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शहरी क्षेत्रों के लोगों में सबसे सामान्य समस्या है सिर दर्द ।

कोरोना संक्रमण से ठीक होने के उपरांत बहुत से लोगों में सर दर्द  की समस्या देखने में आ रही है। सिर दर्द होना सिर्फ कोरोना के पार्श्व प्रभावों में ही नही बल्कि आमतौर पर भी लोगों में होने वाली एक सामान्य समस्या हैं। हाल ही में इपसोस भारत द्वारा करवाए गए एक सर्वे में सामने आया हैं की शहरी क्षेत्रों में सर में दर्द इतनी ज्यादा आम है की लोग आमतौर पर इसके लिए चिकित्सक से परामर्श भी नही लेते हैं और इसके निवारण के लिए स्वः चिकित्सा या ओटीसी मेडिसिन की मदद लेते हैं।

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Headache In Urban Indians
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Published : Jun 5, 2021, 4:06 PM IST

इपसोस द्वारा पूरे देश में सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं और उनके निवारण के लिए लोगों की प्राथमिकता को लेकर करवाए गए एक सर्वे में सामने आया है शहरी क्षेत्रों में से हर 2 में से 1 व्यक्ति आमतौर पर सर दर्द की समस्या से पीड़ित रहता है। यहीं नही अधिकांश लोग न सिर्फ सरदर्द बल्कि और भी कई सामान्य समस्याओं के लिए सर्वप्रथम स्व चिकित्सा का सहारा लेते है तथा इलाज के ओटीसी दवाइयों (ऐसी दवाईयां, जिन्हे बगैर प्रिस्क्रिप्शन के कैमिस्ट से खरीदा जा सकता है )को तवज्जो देते हैं।

34 शहरों के 15, 133 घरों पर हुआ शोध

इप्सोस की उपभोक्ता स्वास्थ्य निरीक्षण इकाई की ओर से जारी सूचना में बताया गया है की भारत के अलग अलग राज्यों के 34 शहरों के 15, 133 घरों में करवाए गए इस सर्वे में सामने आया है की बुखार, शरीर में दर्द, सामान्य सर्दी- खांसी और नाक बंद होने जैसी सामान्य श्रेणी में आने वाली समस्याओं के लिए लोग ओटीसी दवाइयों को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन शोध में यह भी सामने आया की इस प्रवृत्ति का पालन करने वाले लोगों में उम्र बढ़ने के उपरांत आमतौर पर पेट संबंधी समस्याएं देखने में आती हैं।

इस शोध में इन सामान्य समस्याओं में लोगों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर ली जाने वाली दवाइयों के बारे में भी जानकारी एकत्रित की गई जिसके अनुसार हर 10 में से 7 शहरी लोग पेट संबंधी समस्याओं विशेषकर एसिडिटी के लिए इनो फ्रूट साल्ट लेने को प्राथमिकता देते हैं। वही सिर दर्द होने पर बाम के लिए लोगों की पहली पसंद झंडू बाम होती है।

सामान्य समस्या में घरेलू उपचार, ओटीसी दवाइयों व स्वः चिकित्सा को प्राथमिकता

इस सर्वे के तहत लोगों में आमतौर पर नजर आने वाली 50 सबसे सामान्य समस्याओं और अवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली गईं। जिसमें सामने आया की लोग सबसे ज्यादा एनाल्जेसिक और ज्वरनाशक, मुंह का स्वास्थ्य, सर्दी-खांसी, पाचन विशेषकर एसिडिटी संबंधी, अंतिस्पसमोदिक्स, दस्त रोधी, त्वचा संबंधी समस्याएं विशेषकर चोट, बालों संबंधी समस्या तथा नींद न आने जैसी समस्याओं का शिकार होते हैं। इन सभी मामलों में ज्यादातर लोग प्राथमिक स्तर पर घरेलू उपचार व स्व चिकित्सा का सहारा लेते हैं , तथा जरूरत महसूस होने पर ही चिकित्सक के पास सलाह के लिए जाते हैं। इनके अतिरिक बड़ी संख्या में लोग ओटीसी कैटेगरी के अंतर्गत आने वाली ओआरएस, विटामिन, मिनरल्स अन्य सप्लीमेंट का भी बगैर चिकित्सक से परामर्श लिए सेवन करते हैं ।

