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शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं और रहे रोगों से दूर

महामारी के चलते बदलती सामाजिक व व्यवसायिक व्यवस्थाओं के परिणामस्वरूप पढ़ाई और नौकरी में ‘हाइब्रिड’ पद्धति का प्रचलन बढ़ा है. ‘हाइब्रिड ’ शैली यानी ऐसी व्यवस्था जिसमें रोज दफ्तर जाने की बजाय वर्क फ्रॉम होम की सहूलियत तथा घर में रह कर स्कूल की कक्षाओं में शामिल होने की सहूलियत मिलती है, लेकिन यदि स्वास्थ्य के लिहाज से देखा जाय या चिकित्सकों की बात मानी जाए तो यह प्रचलन हर उम्र के लोगों में कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकता है जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा मानसिक समस्याएं आदि.

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शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं और रहे रोगों से दूर
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Published : Feb 15, 2022, 6:09 AM IST

कोविड 19 के दौर से पहले से ही निष्क्रिय, आलसी जीवनशैली और खानपान से जुड़ी गलत आदतों के बढ़ते प्रचलन के चलते सभी में मधुमेह तथा ओबेसिटी सहित अन्य कोमोरबीटी समस्याओं के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी. लेकिन कोरोना काल में इन अवस्थाओं के पीड़ितों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई. जिसका एक मुख्य कारण लॉकडाउन के चलते पढ़ने और नौकरी से जुड़ी नई व्यवस्थाओं तथा उनके कारण बढ़ी शारीरिक निष्क्रियता व जीवनशैली में अनुशासनहीनता माना जा रहा है.

शारीरिक निष्क्रियता से बढ़ रही है समस्याएं
बच्चों में मधुमेह और ओबेसिटी जैसी समस्याओं की रोकथाम के लिए पिछले कुछ सालों से कार्य कर रही दिल्ली की फिजीशियन डॉ कुमुद सेनगुप्ता ने ETV भारत सुखीभवा को बताया कि कम उम्र या युवावस्था में मधुमेह या ओबेसिटी की समस्या होना आज के दौर में आम बात हो गई है. इसका एक बड़ा कारण हमारी जीवनशैली में शारीरिक श्रम में कमी है.

वह बताती हैं कि वर्तमान समय में अधिकांश बच्चे पढ़ाई, ट्यूशन और खेल के लिए तथा वयस्क नौकरी के लिए दिन का अधिकांश समय एक ही स्थान पर लैपटॉप या मोबाइल के सामने बिताते हैं. इस व्यवस्था का असर उनके खानेपीने तथा सोने की आदतों पर भी पड़ता है. ऐसे में जब शरीर में किसी प्रकार का व्यायाम नही होता है तो ना तो कैलोरी सही मात्रा में बर्न हो पाती है, ना ही भोजन का पाचन सही तरह से हो पाता है. और ना ही शरीर के बाकी अंगों को सही मात्रा में पोषण मिल पाता है, जिससे शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.

दिनचर्या को बनाए सक्रिय
डॉ कुमुद बताती हैं कि उम्र चाहे कोई भी हो, लोगों को अपनी रोज की दिनचर्या में ऐसे कार्यों व सेहतमंद आदतों को शामिल करना चाहिए जिनसे उनकी शारीरिक व मानसिक सक्रियता बनी रहे. इसके साथ ही बहुत जरूरी है खानपान तथा नींद संबंधी सही आदतों को अपनाया जाय जिससे हमारे शरीर के सभी तंत्र अच्छे से काम करें. इसके अलावा भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रख कर या कुछ आदतों को अपनाकर लोग मधुमेह, ओबेसिटी, रक्तचाप तथा ह्रदय रोग सहित कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याओं से बच सकते हैं. यही नही इन बातों को ध्यान में रख कर ऐसे लोग भी जो पहले से इन समस्याओं का शिकार हो अपनी अवस्था को नियंत्रित रख सकते हैं.

