मां का दूध एक संपूर्ण आहार हैं. ये नवजात के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है. ये कहना गलत नहीं होगा की ये बच्चे के लिए जीवनदायी होता है. लेकिन हर साल कई बच्चे ऐसी बीमारियों या परिस्थितियों में जीवन का साथ छोड़ देते हैं, जिन्हें मां का दूध देकर बचाया जा सकता था. आंकड़ों की माने तो दुनिया भर में नवजात मृत्यु दर एक हजार पर 32 हैं. लेकिन भारत में यह आंकड़ा एक हजार पर 38 हैं. नवजात बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने तथा उसके स्वास्थ्य में सुधार की कामना को लेकर दुनिया भर में कई मिल्क बैंक संचालित किए जा रहें है. जो मां के दूध को संग्रहित करते हैं और समय पर जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचाते हैं.
स्तनपान सप्ताह के अवसर पर ETV भारत सुखीभवा की टीम से बात करते हुए गायनाकोलॉजिस्ट तथा ऑबस्टेट्रिशियन डॉ. राजश्री कटके (एम.डी. ओबीजीवाय, पूर्व सुपरिटेन्डेन्ट सीएएमए तथा अलब्लेस अस्पताल मुंबई) ने ह्यूमन मिल्क बैंक या मदर मिल्क बैंक के बारे में जानकारी दी है.
क्या है मदर मिल्क बैंक?
डॉ. कटके बताती हैं कि नवजात बच्चों के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ नहीं है. मां का दूध बच्चे के लिए अमृत कहलाता है . लेकिन कई बार परिस्थिति ऐसी होती है कि बच्चे के जन्म के उपरान्त मां का दूध नहीं मिल पाता है. ऐसे बच्चे जिनकी मां के शरीर में दूध का उत्पादन कम हो या न हो या ऐसे बच्चे जिनकी माता की मृत्यु बच्चे को जन्म देते समय या उसके तुरंत बाद हो गई हो या फिर बच्चा प्रीमैच्योर यानि समय से पहले पैदा हुआ हो तथा इंटेन्सिव केयर यूनिट में भर्ती हो या फिर आईवीएफ तकनीक से पैदा हुआ हो. इन तमाम शारीरिक परेशानियों के साथ स्थिति उस समय जानलेवा साबित हो जाती है, जब मां के दूध की उपलब्धता भी न हो. ऐसी विभिन्न परिस्थितियों में जब नवजात को मां के दूध की काफी जरूरत हो लेकिन साधन न हो तो मिल्क बैंक उनके लिए एक वरदान है. ऐसे बच्चों के लिए मदर मिल्क बैंक से दूध लिया जा सकता है. दूध बैंक से लिए जाने वाले की दूध की कीमत वैसे तो अस्पताल पर निर्भर करती है, लेकिन आम तौर पर यह 2 से 3 रुपये में मिल जाता है.
मिल्क बैंक में कैसे सुरक्षित रखा जाता है मां का दूध
डॉ. कटके बताती हैं कि मदर मिल्क बैंक में आम तौर पर इलेक्ट्रिक बेस्ड पंप मशीन होती है. जिसके माध्यम से दानकर्ता दूध दान करती है. इसके बाद दूध का माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट किया जाता है. रिपोर्ट में दूध की गुणवत्ता सही आने पर उसे माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेट के तापमान पर कांच की बोतलों में सुरक्षित रख दिया जाता है. इस तरह से प्रोसेस किया गया दूध 6 महीने तक खरीब नहीं होता है. और जरूरत पड़ने पर नवजातों को दिया जाता है. इस दूध को पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि न सिर्फ दूध का संरक्षण बहुत सावधानी से किया जाता है, बल्कि दूध दान करने वाली दानकर्ता के स्वास्थ्य की भी दूध दान करने से पहले पूरी तरह से जांच की जाती है की कहीं महिला एचआईवी, हेपेटाइटिस से संक्रमित या पीड़ित तो नहीं है. उनका हिमोग्लोबिन स्तर सही है या नहीं.
डॉ. कटके बताती हैं कि वर्तमान में भारत में मुख्य तौर पर दस मदर मिल्क बैंक वृहद स्तर पर संचालित किए जा रहें है. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कुछ क्षेत्रों में शीघ्र दूध बैंक शुरू करने की योजना प्रस्तावित है, जिनमें से कई पर कार्य शुरू हो चुका है. लेकिन लोगों में अभी भी मदर मिल्क बैंक को लेकर जागरूकता में कमी है. इस योजना का लाभ दूर दराज के सभी क्षेत्रों में लोग उठा सके, इसके लिए जरूरी है कि मदर बैंक को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़े और दूध दानकर्ता आगे आकर ये नेक कार्य करें.