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प्लाज्मा थेरेपी अब बेअसर, कोरोना उपचार प्रोटोकॉल से हटाने की योजना - मरीजों को फायदा पहुंचाने में नाकामयाब थेरेपी

कोरोनावायरस के उपचार के लिए दिये जा रहे प्लाज्मा थेरेपी को प्रोटोकॉल से हटाने पर विचार किया जा रहा है. एक अध्ययन के अनुसार प्लाज्मा थेरेपी से मृत्युदर में कोई कमी नहीं आ रही है.

ICMR Director General Balram Bhargava
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव
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Published : Oct 21, 2020, 12:29 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 12:11 PM IST

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है, जिसे कोविड-19 से पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक के रूप में माना जा रहा है. आईसीएमआर के महानिदेशक (डीजी) बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नैदानिक प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, 'हमने कोविड-19 प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय कार्यबल के साथ चर्चा की है. हम संयुक्त निगरानी समिति के साथ आगे चर्चा कर रहे हैं और राष्ट्रीय दिशानिर्देशों से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने पर विचार कर रहे हैं.'

भार्गव ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, 'हम कमोबेश किसी निर्णय की ओर पहुंच रहे हैं (राष्ट्रीय नैदानिक प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के लिए).'

यह बयान दीक्षांत प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता पर किए गए कई अध्ययनों के मद्देनजर आया है, जिसमें कहा गया है कि इसने गंभीर बीमारी की स्थिति में मृत्युदर को कम नहीं किया है.

सितंबर में सामने आए आईसीएमआर के अध्ययन से पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के गंभीर मरीजों को की जान बचाने में विफल रही है.

भारत ने प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता का अध्ययन करने के लिए प्लेसिड परीक्षण नाम से दुनिया का सबसे बड़ा यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण किया था. देशभर के 39 केंद्रों पर 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 464 रोगियों पर परीक्षण किया गया. अध्ययन सितंबर में एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था.

परीक्षण के परिणाम से पता चला कि प्लाज्मा थेरेपी मरीजों को फायदा पहुंचाने में नाकामयाब रही है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है, जिसे कोविड-19 से पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक के रूप में माना जा रहा है. आईसीएमआर के महानिदेशक (डीजी) बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नैदानिक प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, 'हमने कोविड-19 प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय कार्यबल के साथ चर्चा की है. हम संयुक्त निगरानी समिति के साथ आगे चर्चा कर रहे हैं और राष्ट्रीय दिशानिर्देशों से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने पर विचार कर रहे हैं.'

भार्गव ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, 'हम कमोबेश किसी निर्णय की ओर पहुंच रहे हैं (राष्ट्रीय नैदानिक प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के लिए).'

यह बयान दीक्षांत प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता पर किए गए कई अध्ययनों के मद्देनजर आया है, जिसमें कहा गया है कि इसने गंभीर बीमारी की स्थिति में मृत्युदर को कम नहीं किया है.

सितंबर में सामने आए आईसीएमआर के अध्ययन से पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के गंभीर मरीजों को की जान बचाने में विफल रही है.

भारत ने प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता का अध्ययन करने के लिए प्लेसिड परीक्षण नाम से दुनिया का सबसे बड़ा यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण किया था. देशभर के 39 केंद्रों पर 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 464 रोगियों पर परीक्षण किया गया. अध्ययन सितंबर में एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था.

परीक्षण के परिणाम से पता चला कि प्लाज्मा थेरेपी मरीजों को फायदा पहुंचाने में नाकामयाब रही है.

Last Updated : Oct 22, 2020, 12:11 PM IST
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