ब्राजील के महान फुटबॉल खिलाड़ी पेले के स्वास्थ्य के स्वास्थ्य को लेकर आजकल दुनिया भर में ना सिर्फ फुटबाल प्रेमियों बल्कि आमजन में भी (Brazilian football legend Pele) काफी ज़्यादा चिंता देखने में आ रही है. दरअसल पेले कोलन कैंसर से जंग लड़ रहे हैं, लेकिन हाल ही में दिग्गज फुटबॉलर पेले के प्रशंसकों की चिंता तब ज्यादा बढ़ गई थी जब उनमें कोविड 19 के होने की पुष्टि हुई थी. यूं तो कैंसर चाहे कोई भी हो, जटिल बीमारी की श्रेणी में तो आता ही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में चिकित्सा जगत में हुई तरक्की का नतीजा है आजकल अधिकांश कैंसर के प्रकारों के बारे में समय पर पता चल जाने और उनका सही इलाज होने से उनका पूरी तरह से इलाज संभव है. कोलन कैंसर भी ऐसा ही एक कैंसर है. Colon cancer prevention . Colon cancer symptoms Pelé suffering colon .
गौरतलब है कि Colon cancer यानी बड़ी आंत के कैंसर के मामले ना सिर्फ देश में बल्कि पूरी पूरी दुनिया में पिछले कुछ सालों में काफी ज्यादा बढ़े हैं. यहाँ तक की भारत में इसे चौथे सबसे ज्यादा प्रचलित कैंसर के रूप में जाना जाता है. ऐसा क्यों हैं तथा कैंसर के इस प्रकार के बारें में ज्यादा जानने का लिए ETV भारत सुखी भव ने वरिष्ठ सर्जिकल ऑंकोलॉजिस्ट, कैंसर सर्जन और इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ दिगपाल धारकर से बात की.
क्या है कोलन कैंसर और उसके कारण व लक्षण
डॉ दिगपाल धारकर बताते हैं कि कोलन कैंसर को हिन्दी भाषा में बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है. वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामलों में यह बुजुर्गों को ही ज्यादा प्रभावित करती है. यह आमतौर पर बड़ी आंत की दीवार की सबसे भीतरी परत में होता है.
कारण
डॉ धारकर बताते हैं कि कोलन कैंसर के लिए खराब या आसीन जीवनशैली विशेषकर खराब आहार शैली को सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है. इसके अलावा भी इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे ...
- रेड मीट या अन्य ऐसे आहार जिनमे कार्सिनोजेनिक इफेक्ट यानी कैंसर को बढ़ाने वाले तत्व पाए जाते हैं वह कोलन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. वह बताते हैं कि सामान्य तौर पर भोजन खाने के बाद 90 मिनट में वह स्टमक से निकल जाता है और ढाई घंटे में वह कोलन से निकल कर रेक्टम में पहुंच जाता है, लेकिन अगर हमारी जीवनशैली असक्रिय या कम सक्रिय है तो हमारी बड़ी आंत में मल के बनने की क्रिया की गति धीमी पड़ जाती है. ऐसे में यदि हमारे आहार में कार्सिनोजेन तत्व मौजूद हों तो कोलन की अंदरूनी लाइनिंग और मयुकोजा के ऊपर की लाइनिंग पर वह ज्यादा देर तक रहते हैं. ऐसे में कोलन पर उनका प्रभाव पड़ सकता हैं.
- इसके अलावा हमारी जीवनशैली सिडेंटरी यानि आसीन व असक्रिय होती जा रही है इससे सिर्फ कोलन कैंसर ही नहीं बल्कि कई अन्य प्रकार के कैंसर के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
- वहीं आजकल लोगों के भोजन में फास्ट फूड, जंक फूड और सेचूरेटेड आहार की मात्रा काफी बढ़ रही है , जो सिर्फ कोलन कैंसर ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर का करण भी बन सकती है.
- कोलन कैंसर के लिए कई बार जेनेटिक या आनुवंशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. दरअसल कोलन कैंसर में हमारे कोलन में छोटे छोटे नोड्यूल के रूप में मौजूद पॉलिप में कैंसर की कोशिकाएं पनपने लगती हैं. जिन्हें फैमिलियर पॉलिपोसिस भी कहा जाता है. आनुवंशिक कारणों से यह पॉलिप लोगों में कई बार प्री-कैंसरस् भी हो सकते हैं.
- बढ़ती उम्र या ज्यादा उम्र भी एक कारण हो सकती है.
कोलन कैंसर लक्षण (Colon cancer symptoms)
- डॉ धारकर बताते हैं कि मल त्याग के रूटीन या बाउल मूवमेंट में लगातार परेशानी या बदलाव जैसे लगातार दो से तीन महीने तक मल त्याग करने के रूटीन, समय या बाउल मूवमेंट में परिवर्तन, मल त्याग करने में ज्यादा समय लगना, मल त्याग करते समय परेशानी महसूस होना या ऐसा महसूस होना की पेट साफ नहीं हुआ है, को कोलन कैंसर के खास लक्षणों में से एक माना जा सकता है.
- इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो इस रोग का संकेत दे सकते हैं. जिनमें से कुछ प्रकार हैं.
- मल में रक्त आना या मल में रक्त के छोटे या बड़े थक्के आना
- लगातार दस्त या कब्ज जैसी समस्या होना.
- कमज़ोरी या थकान महसूस करना और भूख न लगना
- वजन कम होना
- पेट में दर्द या बेचैनी
कैसे बचें
- डॉ धारकर बताते हैं कि किसी भी प्रकार के कैंसर विशेषकर कोलन कैंसर से बचना है तो आहार और जीवनशैली को दुरुस्त रखें. वह बताते हैं कि भारतीय थाली में हरी सब्जियां, दालें, अनाज और सलाद सभी मौजूद होता है. जिसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यदि हम इसी प्रकार की आहार शैली का पालन करें साथ ही रेड मीट या ऐसे किसी भी आहार में जिसमें कार्सिनोजेनिक प्रवृत्ति पाई जाती है, के सेवन से बचे तो पेट में होने वाली परेशानियों से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ ही कैंसर का जोखिम भी कम होगा.
- इसके अलावा धूम्रपान व नशे से परहेज करने, दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करने, या ऐसी दिनचर्या का पालन करने जिसमें शारीरिक सक्रियता ज्यादा हो, सेहत को लेकर सचेत रहने और नियमित जांच करवाने से भी कोलन कैंसर के होने की आशंका को कम किया जा सकता है.