  • आहार में हो अनुशासन
    किसी भी प्रकार के रोग या समस्याओं से बचने या उन्हे नियंत्रित रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आहार पर नियंत्रण रखा जाय. नियंत्रण रखने से तात्पर्य यह नही है कुछ चीजों को पूरी तरह से खाना छोड़ दिया जाय. यदि पहले से मधुमेह, मोटापे या रक्तचाप जैसी कोई विशेष समस्या हो तो निसन्देह कुछ खाध्य पदार्थों से परहेज जरूरी हो जाता है, लेकिन सामान्य अवस्था में सभी तरह के खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं. बशर्ते उनका सेवन सही मात्रा में किया जाय तथा उन्हे खाने का समय सही हो. डॉ कुमुद बताती हैं कि ज्यादा तेल, तेज मसाले, प्रिजर्व्ड तथा प्रोसेस्ड़ आहार, ज्यादा मीठा या तेज नमक वाला आहार बार-बार खाने से सिर्फ कोमोरबीटी ही नही और भी कई तरह की समस्यायें हो सकती हैं.
    कभी कभी “चीट मील” या किसी खास मौके पर इस तरह का आहार खाया जा सकता है लेकिन नियमित तौर पर जो आहार हम ग्रहण करते हैं उसमें ताजी सब्जियों, फलों, दालों तथा अनाज का होना बहुत जरूरी है. इसके अलावा भोजन को उसके लिए नियत समय पर ही खाना चाहिए. जिससे उसके पाचन के लिए पाचन तंत्र को पर्याप्त समय मिल पाए तथा किसी प्रकार की बीमारी होने की आशंका ना रहे.
  • कसरत के लिए निकालें थोड़ा वक्त
    हाइब्रीड तरीके से पढ़ाई या नौकरी करने की सुविधा के चलते तालाबंदी हटने के बाद भी बहुत से बच्चे अपना स्कूल तथा लोग अपनी नौकरी ऑनलाइन माध्यम से कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि उनकी शारीरिक सक्रियता में काफी कमी आई है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि नियमित कसरत या व्यायाम किए जाएं. इसके अलावा ऐसे कार्यों किए जा सकते हैं जिनमें शरीर ज्यादा सक्रिय हो जैसे बाजार से कुछ लाना हो तो पैदल या साइकिल पर जाया जा सकता है. सुबह-शाम वॉक की जा सकती है. इसके अलावा सीढ़ियों पर चढ़ना और उतरना भी एक अच्छे व्यायाम की श्रेणी में आ सकता है.
  • तनाव को नियंत्रण में रखें
    डॉ कुमुद बताती हैं कि लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने, सिर्फ घर में रहने या एक ही तरह का काम करने से जाने अनजाने में लोगों में तनाव व अवसाद की समस्या बढ़ सकती है. इस तरह की मानसिक अवस्थाएं शरीर में होने वाले रोगों तथा समस्याओं को काफी बढ़ा सकती हैं. इसलिए बहुत जरूरी है की स्वयं को तथा अपने आसपास के लोगों को तनाव व अवसाद से दूर रखने के लिए प्रयास किए जाएं.
  • धूम्रपान तथा शराब से बचे
    कई बार धूम्रपान, शराब या किसी अन्य प्रकार के नशे की आदत भी कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकती है. विशेषतौर पर यदि व्यक्ति पहले से ही किसी कोमोरबीटी , रोग या अन्य अवस्था का शिकार है तो इस प्रकार की आदतें उसकी शारीरिक व मानसिक स्तिथि को ज्यादा खराब कर सकती है. इन समस्याओं में किसी भी प्रकार के नशे की आदत व्यक्ति में आंखों, फेफड़ों, गुर्दों, आंतों तथा ह्रदय आदि अंगों में गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं. इसलिए जहां तक संभव हो इस तरह की आदतों से दूरी बनाकर रखने का प्रयास करें या कम से कम मात्रा में उनका सेवन करें.

पढ़ें: शरीर व मन को अनगिनत फायदे देता है वॉटर एरोबिक्स

कोविड 19 के दौर से पहले से ही निष्क्रिय, आलसी जीवनशैली और खानपान से जुड़ी गलत आदतों के बढ़ते प्रचलन के चलते सभी में मधुमेह तथा ओबेसिटी सहित अन्य कोमोरबीटी समस्याओं के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी. लेकिन कोरोना काल में इन अवस्थाओं के पीड़ितों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई. जिसका एक मुख्य कारण लॉकडाउन के चलते पढ़ने और नौकरी से जुड़ी नई व्यवस्थाओं तथा उनके कारण बढ़ी शारीरिक निष्क्रियता व जीवनशैली में अनुशासनहीनता माना जा रहा है.

शारीरिक निष्क्रियता से बढ़ रही है समस्याएं
बच्चों में मधुमेह और ओबेसिटी जैसी समस्याओं की रोकथाम के लिए पिछले कुछ सालों से कार्य कर रही दिल्ली की फिजीशियन डॉ कुमुद सेनगुप्ता ने ETV भारत सुखीभवा को बताया कि कम उम्र या युवावस्था में मधुमेह या ओबेसिटी की समस्या होना आज के दौर में आम बात हो गई है. इसका एक बड़ा कारण हमारी जीवनशैली में शारीरिक श्रम में कमी है.

वह बताती हैं कि वर्तमान समय में अधिकांश बच्चे पढ़ाई, ट्यूशन और खेल के लिए तथा वयस्क नौकरी के लिए दिन का अधिकांश समय एक ही स्थान पर लैपटॉप या मोबाइल के सामने बिताते हैं. इस व्यवस्था का असर उनके खानेपीने तथा सोने की आदतों पर भी पड़ता है. ऐसे में जब शरीर में किसी प्रकार का व्यायाम नही होता है तो ना तो कैलोरी सही मात्रा में बर्न हो पाती है, ना ही भोजन का पाचन सही तरह से हो पाता है. और ना ही शरीर के बाकी अंगों को सही मात्रा में पोषण मिल पाता है, जिससे शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.

