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त्वचा को रखना है सुरक्षित, तो चुनें सही सनस्क्रीन - skin care routine

त्वचा को सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाने के लिए हमेशा सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन बाजार में इतने प्रकार के सनस्क्रीन मिलते हैं कि लोग भ्रमित हो जाते हैं कि उनके लिए किस प्रकार का सनस्क्रीन सही रहेगा. इसके अलावा सनस्क्रीन में एसपीएफ की मात्रा कितनी होनी चाहिए तथा किस तरह की त्वचा के लिए किस तरह के सनस्क्रीन का चयन किया जाय, इस बारें में भी आमतौर पर लोगों को ज्यादा जानकारी नही होती है.

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त्वचा को रखना है सुरक्षित, तो चुनें सही सनस्क्रीन
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Published : May 24, 2022, 4:14 PM IST

आमतौर पर लोगों को लगता है कि सिर्फ गर्मी के मौसम में ही सनस्क्रीन की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस समय सूर्य की किरणों में हानिकारक प्रभाव ज्यादा होता है. लेकिन यह सही नही है लगभग हर मौसम में सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि गर्मियों में त्वचा पर सूर्य की किरणों का असर ज्यादा जल्दी नजर आने लगता है. ऐसे में सनस्क्रीन त्वचा को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है सनस्क्रीन
त्वचा में समस्याओं को लेकर किए गए कई शोध में यह बात सामने आई है कि आमतौर पर झुर्रियों, त्वचा के शुष्क होने, उनकी रंगत बदलने और झाइयों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें होती है. जिनसे बचने में सनस्क्रीन का इस्तेमाल काफी लाभकारी हो सकता है. इसलिए जानकार लोगों को नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं.

अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी द्वारा जारी कुछ सूचनाओं में भी इस बात का उल्लेख किया जाता रहा है कि घर से बाहर निकलते समय कम से कम 15 एसपीएफ की मात्रा वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी तथा प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगे तो एसपीएफ 15 से लेकर एसपीएफ 50 तक के सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है. आमतौर पर बाजार में 5 से लेकर 100 एसपीएफ तक के सनस्क्रीन मिलते हैं. जो त्वचा को अलग अलग स्तर की सुरक्षा देते हैं. लेकिन किस प्रकार की त्वचा वाले तथा किस तरह के वातावरण में रहने वाले लोगों के लिए किस प्रकार का सनस्क्रीन ज्यादा फायदेमंद होता है इस बारें में ज्यादा लोगों को जानकारी नही होती है.

कैसे चुनें सही एसपीएफ
इंदौर की सौंदर्य विशेषज्ञ मालती रानाडे बताती हैं कि सनस्क्रीन का चयन विशेष तौर पर उसमें एसपीएफ की मात्रा का चयन करते समय इस बात को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि आप अपने दिन का कितना समय धूप तथा खुले वातावरण में बिताते हैं. इसके अलावा वातावरण में प्रदूषण की मात्रा तथा मौसम सामान्य है, खुश्क है या नमी वाला , इस बातों को ध्यान में रखना भी बेहतर होता है.

सही एसपीएफ के चयन के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. जो इस प्रकार हैं.

  • एसपीएफ 15: ऐसे लोग जो धूप में कम निकलते हैं या बाहरी वातावरण के सीधे संपर्क में अपेक्षाकृत कम आते हैं, उनके लिए एसपीएफ 15 का इस्तेमाल आदर्श रहता है. वह बताती हैं कि किसी भी मौसम या वातावरण में तथा किसी भी प्रकार की त्वचा वाले लोगों को कम से कम एसपीएफ 15 युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना ही चाहिए. यह त्वचा की 93% तक यूवीबी किरणों से सुरक्षा करता है.
  • एसपीएफ 20-30 : ऐसे लोग जो ज्यादा समय धूप या बाहरी वातावरण में बिताते हैं, उनके लिए एसपीएफ 20 से एसपीएफ 30 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल बेहतर होता है. एसपीएफ 30 युक्त सनस्क्रीन सूर्य की यूवीबी किरणों से त्वचा की 97% तक सुरक्षा करता है. तथा इनका इस्तेमाल हर प्रकार की स्किन टाइप वाले लोग कर सकते हैं. लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इन मात्रा वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल हर 4 से 5 घंटे के बाद दोबारा करना चाहिए.
  • एसपीएफ 40-50 : ऐसे स्थान जहां पर सूरज की किरणों में अल्ट्रावायलेट प्रभाव ज्यादा होता है या किसी कारण से त्वचा को ज्यादा प्रभावित कर सकता है, साथ ही जहां वातावरण में प्रदूषण की मात्रा भी ज्यादा हो उन स्थानों पर एसपीएफ 40 या एसपीएफ 50 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. उदारहण के लिए धूप में स्विमिंग करते समय, धूप व प्रदूषण में फील्ड जॉब करने वाले लोगों को समुद्र के पास या हिल स्टेशन रहने वाले लोगों को इन मात्राओं वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. गौरतलब हैं कि एसपीएफ 50 युक्त सनस्क्रीन त्वचा की 98% तक यूवीबी किरणों से सुरक्षा करता है.

