कहा जाता है कि आजकल हर आदमी भागती-दौड़ती जिंदगी जी रहा है. लेकिन भागती-दौड़ती से तात्पर्य यह नहीं है कि हर व्यक्ति सिर्फ भाग रहा है. अनुशासित दिनचर्या का अभाव, कार्य की अधिकता, डेडलाइन का तनाव या आलस, कारण चाहे जो भी हो आजकल लोगों को लगता है कि उनके पास समय की काफी कमी होने लगी है. इसी के कारण जिसे जब समय मिलता है खाता है, जब समय मिलता है और जितना समय मिलता है सोता है और वह जब तक काम कर सकता है, काम करता है. लेकिन इस जीवन शैली में अपने कार्य पूरे करने की जद्दोजहद में व्यक्ति सेहत के लिए जरूरी बातों को अनदेखा करने लगा है.
आहार में पोषण की कमी हो या शरीर के लिए जरूरी सक्रियता की कमी, ऐसे बहुत के छोटे बड़े व्यवहार या आदतें है जो लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं. इस तरह आदतें कई बार कई लोगों के लिए जोड़ों, हड्डियों विशेषकर मांसपेशियों में दर्द व अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं. जानकार मानते हैं कि पिछले कुछ समय में हर उम्र के लोगों में इस तरह की समस्याओं के मामले बढ़ने के लिए आसीन यानी असक्रिय व आलसी जीवनशैली भी काफी हद तक जिम्मेदार है.
क्या है कारण
इंदौर मध्यप्रदेश की केयर सेंटर की फिजियोथेरेपिस्ट डॉ संध्या नवानी बताती हैं कि आजकल हर उम्र के लोगों में मांसपेशियों में खिचाव व अकड़न जैसी समस्याएं आमतौर पर देखने में आती हैं. यह समस्याएं ज्यादातर लोगों को सुबह के समय ज्यादा परेशान करती हैं. ऐसे में जब व्यक्ति सुबह सोकर उठता हैं तो उनके कंधों , कमर, गर्दन या पैरों की मांसपेशियों में काफी अकड़ाहट या दर्द रहती है. यहां तक कि कई बार परेशानी इतनी ज्यादा महसूस हो सकती है कि उन्हे उठने के बाद एकदम बिस्तर से उतरना या कई बार अपने मॉर्निंग रूटीन का पालन करना भी भारी लगता है.
वह बताती हैं कि ऐसा जरूरी नहीं है कि इस तरह की समस्या किसी चोट, रोग या अवस्था से पीड़ित लोगों में ही नजर आती है. आजकल किसी सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्ति में भी यह समस्या नजर आ सकती है. खासतौर पर महानगरों में रहने वाले लोगों में तो यह समस्या बहुत ज्यादा देखने में आती है. डॉ संध्या बताती हैं कि आम लोगों में इस तरह की समस्याओं के बढ़ने के लिए काफी हद तक खराब लाइफस्टाइल को जिम्मेदार माना जा सकता हैं. आज के समय में ज्यादातर लोग काम के चलते या अन्य कारणों से देर से सोते हैं. फिर अपनी जरूरत और सहूलियत के हिसाब से वे देर से या जल्दी उठते भी है. ऐसे में ज्यादातर लोगों में हमेशा समय के अभाव की शिकायत रहती हैं जिसके कारण उनकी सोने व खाने की आदतें भी काफी ज्यादा प्रभावित होती हैं. इससे ना तो उन्हे जरूरी नींद मिल पाती है और ना ही आहार के पूरे फायदे मिल पाते हैं. यही कारण है कि आजकल बहुत से लोगों में कैल्शियम, विटामिन डी व कई अन्य जरूरी पोषक तत्वों की कमी या डेफ़िशिएनसी देखी जाती है.
इसके अलावा कई लोग जब दिनभर नौकरी, पढ़ाई या अन्य कार्यों के चलते ज्यादा देर बैठे या खड़े रहते हैं, मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने के कारण ज्यादा देर तक सिर झुका कर रखते हैं, तसल्ली से बैठकर खाने की बजाय भागते फिरते या मोबाइल देखते हुए खाना खाते हैं तो उनका पॉशचर बिगड़ने लगता है साथ ही लंबी अवधि तक एक ही अवस्था में रहने से उनकी मांसपेशियों में भी अकड़न बढ़ने लगती है. जिसका असर उनके पूरे शरीर की मांसपेशियों पर नजर आता है. खासतौर पर सुबह सोकर उठने के बाद जब शरीर को सोते समय जरूरी मात्रा में आराम नहीं मिल पाता है मांसपेशियों में दर्द, अकड़न या परेशानियां ज्यादा महसूस होती हैं.