घरों में बढ़ा मेडिकल जांच उपकरणों का उपयोग

इस सर्वे में लोगों में सामान्य तौर पर पाई जाने वाली स्थाई समस्याओं को लेकर भी जानकारी हासिल की गई जैसे हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा तथा थायराइड आदि। जिसमें सामने आया की ऐसी समस्यायों से जूझ रहे काफी लोग अपने स्वास्थ्य पर नजर रखने तथा नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए के उद्देश्य से घर में ही मेडिकल उपकरण रखते हैं । पहले जहां आमतौर पर लोगों के घरों में बुखार को मापने के लिए सिर्फ थर्मामीटर रहता था, वही आजकल ज्यादातर घरों में बीपी नापने की मशीन, रक्त में शर्करा की जांच करने वाली मशीन तथा ऑक्सीमीटर होना सामान्य बात है।

पैसा और समय बचाने के लिए स्वः चिकित्सा को प्राथमिकता
इपसोस की कंट्री सर्विस लाइन लीडर मोनिका गंगवानी बताती हैं कि संपूर्ण भारत में किए गए इस शोध में स्वास्थ्य से जुड़ी कई जानकारियाँ सामने आई। शोध में सामने आया कि आमतौर पर लोग चिकित्सकों की भारी फीस बचाने तथा समय बचाने व असुविधा से बचने के लिए सामान्य बीमारियों व हल्की-फुल्की बीमारियों में स्वः चिकित्सा अपनाते हैं।

सिर्फ यही नहीं वर्तमान समय में कॉस्मेटोलॉजी यानी सौंदर्य संबंधी उत्पादों , विभिन्न प्रकार के सप्लीमेंट तथा स्वास्थ्य पर निगाह रखने वाले ऐसे मशीनी उत्पादों का बाजार तथा उपयोग दोनों बढ़ गया है, जिनके लिए आमतौर पर चिकित्सक की सलाह को जरूरी नहीं माना जाता है। इसके अलावा ओटीसी कैटेगरी में आने वाली कई दवाइयों का निर्माण करने वाली कंपनियां अपनी दवाइयों का बहुत अच्छे से प्रचार-प्रसार करने लगी हैं। जिसके चलते उपभोक्ता सीधे-सीधे ब्रांड तथा उनकी दवाइयों के उपयोग और उनके फ़ायदों के लेकर जानकारी हासिल कर लेते हैं और उनका इस्तेमाल कर सकते हैं ।

पढ़ें :हल्का तनाव मस्तिष्क के लिए अच्छा है : स्टडी

कोरोना का असर

यदि कोविड19 के दौरान तथा उससे पहले के समय के बीच, घरों में सामान्य स्वास्थ्य संबंधी सामग्रियों जैसे सामान्य समस्यायों में उपयोग में आने वाली दवाइयों के स्टॉक से जुड़े आंकड़ों को देखा जाए तो उसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। शोध के नतीजे बताते हैं की कि लगभग 55% लोगों ने कोरोना काल में पहले से ही अपने घर में किसी भी प्रकार की दवाई का स्टॉक नहीं रखा था। कोरोना के शुरू होने से पहले भी लोगों पर शाओढ़ को लेकर सर्वे करवाया गया था , जिसमें सामने आया कि लगभग 54% लोग सामान्य अवस्था में अपने घर में दवाइयों का संग्रहण नहीं करके रखते हैं।

