. वहीं पेट से जुड़े कैंसर की बात करें तो वर्ष 2019 में इसके कारण लगभग 9,57,000 लोगों की जान गई थी. उक्त वर्ष में इससे जुड़े 12.7 लाख मामले संज्ञान में आए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि दुनिया भर में हर साल औसतन 72300 लोग पेट के कैंसर से जान गंवा देते हैं. वहीं भारत में पेट का कैंसर, कैंसर से होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. पेट का कैंसर भारत में चौथा सबसे आम कैंसर माना जाता है.
इतिहास : पेट कैंसर जागरूकता माह की स्थापना वर्ष 2010 में नो स्टमक फॉर कैंसर (एन.एस.एफ.सी.) संस्था द्वारा पेट के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई थी. एन.एस.एफ.सी. का मानना है कि पेट का कैंसर तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है, और इसे लेकर चर्चा किया जाना जरूरी है. इसलिए एन.एस.एफ.सी. ने अमेरिकी सीनेट के साथ मिलकर “नेशनल स्टमक कैंसर अवेयरनेस मंथ” की स्थापना की थी. जिसके उपरांत वर्ष 2011 तक कई और संगठनों ने इस आयोजन को अपना समर्थन दिया तथा पेट कैंसर जागरूकता माह के दौरान होने वाली गतिविधियों में प्रतिभाग किया. इसके उपरांत वर्ष 2012 में, पहले वार्षिक नो स्टमक फॉर कैंसर वॉक का आयोजन किया गया था, जिसमें अमेरिका के 35 राज्यों के तथा दुनिया भर के 10 देशों के प्रतिभागी शामिल थे. इस अवसर पर इस उद्देश्य के लिए पेरिविंकल नीले रंग के रिबन को सांकेतिक प्रतिनिधित्व के लिए भी नामित किया गया था.
पेट का कैंसर : जानकार बताते हैं कि पेट का कैंसर एक जटिल कैंसर माना जाता है. चूंकि पेट के कैंसर के शुरुआती लक्षण आमतौर पर ज्यादा स्पष्ट रूप में नजर नहीं आते हैं इसलिए इसके लक्षणों को पहचानने में अक्सर देरी हो जाती है. पेट का कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट के किसी भी हिस्से में कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं. इस कैंसर में आमतौर पर, गैस्ट्रोओसोफेगल जंक्शन सबसे अधिक प्रभावित होता है. आमतौर पर आनुवंशिकता को पेट के कैंसर के सबसे आम कारणों में से एक माना जाता है. लेकिन घर में पेट के अल्सर का इतिहास , पेट में लगातार सूजन या गैस्ट्राइटीस्, एच पाइलोरी नामक एक जीवाणु से संक्रमण, परनीसियस एनीमिया, पेट में कुछ प्रकार के पॉलिप्स, मोटापा तथा आहार में असंतुलन या गड़बड़ी तथा कई अन्य कारणों से भी पेट का कैंसर हो सकता है.
प्रकार तथा लक्षण : पेट के कैंसर को सामान्य भाषा में गैस्ट्रिक कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. इसके चार प्रकार माने जाते हैं. इनमें सबसे आम एडेनोकार्सिनोमा हैं. इसके अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर, न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर तथा लिम्फोमा, पेट के कैंसर के अन्य प्रकार हैं. पेट के कैंसर के लक्षणों की बात करें तो ज्यादातर मामलों में तथा प्राथमिक चरण में इसके लक्षण समझ में नहीं आ पाते हैं क्योंकि वे बहुत सामान्य होते हैं और कई तरह की बीमारियों या अवस्थाओं के लक्षण भी माने जाते हैं , जैसे .
- पाचन में समस्या
- पेट में जलन या पेट फूलना
- भूख न लगना
- वजन कम होना
- पेट में दर्द या बेचैनी
- पेट के ऊपरी हिस्से में असहजता या परेशानी
- कम खाने पर भी पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होना
- सामान्य मतली और उल्टी या कभी कभी उल्टी में रक्त आना
- कमजोरी या थकान महसूस करना
- वजन कम होना
- हीमोग्लोबिन में कमी या एनीमिया
- मल में खून आना या काले रंग का मल होना
- भोजन निगलने में कठिनाई
- ज्यादा डकार आना आदि
- पेट कैंसर जागरूकता माह का लक्ष्य
पेट कैंसर जागरूकता माह के दौरान पूरे नवंबर माह में पेट के कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इस बीमारी के बारें में शिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिनमें लोगों को प्रारंभिक अवस्था में ही इसके लक्षणों को समझने तथा आम लक्षणों को भी नजरअंदाज ना करने के लिए प्रेरित किया जाता है. जिससे समय पर कैंसर का पता लगा सकें और उसके निवारण के लिए प्रयास कर सकें. एन.एस.एफ.सी. के अनुसार, यदि प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो पेट के कैंसर को दवाइयों व उपचार की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है. गौरतलब है कि इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ लोगों को पेट के कैंसर के कारणों, जोखिमों, उसके लक्षणों तथा उसके उपचार के बारे में शिक्षित व जागरूक करना ही नहीं है . पेट के कैंसर के शीघ्र व स्थाई निदान और उपचार के लिए अनुसंधान की आवश्यकता को लेकर चर्चा करना तथा उसके लिए प्रयास करना भी इस आयोजन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है.
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