भारत में वर्षा ऋतु का आंनद जुलाई से सितंबर महीने तक मनाया जाता हैं, बारिश की बौछार के साथ ही लोग कई त्योहारों को भी मनाते हैं, जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, तीज इत्यादि. परन्तु रंग में भंग तब पड़ जाता हैं, जब आपका शरीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करता हैं, जो वर्षा ऋतु के समय बहुतायत में पाई जाती है. तेजी से आगे बढ़ रहे जीवन में हम आम तौर पर अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह हो जाते हैं, लेकिन इन दिनों खुद की देखभाल करना बहुत ही महत्वपूर्ण है.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ, प्रोफेसर डॉ. राज्यलक्ष्मी माधवम, का कहना है कि, 'आयुर्वेद के अनुसार, विसर्ग काल अर्थात वर्षा ऋतु की शुरूआत में व्यक्ति के शरीर की ताकत और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. प्रकृति (जल और पर्यावरण) में बढ़े अम्लता और हवा में नमी बढ़ने के कारण, वात बढ़ जाता है और पित्त जमा हो जाता है'.
उन्होंने बताया कि 'आयुर्वेद का कहना है कि इस मौसम में कमजोर पाचन शक्ति, शरीर कमजोर हो जाता है और इम्यूनिटी कम हो जाती है और इसकी वजह से हम बार-बार बीमार होते है. डॉ. राज्यलक्ष्मी ने आहार और विहार से संबंधित कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताए हैं:
आहार या दैनिक भोजन का सेवन:
1.क्या शामिल करें?
⦁ सुपाच्य भोजन का सेवन करें.
⦁ ताजा और गर्म भोजन खायें. आप ताजी सब्जियों का सेवन सूप बनाकर कर सकते हैं.
⦁ पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए काली मिर्च और अदरक जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
⦁ साफ और उबला पानी पियें. पानी के सामान्य तापमान में आने के बाद आप इसमें थोड़ी सी शहद भी मिला सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं.
⦁ ताजा अदरक के एक छोटे से टुकड़े को 3 ग्राम सेंधा नमक के साथ मिलाएं और भोजन से 30 मिनट पहले खा लें.
⦁ मांस का संतुलित मात्रा में सेवन किया जा सकता है.
⦁ आप मूंग दाल, जौ, गेहूं को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं. गाय के घी को भी शामिल किया जा सकता है.
⦁ हींग और अदरक के साथ पतली छाछ का सेवन करने की सलाह दी जाती है.
2.क्या खाने से बचें?
⦁ ठंडे तरल और खाद्य पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक आदि के सेवन से बचें.
⦁ भारी भोजन, फास्ट फूड, दही, वसायुक्त मांस और समुद्री भोजन को जहां तक हो सके खानपान में शामिल न करें.
⦁ मसालेदार और खट्टा खाना खाने से बचें.
⦁ अतिरिक्त तरल पदार्थ का सेवन करने से यह मेटाबोलिज्म को बाधित करता है.
⦁ अधपकी, कच्ची और पत्तेदार सब्जियां न खायें.
⦁ चना दाल, राजमा और उड़द दाल जैसे प्रोटीन खाद्य पदार्थों की अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से बचें.
3.विहार या दिनचर्या
⦁ पाचन प्रक्रिया को सही रखने के लिए हल्के उपवास की सलाह दी जाती है.
⦁ नियमित रूप से गुनगुने पानी से स्नान करें.
⦁ अपने वातावरण को सूखा और साफ-सुथरा रखें.
⦁ भारी व्यायामों का अभ्यास करने से बचें.
⦁ आयुर्वेद में, दिन के समय सोना निषेध है.
⦁ अपने आसपास स्थिर पानी न जमने दें, जिससे मच्छरों से बचा जा सकता है.
⦁ व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें.
⦁ तिल के तेल से शरीर की मालिश करें.
⦁ इस मौसम में अपने शरीर से चिकित्सीय एनीमा के द्वारा हानिकारक पदार्थों को निकालें (डिटॉक्सीफाई).
कोरोना महामारी के बीच, हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और संक्रमण से लड़ने के लिए बेहतर प्रतिरक्षा का होना बहुत जरूरी है. लवण भास्कर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, हरितकी चूर्ण, आदि कई आयुर्वेदिक दवाइयां हैं, जो मानसून के मौसम में फायदेमंद हैं. हालांकि, एक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इनका सेवन किया जाना चाहिए. डॉ. राज्यलक्ष्मी माधवम के द्वारा बताए गए वर्षा 'ऋतुचर्या' का पालन करना सहायक होगा.