बढ़ती उम्र में आमतौर पर ज्यादातर लोग महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जिज्ञासा तथा चिंता जताते हैं, लेकिन पुरुषों में इस दौर में होने वाली समस्याओं के लेकर ज्यादातर लोगों को ज्यादा जानकारी नही होती है . महिलाओं के साथ-साथ बढ़ती उम्र में पुरुषों में भी शारीरिक बदलाव होते हैं तथा उन्हे कुछ आम शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. जो उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, दोनों को प्रभावित करती हैं. अपने विशेषज्ञों की सलाह पर etv भारत अपने पाठकों को कुछ ऐसी ही समस्याओं तथा अवस्थाओं के बारें में जानकारी साँझा करने जा रहा है जो 45 या 50 वर्ष के बाद आमतौर पर पुरुषों में नजर आती हैं..
एन्ड्रोपोज
जैसे महिलाओं में मेनोपोज होता है वैसे ही पुरुषों में एन्ड्रोपोज होता है. ETV भारत सुखीभवा को जानकारी देते हुए हैदराबाद के एन्ड्रोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी बताते हैं कि एन्ड्रोपोज पुरुषों में पचास से साठ की उम्र के बाद होने वाले हार्मोन परिवर्तन का सूचक होता है. पुरुषों में इस दौर को एंट्रोजेन डिफिसिएंसी ऑफ दी एजिंग मेल (एडीएएम/ADAM) भी कहते हैं.
डॉ. राहुल बताते है की महिलाओं के शरीर में रजोनिव्रती के दौरान तमाम बदलावों के साथ एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी आने लगती है, उसी प्रकार पुरुषों में एन्ड्रोपोज की अवस्था में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बनना कम हो जाता है. दरअसल टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन पुरुषों में सेक्स ड्राइव यानी योनेच्छा को जाग्रत करने तथा स्वस्थ यौन संबंधों के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
टेस्टोस्टेरॉन की कमी के अलावा एन्ड्रोपोज के दौरान पुरुष के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन में भी कमी आने लगती है. एन्ड्रोपोज के परिणाम स्वरूप जहां व्यक्ति का सेक्स जीवन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, वहीं इसके चलते कुछ अन्य प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है.
पेशाब करने में समस्या
दिल्ली के यूरॉलाजिस्ट डॉ नईम बेग बताते हैं कि प्रोस्टेट के असामान्य रूप से बढ़ने से यह समस्या होती है . इसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बी.पी.एच) नाम से जाना जाता है. एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर 50 से ज्यादा आयु वाले पुरुषों में देखी जाती है. दरअसल जब प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है तो वह मूत्राशय से मूत्र ले जाने वाली नली पर दबाव डालने लगता है. जिसके चलते कमजोर मूत्र प्रवाह, पेशाब करने में जलन या अन्य किसी प्रकार की कठिनाई, पेशाब के अंत में ड्रिब्लिंग,बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खून आना तथा मूत्र मार्ग में संक्रमण आदि समस्याएं नजर आ सकती हैं. यह समस्या बढ़ने पर कैंसर का रूप भी ले सकती है इसलिए बहुत जरुरी है कि इस समस्या की शुरुआत में ही इसकी जांच और इलाज करवा लिया जाए.
अंडकोष में गांठ होना
अंडकोष पुरुषों की प्रजनन प्रणाली का एक अंग हैं जो वीर्य और टेस्टोस्टेरोन पैदा करते हैं. ये अंडकोष स्क्रोटम नाम की त्वचा की ढीली थैली के अंदर होते हैं जो लिंग के पीछे के हिस्से में लटकते रहते हैं. डॉ नईम बेग बताते हैं की यह समस्या सिर्फ वृद्धावस्था में ही नही बल्कि 25 से 35 के बीच ज्यादा नजर आ सकती है. अंडकोष की गांठ और सूजन के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं. कभी कभी यह अंडकोष के कैंसर के संकेत भी देती हैं. हालांकि अधिकतर अंडकोष की गांठे कैंसर नहीं होती हैं लेकिन कुछ भी असामान्य लगने पर इसकी जांच जरूर करानी चाहिए.
नपुंसकता/ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
डॉ राहुल रेड्डी बताते हैं कि बढ़ती उम्र में नपुंसकता या इरेक्शन में कमी भी आम होती है. 40 से 70 साल तक की उम्र में तकरीबन 50 प्रतिशत पुरुष कभी न कभी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या का सामना करते है. दरअसल हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोंन्स का निर्माण तथा स्राव होता है, जो सेक्सुअल फंक्शन्स, प्रजनन क्षमता तथा मानसिक अवस्था पर अपना प्रभाव डालते हैं. लेकिन बढ़ती उम्र तथा इस उम्र में मधुमेह , मोटापा रक्तचाप जैसी कोमोरबीटी तथा ह्रदय रोग जैसे कारणों से इन हार्मोन्स का स्राव प्रभावित होता है जो नपुंसकता/ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बन सकता है. इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल और नसों संबंधी विकारों के कारण, कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल के चलते तथा लाइफस्टाइल और मनोवैज्ञानिक विकारों की वजह से भी ज्यादा उम्र में पुरुषों में सेक्सुअल एक्साइटमेंट पर असर पड़ता है.
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