रिमझिम बारिश जितना मन को सुकून देती है, उतना ही कई तरह की बीमारियों को आमंत्रित भी करती हैं. बारिश के मौसम में पैरों विशेषकर उनकी उंगलियों में (foot disease in rainy season) संक्रमण या त्वचा संबंधी समस्या होना होना आम बात है. जो ध्यान ना देने पर कई बार ज्यादा परेशान भी कर सकती है. इस परेशानी से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि इस मौसम में पांव की देखभाल और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए.
बरसात में आम है पैरों में संक्रमण : उत्तराखंड की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ आशा सकलानी (Dr Asha Saklani, Dermatologist) बताती हैं कि बारिश के मौसम में पांव में फंगल संक्रमण या किसी अन्य प्रकार की त्वचा संबंधी (skin disease in monsoon) समस्या होने के मामले काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. वह बताती हैं कि बारिश के मौसम में पाँव की त्वचा में समस्या होने के कई कारण (feet fungal infection) हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
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- दफ्तर जाने वाले अधिकांश लोगों, स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चों तथा कई अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को लंबे समय तक जूते पहन कर रखने पड़ते हैं . ऐसे में अगर बारिश में उनके जूते और मोजे एक बार या ज्यादा बार गीले हो जाएं तो वह उन्हे लंबे समय तक उतार भी ना पाते हैं. ऐसे में नमी तथा गंदगी के चलते पैरों में फंगस या बैक्टीरियाँ के पनपने तथा त्वचा संबंधी समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है.
- यदि लोग चप्पल या खुली हुई सैंडल पहन कर भी घूमते हैं और बारिश के कारण वे गंदे पानी या कीचड़ के संपर्क में आ जाते हैं.
- इसके अलावा बरसात के मौसम में वातावरण में आद्रता बढ़ जाती हैं. साथ ही कई बार घरों में सीलन जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. जिससे घर में विशेषकर कपड़ों में नमीं बनी रह सकती हैं. ऐसे में लंबे समय तक नमी युक्त जुराबें पहनने या पाँव में ज्यादा पसीना आने के कारण भी यह समस्या बढ़ सकती है.
- इस मौसम में पाँव की साफ सफाई ना रखने से भी त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है.
- किसी त्वचा रोग का सामना कर रहे व्यक्ति का तौलिया, उसकी जुराबें या जूते इस्तेमाल करने से भी समस्या हो सकती है.
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डॉ आशा (Dr. Asha Saklani) बताती हैं कि इन सभी तथा अन्य कारणों से इस मौसम में अक्सर लोगों के पांव में दाद, खाज, खुजली, लाल चकत्ते, बड़े-छोटे दानों, रैशेज तथा एथलीट फुट जैसी समस्याएं हो जाती हैं. यही नहीं कई बार इस मौसम में पांव में उंगलियों के बीच में पसीना एकत्रित होने पर पांव से तेज बदबू आने की समस्या भी बढ़ जाती हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि बारिश के मौसम में पैरों की साफ-सफाई तथा देखभाल का विशेष ध्यान रखा जाए.
ऐसे रखें पैरों का ख्याल : वैसे तो बारिश के मौसम में कभी छतरी तो कभी रेनकोट की मदद से लोग अपने शरीर और बालों को तो बारिश में भीगने से बचा लेते हैं लेकिन पैरों को बारिश में भीगने से बचाना आमतौर पर लोगों के लिए संभव नहीं हो पाता है. आप चाहे खुले हुए चप्पल या सैंडल पहने या फिर जूते, दोनों ही इन मौसम में पैरों को पूरी तरह से सुरक्षित नही रख पाते हैं. डॉ आशा सकलानी बताती है कि बारिश के मौसम में पांव की देखभाल करने के लिए कुछ बातों को ध्यान रखना बहुत जरूरी है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- भले ही आपने जूते पहने हो या फिर चप्पल, घर में आते ही सबसे पहले आपने पैरों को अच्छी तरह से माइल्ड साबुन से धोएं और उन्हे साफ व पूरी तरह से सूखे हुए तौलिए या कपड़े से सुखाकर उन पर विशेषकर उंगलियों के बीच में पाउडर छिड़के.
- यदि किसी कारणवश लंबे समय तक गीले मोजों और जूतों को पहनना पड़े या फिर पाँव यदि गंदे पानी या कीचड़ में गंदे हो गए हों, तो पैरों को एंटीसेप्टिक मिले हुए पानी से धोना ज्यादा बेहतर होता है.
- बारिश के मौसम में घर हो या बाहर, नंगे पांव चलने से बचना चाहिए.
- बरसात के मौसम में हर दिन साफ व सूखे हुए मोजे ही पहनने चाहिए. यदि मोजे सूती हों तो ज्यादा बेहतर होता है.
- इस मौसम में पैरों के नाखूनों को छोटा ही रखना चाहिए. बड़े नाखूनों में गंदगी तथा बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं.
- पांव में विशेषकर उंगलियों के बीच में यदि किसी तरह का संक्रमण या समस्या नजर आए तो चिकित्सक की सलाह पर एंटी फंगल क्रीम या एंटीफंगल पाउडर का इस्तेमाल करें.
- यदि संभव हो तो जूतों के स्थान पर खुली सैंडल या चप्पलों को प्राथमिकता दें. ऐसे में अगर पांव किसी कारण से गंदे हो गए भी गए हों तो उन्हे तत्काल गीले रुमाल या वेट टिश्यू से साफ किया जा सकता है. साथ ही एक बार गीले होने पर वे जल्दी सुख भी जाते हैं.
- यदि संभव हो तो दफ्तर या बाहर से घर आने के बाद ठंडे पानी या हल्के गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर, कम से कम 10 मिनट तक उसमें अपने पांव भिगोए.उसके बाद उन्हें अच्छी तरह से सुखा कर उन्हें मॉइश्चराइज करें.
डॉ आशा (Dr Asha Saklani, Dermatologist) बताती हैं कि इस मौसम में यदि पांव में किसी भी प्रकार की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो खुद से किसी भी प्रकार की क्रीम या दवा का इस्तेमाल करने की बजाय चिकित्सक से संपर्क करें और उनके निर्देशों तथा उनके द्वारा बताई गई दवाइयों का ही इस्तेमाल करें.
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