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कोविड 19: सफल टीकाकरण के लिए लोगों में जागरूकता जरूरी - vaccine hesitancy

जानलेवा महामारी कोरोनावायरस से बचाने के लिए कोविड-19 का टीका लोगों के मन में आशा की एक किरण लेकर आया है. लेकिन कोरोनावायरस के टीके को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रम और जन जागरूकता की कमी, टीकाकरण को लेकर उनमें हिचकिचाहट उत्पन्न कर रही है. ETV भारत ने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ हैदराबाद तथा पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में प्रवक्ता डॉ. नंदकिशोर कनूरी तथा डॉक्टर गौरी अय्यर से बात की है.

Vaccine hesitancy
वैक्सीन हेजिटेन्सी
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Published : Feb 9, 2021, 5:27 PM IST

कोविड-19 का टीका दुनिया भर में लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट तथा मन में संतोष लाया है कि अब वह कोरोनावायरस जैसी जानलेवा महामारी बच पाएंगे. इस भरोसे के साथ ही भारत में 16 जनवरी को कोविड-19 वैक्सीन को लांच किया गया. हमारे देश में टीकाकरण का पहला चरण अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा सफल रहा. जिसमें पूरे देश में 14 दिनों में लगभग 33 लाख स्वास्थ्य कर्मियों, 50 साल से ज्यादा आयु वाले बुजुर्गों तथा 50 साल से कम आयु वाले ऐसे लोग, जो किसी ना किसी प्रकार की कोमोरबिड बीमारी से जूझ रहे हैं, को टीका लगाया गया. यह संख्या यूके, यूएसए तथा इजराइल जैसे देशों में लगाए जाने वाले टीको की संख्या से काफी अधिक है. लेकिन सफल अभियान के बावजूद विभिन्न कारणों से ना सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों के लोगों में भी टीकाकरण को लेकर असमंजसता तथा हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, हैदराबाद तथा पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में प्रवक्ता डॉ. नंदकिशोर कनूरी तथा डॉक्टर गौरी अय्यर ने संयुक्त रूप से लोगों में कोरोना वैक्सीन को लेकर फैली हिचकिचाहट तथा उसे दूर करने के उपायों के बारे में ETV भारत सुखीभवा के साथ विस्तार से चर्चा की.

वैक्सीन लगवाने को लेकर लोगों में हिचकिचाहट

वैक्सीन यानी टीका दुनिया भर में विज्ञान तथा चिकित्सा जगत की उन महत्वपूर्ण खोजों में से एक माना जाता है, जो संक्रमण फैलाने वाली जानलेवा बीमारियों से हमारी सुरक्षा करता हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैक्सीन एक ऐसा सुरक्षा कवच है, जो हर साल लगभग 2.3 मिलियन लोगों की जान बचाता है.

लेकिन शुरुआत से ही किसी भी बीमारी के टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करना सरल नहीं रहा है. दुनिया भर में कभी धार्मिक मान्यताओं, कभी स्वास्थ्य पर टीका लगवाने के कारण पड़ने वाले पार्श्व प्रभावों का डर तथा टीका लगवाने पर नई बीमारी हो जाने जैसी अफवाहों को लेकर जन जागरूकता की कमी के कारण लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर तथा हिचकिचाहट महसूस की जाती रही है. वर्ष 1796 में जब एडवर्ड जेनर ने स्मॉल पॉक्स रोग के लिए टीके की खोज की थी, तब भी अधिकांश लोगों ने इन्ही कारणों से टीका लगवाने से मना कर दिया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीकाकरण को लेकर लोगों में हिचकिचाहट, दुनिया भर में स्वास्थ्य पर भारी पड़ने वाली दस सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है. हमारे देश में भी टीको को लेकर हिचकिचाहट कोई नई बात नहीं है.

कैसे बचें वीएच यानी वैक्सीन हेजिटेन्सी से

डॉ नंदकिशोर कनूरी तथा डॉक्टर गौरी अय्यर बताते हैं की वैक्सीन हेजिटेन्सी यानी टीकाकरण को लेकर हिचकिचाहट जैसी अवस्था से बचने के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि लोगों में वैक्सीन के फायदों को लेकर जागरूकता फैलाई जाए. बहुत जरूरी है कि लोगों में यह विश्वास जागृत हो कि यह वैक्सीन हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, ना की किसी अन्य रोगों का कारण बनता है. इसके अलावा टीकाकरण करवा चुके लोगों के अनुभव को भी दूसरे लोगों के साथ साझा किया जाना चाहिए, ताकि उनके मन से टीकाकरण को लेकर डर कम हो.