जरूरी है लाइफस्टाइल करेक्शन
डॉ संध्या बताती हैं कि आज के दौर में लाइफस्टाइल करेक्शन की जरूरत काफी ज्यादा बढ़ गई है. लाइफस्टाइल करेक्शन यानी स्वस्थ जीवन शैली व आहार शैली, संतुलित व अनुशासित दिनचर्या तथा दिनचर्या में व्यायाम या ऐसी गतिविधियों को सुनिश्चित करना जिनसे शारीरिक सक्रियता बनी रहे. वह बताती है कि आज के दौर की जरूरत को देखते हुए अपनी दिनचर्या को पूरी तरह से बदलना तो लोगों के लिए शायद संभव ना हो लेकिन कुछ आदतों को अपनाकर व व्यायामों के साथ दिन की शुरुआत करके सुबह की शरीर में दर्द व अकड़न की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. इन आदतों में से कुछ इस प्रकार हैं.
- रोज सुबह उठने के बाद एक गिलास पानी जरूर पिएं तथा दिनभर में जरूरी मात्रा में पानी पीते रहें.
- अपनी डाइट को पहले से प्लान करें. ताकी आप सही समय पर जरूरी पोषण से युक्त भोजन ले सकें. फलों, सब्जियों व दालों के साथ ही साथ ही अपने आहार में ड्राई फ्रूट, बीज तथा ऐसे तरल पदार्थ शामिल करें जिनसे शरीर में ऊर्जा बनी रहे.
- यदि सुबह उठते समय मांसपेशियों में असहजता हो तो सीधे कमर के बल उठकर बैठने की बजाय बिस्तर पर ही कुछ क्षण रुके, फिर हाथों-पैरों को थोड़ा स्ट्रेच करें, और फिर करवट लेकर उठें. इससे मांसपेशियों के चोटिल होने या उनमें खिंचाव आने की आशंका कम होती है.
- यदि लगातार लंबी अवधि तक बैठे या खड़े रहना हो तो बीच-बीच में कुछ क्षणों के लिए ही सही ब्रेक लेते रहे.
- काम के दौरान भी यदि शरीर में अकड़न महसूस हो रही हो तो ऐसे स्ट्रेचिंग व्यायाम कर सकते हैं जिन्हे सरलता से ऑफिस में बैठकर या खड़े होकर किया जा सकता है.
- चलते समय , खड़े होने में या बैठते समय पॉशचर का ध्यान रखें.
- मोबाइल या लैपटॉप पर काम करते समय ध्यान रखे कि वे आपकी आंखों के समतल हो , यानी आपको देर तक कंधों, गर्दन या नजर झुका कर काम ना करना पड़े.
- प्रतिदिन कम से कम 20 से 30 मिनट व्यायाम या स्ट्रेचिंग जरूरी करें.
- ज्यादा व्यस्त दिनचर्या हो तो व्यायाम करना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि यह मांसपेशियों को सक्रिय व लचीला बनाने के साथ शरीर को ऊर्जा भी देते हैं.
- व्यायाम चाहे किसी भी प्रकार का किया जा रहा हो जरूरी है कि प्रशिक्षक के निर्देशन में या उनसे अच्छे से सीखने के बाद ही करना चाहिए.
- यदि किसी व्यक्ति को हड्डियों व मांसपेशियों से जुड़ी कोई समस्या, किसी भी प्रकार का रोग या कोई चिकित्सिय अवस्था हों तो किसी भी प्रकार का व्यायाम करने से पहले उसके अपने प्रशिक्षक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए.
- यदि रात में नींद पूरी ना हो रही हो तो जैसे ही संभव हो कुछ मिनटों के लिए भी सही ब्रेक टाइम में एक छोटी नैप ली जा सकती है.
डॉ संध्या बताती हैं कि यदि सुबह उठने के बाद या दिन भर सामान्य अवस्था में भी मांसपेशियों, जोडों या हड्डियों में दर्द, खिचावट, अकड़न या परेशानी ज्यादा महसूस हो रही हो तो उसे नजरअंदाज करने की बजाय चिकित्सक से परामर्श लें.
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