अवसाद को आज के दौर में चिकित्सक साइलेंट किलर (Silent killer depression) मानते हैं. पारिवारिक मसले, व्यावसायिक समस्याएं, बीमारी, युद्ध, महामारी, रोग तथा मनोविकार सहित ऐसे कई कारण हैं जो व्यक्ति में अवसाद का कारण बन सकते हैं. लेकिन इस समस्या को पहचानना तथा समय से उसके इलाज के लिए प्रयास करना आज के प्रगतिवादी समय तथा उन्नत चिकित्सा के दौर में भी एक आम व्यक्ति के लिए कठिन टास्क है. आज के दौरान में अवसाद एक वैश्विक समस्या बन गई है जिससे जुड़े कारणों के चलते हर साल दुनिया भर बड़ी संख्या में लोग या तो अपनी जान गंवा देते हैं या फिर एक दुखी,परेशान जीवन जीने के लिए मजबूर रहते हैं.
दुनिया भर में अवसाद को एक बीमारी के रूप में स्थापित करने तथा उसके निवारण तथा उसके पीड़ितों के उत्थान व पुनर्वास के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य व सामाजिक संगठनों द्वारा कई आयोजन किए जाते हैं. इसी श्रृंखला में हर साल नवंबर माह में 7-11 नवंबर तक International Stress Awareness Week का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष यह साप्ताहिक आयोजन Working together to build resilience and reduce stress theme पर आयोजित किया जा रहा है.
क्या है अवसाद (What is depression)
मनोवैज्ञानिक व काउंसलर डॉ रेणुका जोशी(Phd) (Psychologist and counselor Dr Renuka Joshi) बताती हैं कि अवसाद दरअसल एक मानसिक समस्या है. आमतौर पर हर व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी अवसाद का सामना करना पड़ता ही है. क्योंकि यह दुख, चिंता, परेशानी, घबराहट जैसी किसी भी मानसिक स्थिति के कारण हो सकता है. लेकिन जब अवसाद आपके विचारों को नकारात्मकता से भरने लगे, आपके सोचने और कार्य करने के तरीकों को तथा आपके सामान्य जीवन को प्रभावित करने लगे तो यह गंभीर रोग की श्रेणी में आ जाता है. इसका निवारण बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. Counselor Dr Renuka Joshi बताती हैं कि हर व्यक्ति में अवसाद के लक्षण अलग अलग स्तर यानी कम या ज्यादा गंभीर रूप में नजर आ सकते हैं. लेकिन सामान्य तौर पर जिन लक्षणों को सबसे आम लक्षणों में से गिना जाता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- ज्यादा उदास या नकारात्मक महसूस करना.
- खुशी के माहौल में भी खुशी महसूस ना करना.
- ज्यादातर सिर्फ उन बातों के बारें में सोचना जो आपके जीवन में दुख का कारण है.
- हर गलत काम के लिए खुद को दोषी मानना.
- भूख ना लगना तथा वजन कम होना.
- नींद न आना या बहुत अधिक नींद आना.
- ऊर्जा में कमी.
- जल्दी थकान महसूस करना.
- निर्णय लेने तथा एकाग्र होने में कठिनाई.
- मौत या आत्महत्या के विचार, आदि.
क्यों हैं अवसाद खतरनाक (Depression dangerous)
गौरतलब है निजी कारणों के अलावा भी पिछले कुछ सालों में महामारी, युद्ध, उसके चलते भविष्य को लेकर आशंका, आर्थिक स्तिथि से जुड़े भय, मृत्यु का भय तथा बीमारी के प्रभाव सहित कई कारणों के चलते अवसाद के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है. Dr Renuka Joshi Psychologist बताती हैं कि अवसाद एक ऐसी अवस्था है जिसका निवारण बहुत जरूरी है अन्यथा यह व्यक्ति के जीवन स्तर, पारिवारिक, व्यवसायिक तथा सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है. यहां तक हर साल बड़ी संख्या में लोग इस समस्या के चलते आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं. सिर्फ भारत की बात करें तो NCRB के अनुसार 2021 में 13,792 लोगों ने मानसिक बीमारियों से जूझते हुए आत्महत्या की थी तथा यह देश में आत्महत्या की तीसरी सबसे बड़ी ज्ञात वजह माना जाता है. चिंता की बात यह है की इन मामलों में 6134 मामले 18 से 45 साल के युवाओं के थे.