मालती बताती हैं कि यूं तो बाजार में 100 एसपीएफ तक के सनस्क्रीन भी मिलते हैं लेकिन सामान्य परिसतिथ्यों में लोगों के लिए 50 एसपीएफ तक वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है. वैसे तो माना जाता है कि 100 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन 99% तक सुरक्षा देता है लेकिन त्वचा पर पड़ने वाले प्रभावों के मद्देनजर लोगों को जब तक बहुत जरूरी ना हो 50 एसपीएफ से ज्यादा वाले सनस्क्रीन के इस्तेमाल नही करना चाहिए.

पढ़ें: गर्मी में घरेलू नुस्खों से बढ़ाएं भूख

त्वचा की प्रकृति के आधार पर करें सनस्क्रीन का चयन
मालती बताती हैं कि एसपीएफ के अलावा सनस्क्रीन का चयन करने से पहले इस्तेमाल करने वाले की त्वचा के प्रकार का ध्यान रखना भी जरूरी होता है. जैसे सामान्य त्वचा वाले लोगों के लिए क्रीम बेस सनस्क्रीन बेहतर होता है. वहीं खुश्क व रूखी त्वचा वाले लोगों को मोश्चराईज़र युक्त तथा तैलीय त्वचा वाले लोगों को ऑइल फ्री क्रीम, जेल या लोशन (सनस्क्रीन) का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा तैलीय त्वचा वाले लोगों के लिए एक्वा बेस एसपीएस फॉर्मूलेशन वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल भी फायदेमंद बेहतर होता है.

वहीं ऐसे लोग जिनकी त्वचा पर कील मुंहासे ज्यादा हों उन्हे 50 एसपीएफ वाले ऑयल फ्री सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को हाइपरएलर्जेनिक द्रव्य से युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.

मालती बताती हैं कि कई बार ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में सनस्क्रीन एलर्जीक प्रतिक्रिया भी दे सकता है. ऐसे में किसी डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेने के बाद ही उनके द्वारा बताए गए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा यदि एलर्जी नहीं भी है तो भी ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को प्राकृतिक रूप से बनाए गए या हर्बल सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

आमतौर पर लोगों को लगता है कि सिर्फ गर्मी के मौसम में ही सनस्क्रीन की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस समय सूर्य की किरणों में हानिकारक प्रभाव ज्यादा होता है. लेकिन यह सही नही है लगभग हर मौसम में सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि गर्मियों में त्वचा पर सूर्य की किरणों का असर ज्यादा जल्दी नजर आने लगता है. ऐसे में सनस्क्रीन त्वचा को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है सनस्क्रीन
त्वचा में समस्याओं को लेकर किए गए कई शोध में यह बात सामने आई है कि आमतौर पर झुर्रियों, त्वचा के शुष्क होने, उनकी रंगत बदलने और झाइयों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें होती है. जिनसे बचने में सनस्क्रीन का इस्तेमाल काफी लाभकारी हो सकता है. इसलिए जानकार लोगों को नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं.

अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी द्वारा जारी कुछ सूचनाओं में भी इस बात का उल्लेख किया जाता रहा है कि घर से बाहर निकलते समय कम से कम 15 एसपीएफ की मात्रा वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी तथा प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगे तो एसपीएफ 15 से लेकर एसपीएफ 50 तक के सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है. आमतौर पर बाजार में 5 से लेकर 100 एसपीएफ तक के सनस्क्रीन मिलते हैं. जो त्वचा को अलग अलग स्तर की सुरक्षा देते हैं. लेकिन किस प्रकार की त्वचा वाले तथा किस तरह के वातावरण में रहने वाले लोगों के लिए किस प्रकार का सनस्क्रीन ज्यादा फायदेमंद होता है इस बारें में ज्यादा लोगों को जानकारी नही होती है.