वही कोरोना के इस दौर में केवल 7% लोगों ने माना कि उन्होंने लॉकडाउन के समय में विभिन्न मुद्दों को लेकर चिकित्सक से सलाह ली थी। इनमें से 88% लोगों ने सामान्य रोगों जैसे सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार तथा एसिडिटी या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को लेकर चिकित्सक से सलाह ली, वही 31% लोगों ने नियमित जांच तथा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अर्थराइटिस तथा अस्थमा जैसी समस्याओं के लिए डॉक्टरी सलाह ली ।

इपसोस द्वारा पूरे देश में सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं और उनके निवारण के लिए लोगों की प्राथमिकता को लेकर करवाए गए एक सर्वे में सामने आया है शहरी क्षेत्रों में से हर 2 में से 1 व्यक्ति आमतौर पर सर दर्द की समस्या से पीड़ित रहता है। यहीं नही अधिकांश लोग न सिर्फ सरदर्द बल्कि और भी कई सामान्य समस्याओं के लिए सर्वप्रथम स्व चिकित्सा का सहारा लेते है तथा इलाज के ओटीसी दवाइयों (ऐसी दवाईयां, जिन्हे बगैर प्रिस्क्रिप्शन के कैमिस्ट से खरीदा जा सकता है )को तवज्जो देते हैं।

34 शहरों के 15, 133 घरों पर हुआ शोध

इप्सोस की उपभोक्ता स्वास्थ्य निरीक्षण इकाई की ओर से जारी सूचना में बताया गया है की भारत के अलग अलग राज्यों के 34 शहरों के 15, 133 घरों में करवाए गए इस सर्वे में सामने आया है की बुखार, शरीर में दर्द, सामान्य सर्दी- खांसी और नाक बंद होने जैसी सामान्य श्रेणी में आने वाली समस्याओं के लिए लोग ओटीसी दवाइयों को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन शोध में यह भी सामने आया की इस प्रवृत्ति का पालन करने वाले लोगों में उम्र बढ़ने के उपरांत आमतौर पर पेट संबंधी समस्याएं देखने में आती हैं।

इस शोध में इन सामान्य समस्याओं में लोगों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर ली जाने वाली दवाइयों के बारे में भी जानकारी एकत्रित की गई जिसके अनुसार हर 10 में से 7 शहरी लोग पेट संबंधी समस्याओं विशेषकर एसिडिटी के लिए इनो फ्रूट साल्ट लेने को प्राथमिकता देते हैं। वही सिर दर्द होने पर बाम के लिए लोगों की पहली पसंद झंडू बाम होती है।

सामान्य समस्या में घरेलू उपचार, ओटीसी दवाइयों व स्वः चिकित्सा को प्राथमिकता

इस सर्वे के तहत लोगों में आमतौर पर नजर आने वाली 50 सबसे सामान्य समस्याओं और अवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली गईं। जिसमें सामने आया की लोग सबसे ज्यादा एनाल्जेसिक और ज्वरनाशक, मुंह का स्वास्थ्य, सर्दी-खांसी, पाचन विशेषकर एसिडिटी संबंधी, अंतिस्पसमोदिक्स, दस्त रोधी, त्वचा संबंधी समस्याएं विशेषकर चोट, बालों संबंधी समस्या तथा नींद न आने जैसी समस्याओं का शिकार होते हैं। इन सभी मामलों में ज्यादातर लोग प्राथमिक स्तर पर घरेलू उपचार व स्व चिकित्सा का सहारा लेते हैं , तथा जरूरत महसूस होने पर ही चिकित्सक के पास सलाह के लिए जाते हैं। इनके अतिरिक बड़ी संख्या में लोग ओटीसी कैटेगरी के अंतर्गत आने वाली ओआरएस, विटामिन, मिनरल्स अन्य सप्लीमेंट का भी बगैर चिकित्सक से परामर्श लिए सेवन करते हैं ।

