आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर दुनियाभर में कई शोध हो चुके हैं. जिनमें यह जानने का प्रयास किया जाता रहा है कि यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद हैं या नुकसानदायक? यदि ये नुकसानदायक हैं भी, तो यह हमारे शरीर पर किस तरह के दुष्प्रभाव डाल सकते हैं. जिनमें से लगभग सभी में इस बात की पुष्टि हुई है कि इनका ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है.
आर्टिफिशियल स्वीटनर दरअसल ऐसा उत्पाद है जिसका उपयोग चीनी के विकल्प के रूप में आहार या पेय पदार्थ में मिठास लाने के लिए किया जाता है, लेकिन इनका निर्माण सिंथेटिक तत्वों से किया जाता है. इनके बारे में आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि चूंकि ये लो कैलोरी वाले होते हैं तथा इनमें शर्करा कम होता है, इसलिए ये चीनी से बेहतर होते हैं. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए कई शोधों में यह कहा गया है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के ज्यादा सेवन से कई प्रकार की शारीरिक व मस्तिष्क संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
क्या कहते हैं शोध
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मानिटोबा के एक शोध में शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल स्वीटनर के प्रभाव जानने के लिए पूर्व में किए गए 37 शोधों की व्यवस्थित समीक्षा की थी. इसके अतिरिक्त इस शोध में लगभग 10 वर्ष की अवधि के दौरान 4 लाख लोगों को शामिल किया गया था. कनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन के नतीजों में सामने आया था कि आर्टिफिशियल और पोषण रहित स्वीटनर ना सिर्फ पाचन क्षमता, आंतों के बैक्टीरिया और भूख पर नकारात्मक असर डालते हैं, बल्कि शरीर के वजन और दिल की सेहत को भी प्रभावित करते हैं.
इस अध्ययन के दौरान दीर्घकालिक शोधों में आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल और तुलनात्मक रूप से वजन बढ़ने के खतरे और मोटापा, हाई बीपी, डायबीटीज, हृदयरोग और सेहत से जुड़ी दूसरी समस्याओं के बीच संबंध देखा गया था. वहीं, बायोलॉजी एंड बायोमेडिकल साइंस, एस्टन यूनिवर्सिटी द्वारा भी इसी संदर्भ में एक अध्ययन किया गया था जिसमें सामने आया था कि बहुत अधिक आर्टिफिशियल स्वीटनर के सेवन से मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर स्थितियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है. पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में सामने आया था कि जो लोग कुछ विशेष स्वीटनर्स का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं, उनमें कुछ प्रकार के कैंसर का विकास होने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
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यही नहीं, जर्मनी की फ्रीबर्ग यूनिवर्सिटी के एक शोध में भी कृत्रिम मिठास से नुकसान की बात ही गई थी. दरअसल इस शोध में स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के चक्कर में लोगों द्वारा आहार में प्राकृतिक रूप से चीनी, नमक या फैट को कम करके उनके स्थान पर कृत्रिम नॉन-शुगर स्वीटनर्स के बढ़ते इस्तेमाल तथा उसके स्वास्थ्य पर असर को लेकर अध्धयन किया गया था.
क्या हैं नुकसान
दिल्ली की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि आजकल अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहने वाले कई लोग, या फिर मधुमेह जैसी बीमारी के शिकार लोग चाय आदि में मिठास के लिए कृत्रिम स्वीटनर या शुगर फ्री स्वीटनर का सेवन करते हैं. इसके अलावा बाजार में मिलने वाले कई प्रकार के खाद्य तथा पेय पदार्थों में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन कृत्रिम स्वीटनर का बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन सेहत के लिए सुरक्षित नहीं होता हैं. क्योंकि इसके निर्माण में ऐसे कई तत्वों का उपयोग किया जाता है जो ज्यादा मात्रा में लिए जाने पर हमारी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं.
गौरतलब है कि कई शोधों में भी यह बात कही गई है कि ज्यादा लंबे समय तक तथा ज्यादा मात्रा में कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल करने से मस्तिष्क के न्यूरॉनस प्रभावित होते हैं तथा सेरीबैलम को नष्ट करते हैं, जिससे मस्तिष्क संबंधी कई समस्याओं जैसे याददाश्त में कमी, अवसाद, मानसिक असंतुलन और सीजर्स आदि का जोखिम बढ़ सकता है.
सेहत पर प्रभाव
डॉ दिव्या बताती हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का निर्माण सिंथेटिक पदार्थों का उपयोग करके किया जाता है. इसीलिए ज्यादातर चिकित्सक तथा जानकार इनका सेवन ना करने या कम से कम मात्रा में करने की सलाह देते हैं. लेकिन यदि इनका लगातार तथा ज्यादा मात्रा में सेवन किया जा रहा हो तो शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव नजर आ सकते हैं.
हमारे विशेषज्ञ के अनुसार तथा कई शोधों में बताए गए आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के नुकसान इस प्रकार हैं-
- ये मेटाबोलिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. कई बार लोग इनके लो कैलोरी होने के चलते इनका उपयोग ज्यादा मात्रा में करने लगते हैं, ऐसे में ये वजन कम करने की बजाय उसके बढ़ने का कारण भी बन सकते हैं.
- इनके ज्यादा सेवन से इंसुलिन हार्मोन प्रभावित होता है.
- इनके ज्यादा सेवन से न्यूरोलाजिकल समस्याएं तथा क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा भी बढ़ सकता है.
- बच्चों को आर्टिफिशियल स्वीटनर तथा ऐसा आहार जिसमें इनका इस्तेमाल हुआ हो, देने से बचना चाहिए. क्योंकि बच्चों में यह आलस, एडिक्शन, मेमोरी लॉस, एकाग्रता में कमी आदि का कारण बनते हैं.
- गर्भवती महिलाओं को भी इसका सेवन बिल्कुल नही करना चाहिए क्योंकि इसका सेवन किये जाने से माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.
- कई बार यह दांतों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं.
सावधानी
डॉ दिव्या बताती हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के सभी जोखिम तथा उनके प्रभाव इस बात पर ज्यादा निर्भर करते हैं कि उनका सेवन कितनी मात्रा में किया जा रहा है तथा उसकी क्वालिटी कैसी है. वह कहती हैं कि हमारे मानव शरीर की संरचना ऐसी है कि वह अप्राकृतिक या कृत्रिम चीजों को सरलता से स्वीकार नहीं करता है. ऐसे में जहां तक संभव हो विशेषकर खानपान में ऐसी चीजों का ही इस्तेमाल करना चाहिए जो प्रकृति द्वारा दी गई हो या प्राकृतिक चीजों से बनी हों.
इसके अलावा यदि किसी कारण से मीठा कम करना या छोड़ना ही हो तो सबसे पहले चिकित्सक से परामर्श लें कि क्या मीठे के स्थान पर वे किसी प्राकृतिक या कृत्रिम विकल्प का उपयोग कर सकते हैं? यदि चिकित्सक आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल की आज्ञा दे देते हैं तो बहुत जरूरी है कि उनकी मात्रा तथा किस तरह से उनका उपयोग किया जा सकता है, इस बात की पूरी जानकारी लेने के बाद भी उनका उपयोग किया जाए.