कैसे चुनें सही एसपीएफ
इंदौर की सौंदर्य विशेषज्ञ मालती रानाडे बताती हैं कि सनस्क्रीन का चयन विशेष तौर पर उसमें एसपीएफ की मात्रा का चयन करते समय इस बात को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि आप अपने दिन का कितना समय धूप तथा खुले वातावरण में बिताते हैं. इसके अलावा वातावरण में प्रदूषण की मात्रा तथा मौसम सामान्य है, खुश्क है या नमी वाला , इस बातों को ध्यान में रखना भी बेहतर होता है.

सही एसपीएफ के चयन के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. जो इस प्रकार हैं.

  • एसपीएफ 15: ऐसे लोग जो धूप में कम निकलते हैं या बाहरी वातावरण के सीधे संपर्क में अपेक्षाकृत कम आते हैं, उनके लिए एसपीएफ 15 का इस्तेमाल आदर्श रहता है. वह बताती हैं कि किसी भी मौसम या वातावरण में तथा किसी भी प्रकार की त्वचा वाले लोगों को कम से कम एसपीएफ 15 युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना ही चाहिए. यह त्वचा की 93% तक यूवीबी किरणों से सुरक्षा करता है.
  • एसपीएफ 20-30 : ऐसे लोग जो ज्यादा समय धूप या बाहरी वातावरण में बिताते हैं, उनके लिए एसपीएफ 20 से एसपीएफ 30 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल बेहतर होता है. एसपीएफ 30 युक्त सनस्क्रीन सूर्य की यूवीबी किरणों से त्वचा की 97% तक सुरक्षा करता है. तथा इनका इस्तेमाल हर प्रकार की स्किन टाइप वाले लोग कर सकते हैं. लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इन मात्रा वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल हर 4 से 5 घंटे के बाद दोबारा करना चाहिए.
  • एसपीएफ 40-50 : ऐसे स्थान जहां पर सूरज की किरणों में अल्ट्रावायलेट प्रभाव ज्यादा होता है या किसी कारण से त्वचा को ज्यादा प्रभावित कर सकता है, साथ ही जहां वातावरण में प्रदूषण की मात्रा भी ज्यादा हो उन स्थानों पर एसपीएफ 40 या एसपीएफ 50 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. उदारहण के लिए धूप में स्विमिंग करते समय, धूप व प्रदूषण में फील्ड जॉब करने वाले लोगों को समुद्र के पास या हिल स्टेशन रहने वाले लोगों को इन मात्राओं वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. गौरतलब हैं कि एसपीएफ 50 युक्त सनस्क्रीन त्वचा की 98% तक यूवीबी किरणों से सुरक्षा करता है.

मालती बताती हैं कि यूं तो बाजार में 100 एसपीएफ तक के सनस्क्रीन भी मिलते हैं लेकिन सामान्य परिसतिथ्यों में लोगों के लिए 50 एसपीएफ तक वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है. वैसे तो माना जाता है कि 100 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन 99% तक सुरक्षा देता है लेकिन त्वचा पर पड़ने वाले प्रभावों के मद्देनजर लोगों को जब तक बहुत जरूरी ना हो 50 एसपीएफ से ज्यादा वाले सनस्क्रीन के इस्तेमाल नही करना चाहिए.

पढ़ें: गर्मी में घरेलू नुस्खों से बढ़ाएं भूख

त्वचा की प्रकृति के आधार पर करें सनस्क्रीन का चयन
मालती बताती हैं कि एसपीएफ के अलावा सनस्क्रीन का चयन करने से पहले इस्तेमाल करने वाले की त्वचा के प्रकार का ध्यान रखना भी जरूरी होता है. जैसे सामान्य त्वचा वाले लोगों के लिए क्रीम बेस सनस्क्रीन बेहतर होता है. वहीं खुश्क व रूखी त्वचा वाले लोगों को मोश्चराईज़र युक्त तथा तैलीय त्वचा वाले लोगों को ऑइल फ्री क्रीम, जेल या लोशन (सनस्क्रीन) का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा तैलीय त्वचा वाले लोगों के लिए एक्वा बेस एसपीएस फॉर्मूलेशन वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल भी फायदेमंद बेहतर होता है.

वहीं ऐसे लोग जिनकी त्वचा पर कील मुंहासे ज्यादा हों उन्हे 50 एसपीएफ वाले ऑयल फ्री सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को हाइपरएलर्जेनिक द्रव्य से युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.

मालती बताती हैं कि कई बार ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में सनस्क्रीन एलर्जीक प्रतिक्रिया भी दे सकता है. ऐसे में किसी डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेने के बाद ही उनके द्वारा बताए गए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा यदि एलर्जी नहीं भी है तो भी ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को प्राकृतिक रूप से बनाए गए या हर्बल सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

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