घरों में बढ़ा मेडिकल जांच उपकरणों का उपयोग

इस सर्वे में लोगों में सामान्य तौर पर पाई जाने वाली स्थाई समस्याओं को लेकर भी जानकारी हासिल की गई जैसे हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा तथा थायराइड आदि। जिसमें सामने आया की ऐसी समस्यायों से जूझ रहे काफी लोग अपने स्वास्थ्य पर नजर रखने तथा नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए के उद्देश्य से घर में ही मेडिकल उपकरण रखते हैं । पहले जहां आमतौर पर लोगों के घरों में बुखार को मापने के लिए सिर्फ थर्मामीटर रहता था, वही आजकल ज्यादातर घरों में बीपी नापने की मशीन, रक्त में शर्करा की जांच करने वाली मशीन तथा ऑक्सीमीटर होना सामान्य बात है।

पैसा और समय बचाने के लिए स्वः चिकित्सा को प्राथमिकता
इपसोस की कंट्री सर्विस लाइन लीडर मोनिका गंगवानी बताती हैं कि संपूर्ण भारत में किए गए इस शोध में स्वास्थ्य से जुड़ी कई जानकारियाँ सामने आई। शोध में सामने आया कि आमतौर पर लोग चिकित्सकों की भारी फीस बचाने तथा समय बचाने व असुविधा से बचने के लिए सामान्य बीमारियों व हल्की-फुल्की बीमारियों में स्वः चिकित्सा अपनाते हैं।

सिर्फ यही नहीं वर्तमान समय में कॉस्मेटोलॉजी यानी सौंदर्य संबंधी उत्पादों , विभिन्न प्रकार के सप्लीमेंट तथा स्वास्थ्य पर निगाह रखने वाले ऐसे मशीनी उत्पादों का बाजार तथा उपयोग दोनों बढ़ गया है, जिनके लिए आमतौर पर चिकित्सक की सलाह को जरूरी नहीं माना जाता है। इसके अलावा ओटीसी कैटेगरी में आने वाली कई दवाइयों का निर्माण करने वाली कंपनियां अपनी दवाइयों का बहुत अच्छे से प्रचार-प्रसार करने लगी हैं। जिसके चलते उपभोक्ता सीधे-सीधे ब्रांड तथा उनकी दवाइयों के उपयोग और उनके फ़ायदों के लेकर जानकारी हासिल कर लेते हैं और उनका इस्तेमाल कर सकते हैं ।

पढ़ें :हल्का तनाव मस्तिष्क के लिए अच्छा है : स्टडी

कोरोना का असर

यदि कोविड19 के दौरान तथा उससे पहले के समय के बीच, घरों में सामान्य स्वास्थ्य संबंधी सामग्रियों जैसे सामान्य समस्यायों में उपयोग में आने वाली दवाइयों के स्टॉक से जुड़े आंकड़ों को देखा जाए तो उसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। शोध के नतीजे बताते हैं की कि लगभग 55% लोगों ने कोरोना काल में पहले से ही अपने घर में किसी भी प्रकार की दवाई का स्टॉक नहीं रखा था। कोरोना के शुरू होने से पहले भी लोगों पर शाओढ़ को लेकर सर्वे करवाया गया था , जिसमें सामने आया कि लगभग 54% लोग सामान्य अवस्था में अपने घर में दवाइयों का संग्रहण नहीं करके रखते हैं।

वही कोरोना के इस दौर में केवल 7% लोगों ने माना कि उन्होंने लॉकडाउन के समय में विभिन्न मुद्दों को लेकर चिकित्सक से सलाह ली थी। इनमें से 88% लोगों ने सामान्य रोगों जैसे सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार तथा एसिडिटी या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को लेकर चिकित्सक से सलाह ली, वही 31% लोगों ने नियमित जांच तथा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अर्थराइटिस तथा अस्थमा जैसी समस्याओं के लिए डॉक्टरी सलाह ली ।

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