दिनचर्या को बनाए सक्रिय
डॉ कुमुद बताती हैं कि उम्र चाहे कोई भी हो, लोगों को अपनी रोज की दिनचर्या में ऐसे कार्यों व सेहतमंद आदतों को शामिल करना चाहिए जिनसे उनकी शारीरिक व मानसिक सक्रियता बनी रहे. इसके साथ ही बहुत जरूरी है खानपान तथा नींद संबंधी सही आदतों को अपनाया जाय जिससे हमारे शरीर के सभी तंत्र अच्छे से काम करें. इसके अलावा भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रख कर या कुछ आदतों को अपनाकर लोग मधुमेह, ओबेसिटी, रक्तचाप तथा ह्रदय रोग सहित कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याओं से बच सकते हैं. यही नही इन बातों को ध्यान में रख कर ऐसे लोग भी जो पहले से इन समस्याओं का शिकार हो अपनी अवस्था को नियंत्रित रख सकते हैं.

  • आहार में हो अनुशासन
    किसी भी प्रकार के रोग या समस्याओं से बचने या उन्हे नियंत्रित रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आहार पर नियंत्रण रखा जाय. नियंत्रण रखने से तात्पर्य यह नही है कुछ चीजों को पूरी तरह से खाना छोड़ दिया जाय. यदि पहले से मधुमेह, मोटापे या रक्तचाप जैसी कोई विशेष समस्या हो तो निसन्देह कुछ खाध्य पदार्थों से परहेज जरूरी हो जाता है, लेकिन सामान्य अवस्था में सभी तरह के खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं. बशर्ते उनका सेवन सही मात्रा में किया जाय तथा उन्हे खाने का समय सही हो. डॉ कुमुद बताती हैं कि ज्यादा तेल, तेज मसाले, प्रिजर्व्ड तथा प्रोसेस्ड़ आहार, ज्यादा मीठा या तेज नमक वाला आहार बार-बार खाने से सिर्फ कोमोरबीटी ही नही और भी कई तरह की समस्यायें हो सकती हैं.
    कभी कभी “चीट मील” या किसी खास मौके पर इस तरह का आहार खाया जा सकता है लेकिन नियमित तौर पर जो आहार हम ग्रहण करते हैं उसमें ताजी सब्जियों, फलों, दालों तथा अनाज का होना बहुत जरूरी है. इसके अलावा भोजन को उसके लिए नियत समय पर ही खाना चाहिए. जिससे उसके पाचन के लिए पाचन तंत्र को पर्याप्त समय मिल पाए तथा किसी प्रकार की बीमारी होने की आशंका ना रहे.
  • कसरत के लिए निकालें थोड़ा वक्त
    हाइब्रीड तरीके से पढ़ाई या नौकरी करने की सुविधा के चलते तालाबंदी हटने के बाद भी बहुत से बच्चे अपना स्कूल तथा लोग अपनी नौकरी ऑनलाइन माध्यम से कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि उनकी शारीरिक सक्रियता में काफी कमी आई है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि नियमित कसरत या व्यायाम किए जाएं. इसके अलावा ऐसे कार्यों किए जा सकते हैं जिनमें शरीर ज्यादा सक्रिय हो जैसे बाजार से कुछ लाना हो तो पैदल या साइकिल पर जाया जा सकता है. सुबह-शाम वॉक की जा सकती है. इसके अलावा सीढ़ियों पर चढ़ना और उतरना भी एक अच्छे व्यायाम की श्रेणी में आ सकता है.
  • तनाव को नियंत्रण में रखें
    डॉ कुमुद बताती हैं कि लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने, सिर्फ घर में रहने या एक ही तरह का काम करने से जाने अनजाने में लोगों में तनाव व अवसाद की समस्या बढ़ सकती है. इस तरह की मानसिक अवस्थाएं शरीर में होने वाले रोगों तथा समस्याओं को काफी बढ़ा सकती हैं. इसलिए बहुत जरूरी है की स्वयं को तथा अपने आसपास के लोगों को तनाव व अवसाद से दूर रखने के लिए प्रयास किए जाएं.
  • धूम्रपान तथा शराब से बचे
    कई बार धूम्रपान, शराब या किसी अन्य प्रकार के नशे की आदत भी कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकती है. विशेषतौर पर यदि व्यक्ति पहले से ही किसी कोमोरबीटी , रोग या अन्य अवस्था का शिकार है तो इस प्रकार की आदतें उसकी शारीरिक व मानसिक स्तिथि को ज्यादा खराब कर सकती है. इन समस्याओं में किसी भी प्रकार के नशे की आदत व्यक्ति में आंखों, फेफड़ों, गुर्दों, आंतों तथा ह्रदय आदि अंगों में गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं. इसलिए जहां तक संभव हो इस तरह की आदतों से दूरी बनाकर रखने का प्रयास करें या कम से कम मात्रा में उनका सेवन करें.

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