श्रद्धा और भक्ति का भाव लिए हम भारतीय बरसों से व्रत उपवास की परंपरा का पालन करते आ रहें हैं। यह हमारी पुरातन संस्कृति का हिस्सा है। कहा जाता है की धार्मिक परम्पराओ का हिस्सा होने के चलते व्रत उपवास तथा रोज़े जहां हमारे मन मस्तिष्क को शांति प्रदान करते हैं बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाते हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई लोग विशेषकर महिलायें धार्मिक मान्यताओं की बजाय वजन घटाने के उद्देश्य से विशेष किस्म के फस्टिंग ट्रेंड को अपनाने लगी हैं जिसे इंटरमिटेंट फास्टिंग कहते हैं। धार्मिक हो या फिर वजन घटाने के उद्देश्य से किए जा रहे नए चलन वाले व्रत, हमारे स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करती हैं इस बारें में सुखीभव टीम ने टी टी डी, एस वि आयुर्वेदिक कॉलेज तिरुपति के द्रव्ययगुणा विभाग में प्रवक्ता डॉ बुलुसु सीताराम से बात की।
क्या होता है उपवास
एक निश्चित अवधि के भोजन या कोई भी पेय पदार्थ ग्रहण नहीं करना या फिर कम मात्रा में एक विशेष प्रकार के भोजन का सेवन करना उपवास कहलाता है। हमारे भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैन लगभग सभी धर्मों में उपवास की परंपरा हैं जिन्हे व्रत, रोज़े, चीला या फस्टिंग जैसे अलग अलग नामों से जाना जाता है।
क्या होती है इंटेरमिटेंट फस्टिंग
वजन कम करने के उद्देश्य किया जाने वाला व्रत या उपवास इंटेरमिटेंट फास्टिंग कहलाता है। इस नए चलन में किसी खास तरह के भोजन का नहीं बल्कि खाने के पैटर्न यानि समय नियमावली का पालन किया जाता है। जिसमे लोग दो वक्त भोजन कर सकतें हैं लेकिन भोजन के बीच का अंतराल लगभग 16 घंटे का होना चाहिए। इसके अलावा की लोग इस नए चलन के तहत सप्ताह में एक दिन ठोस आहार ग्रहण ना करने का नियम भी बना सकते हैं।
उपवास के फायदे
डॉ सीताराम कहते हैं की उपवास सिर्फ आस्था से नहीं बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है। चिकित्सकों का मानना है की सही तरीके से व्रत रखने से शरीर का मेटबालिज़्म बेहतर होता है। व्रत के चलते हमारे शरीर के पाचन तंत्र ओर उससे जुड़े अंगों को उनके नियमित कार्यों से आराम मिलता है जिससे शरीर में ऊर्जा का संचरण होता है ।इसके अलावा इस दौरान शरीर के विभिन्न तंत्र हानिकरक तत्वों या जिन्हे टॉक्सिनस भी कहते है को दूर करने का कार्य भी करते हैं। इसके अलावा व्रत के दौरान हमारे शरीर में पाए जाने वाले हार्मोन लेपटिन जो की फैट सेल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है, पर असर करता है और वजन काम करने में मदद करता है।व्रत ब्लड शुगर लेवल को कम करने और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा उपवास से कोरोनरी हृदय रोगों में कमी आती है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है।
उपवास के नुकसान
व्रत रखने के फायदे बहुत हैं लेकिन बीमार व्यक्तियों के लिए व्रत रखने की सलाह चिकित्सक नहीं देते हैं। हृदय रोगियों, मधुमेह रोगियों, एसिडिटी के मरीजों सहित उन तमाम लोगो को व्रत के परहेज करना चाहिए जिन्हे नियमित रूप दवाइयों का सेवन करना पड़ता हो।वहीं त्यौहारों पर धार्मिक मान्यताओं के साथ व्रत रखने वाले लोग फलाहार के नाम पर जरूरत से ज्यादा कैलोरी वाला भोजन कर लेते हैं जिसे पचाने में उनकी काफी ऊर्जा खर्च हो जाती है। इसके अलावा वो लोग जो सिर्फ वजन कम करने के लिए व्रत रखते है ये भूल जाते हैं कम भोजन करने ओर भोजन ना करने में बहुत अंतर होता है। विशेष तौर पर महिलायें वजन कम करने के लिए खाना और पानी लगभग छोड़ ही देती हैं। जिससे ना सिर्फ उन्हे कमजोरी हो जाती है बल्कि उनके शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है। सामान्य व्यक्ति भी जब व्रत रखते है तो की बार उन्हे सर में दर्द, शरीर में पानी की कमी और कब्ज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।