भारत में अवसाद से जुड़े आँकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का आंकलन है कि भारत में खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण हर 1 लाख नागरिकों में से 21.1% आत्महत्या कर रहा हैं. यहां औसतन 10 हजार लोगों के कुल जीवन में से 2,443 वर्ष उन्हे किसी ना किसी मानसिक समस्या या एक से ज्यादा समस्याओं के साथ बिताने पड़ते हैं. वहीं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट में माना गया है कि लगभग 14% भारतीयों इस तरह की समस्या के चलते चिकित्सकीय हस्तक्षेप या मदद की जरूरत है.
अंतरराष्ट्रीय तनाव जागरूकता सप्ताह (International stress awareness week)
वर्ष 2021 के वैश्विक गैलप सर्वेक्षण (Global Gallup survey) में, दुनिया भर में हर 10 में से चार वयस्कों ने माना था कि उन्हें नियमित रूप से बहुत अधिक चिंता या तनाव का अनुभव होता है. अवसाद जैसी मानसिक समस्या से पीड़ित लोगों की मदद के उद्देश्य से वर्ष 2018 में International Stress Awareness Week की शुरुआत की गई थी. यह पहल तनाव की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इंटरनेशनल स्ट्रेस मैनेजमेंट एसोसिएशन (International Stress Management Association) द्वारा की गई थी. इस सप्ताह के दौरान बुधवार के दिन तनाव जागरूकता दिवस का भी आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर ऑनलाइन ग्लोबल स्ट्रेस एंड वेलबीइंग समिट (Online Global Stress and Wellbeing Summit) का भी आयोजन किया जाएगा.
अंतर्राष्ट्रीय तनाव जागरूकता सप्ताह तथा उसकी थीम (International Stress Awareness Week Objectives) का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय तनाव जागरूकता सप्ताह का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर तनाव को लेकर सकारात्मक बदलाव को प्रोत्साहित करना है. इस आयोजन का एक मुख्य उद्देश्य विशेषकर कार्यस्थल में तनाव के मामलों को कम करने को लेकर नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करना भी है . World Health Organization के अनुसार तनाव, अवसाद और चिंता के कारण हर साल लगभग 12 बिलियन कार्यदिवस खराब हो जाते हैं यानी पीड़ित या तो इस दौरान छुट्टी पर होता है या कोई कार्य नहीं कर पाता है.जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष लगभग 1 Trillion dollars का नुकसान होता है.
Working Together to Build Resilience and Reduce theme objectives
अंतरराष्ट्रीय तनाव जागरूकता सप्ताह के लिए इस वर्ष इस वर्ष 'वर्किंग टुगेदर टू बिल्ड रेजिलिएशन एंड रिड्यूस स्ट्रेस' थीम (Working Together to Build Resilience and Reduce theme objectives) निर्धारित की गई है. जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर माहौल व नीतियों में लचीलापन बनाने और तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करना है. इसके अलावा इस वर्ष की थीम के पीछे एक उद्देश्य यह भी है कि मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने वाले लोगों की मदद कैसे की जा सकती है? नियोक्ता तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं? तनाव प्रबंधन पेशेवर तनाव को कम करने में कैसे मदद कर सकते हैं? हाइब्रिड वर्किंग (Hybrid working) जैसे कार्यस्थल पर नीतियों में परिवर्तन कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है? तथा तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित लोग कैसे सलाह और सहायता प्राप्त कर सकते हैं ? जैसे मुद्दों पर चर्चा तथा प्रयासों के लिए एक मंच प्रदान किया जा सके.