इसके अलावा कुछ अन्य तरीके भी हैं, जिनको आजमा कर कोरोना के टीके के प्रति लोगों में वैक्सीन हेजिटेन्सी की समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

  1. सबसे पहले जरूरी है कि टीकाकरण की प्रक्रिया सस्ती, सरल तथा आरामदायक हो, जिससे हर वर्ग के लोग इसे अपना सकें.
  2. विभिन्न समुदायों से जुड़े लोगों, विशेषकर ऐसे धार्मिक समुदाय जिनमें टीकाकरण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं व्याप्त हैं, को टीकाकरण प्रक्रिया तथा टीकाकरण को लेकर जन जागरूकता अभियान से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए, ताकि सभी धर्मों के लोगों में सटीक जानकारी पहुंच सके और वे टीका लगवाने के लिए प्रेरित हों.
  3. बहुत जरूरी है कि वैक्सीन, उसके लगने की प्रक्रिया तथा उसके शरीर पर पड़ने वाले सकारात्मक तथा नकारात्मक असर के बारे में बात करने तथा प्रश्न करने के लिए लोगों के पास एक मंच हो. जिससे उनके डर तथा जिज्ञासायें दूर हो सके.
  4. वैक्सीन को लेकर लोगों में फैले भ्रम और अफवाहों के बारे में जागरूक करने के लिए अखबार, टीवी चैनल, सोशल मीडिया तथा इंटरनेट के अन्य साधनों की मदद ली जा सकती है. इन माध्यमों की मदद से चिकित्सक तथा जानकार लोगों को टीको के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सही असर के बारे में सही जानकारी पहुंचा सकते हैं.
  5. प्राथमिक स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी इतने सक्षम होने चाहिए कि वह टीको को लेकर लोगों की जिज्ञासा तथा डर दूर कर, आरमदायक माहौल में टीका लगा सके.
  6. कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर लोगों का भरोसा बढ़ाने का प्रयास करने के साथ ही आमजन को सुरक्षा के मद्देनजर टीकाकरण के उपरांत भी, किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए मास्क पहनने तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

कोविड-19 का टीका दुनिया भर में लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट तथा मन में संतोष लाया है कि अब वह कोरोनावायरस जैसी जानलेवा महामारी बच पाएंगे. इस भरोसे के साथ ही भारत में 16 जनवरी को कोविड-19 वैक्सीन को लांच किया गया. हमारे देश में टीकाकरण का पहला चरण अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा सफल रहा. जिसमें पूरे देश में 14 दिनों में लगभग 33 लाख स्वास्थ्य कर्मियों, 50 साल से ज्यादा आयु वाले बुजुर्गों तथा 50 साल से कम आयु वाले ऐसे लोग, जो किसी ना किसी प्रकार की कोमोरबिड बीमारी से जूझ रहे हैं, को टीका लगाया गया. यह संख्या यूके, यूएसए तथा इजराइल जैसे देशों में लगाए जाने वाले टीको की संख्या से काफी अधिक है. लेकिन सफल अभियान के बावजूद विभिन्न कारणों से ना सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों के लोगों में भी टीकाकरण को लेकर असमंजसता तथा हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, हैदराबाद तथा पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में प्रवक्ता डॉ. नंदकिशोर कनूरी तथा डॉक्टर गौरी अय्यर ने संयुक्त रूप से लोगों में कोरोना वैक्सीन को लेकर फैली हिचकिचाहट तथा उसे दूर करने के उपायों के बारे में ETV भारत सुखीभवा के साथ विस्तार से चर्चा की.

वैक्सीन लगवाने को लेकर लोगों में हिचकिचाहट

वैक्सीन यानी टीका दुनिया भर में विज्ञान तथा चिकित्सा जगत की उन महत्वपूर्ण खोजों में से एक माना जाता है, जो संक्रमण फैलाने वाली जानलेवा बीमारियों से हमारी सुरक्षा करता हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैक्सीन एक ऐसा सुरक्षा कवच है, जो हर साल लगभग 2.3 मिलियन लोगों की जान बचाता है.

लेकिन शुरुआत से ही किसी भी बीमारी के टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करना सरल नहीं रहा है. दुनिया भर में कभी धार्मिक मान्यताओं, कभी स्वास्थ्य पर टीका लगवाने के कारण पड़ने वाले पार्श्व प्रभावों का डर तथा टीका लगवाने पर नई बीमारी हो जाने जैसी अफवाहों को लेकर जन जागरूकता की कमी के कारण लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर तथा हिचकिचाहट महसूस की जाती रही है. वर्ष 1796 में जब एडवर्ड जेनर ने स्मॉल पॉक्स रोग के लिए टीके की खोज की थी, तब भी अधिकांश लोगों ने इन्ही कारणों से टीका लगवाने से मना कर दिया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीकाकरण को लेकर लोगों में हिचकिचाहट, दुनिया भर में स्वास्थ्य पर भारी पड़ने वाली दस सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है. हमारे देश में भी टीको को लेकर हिचकिचाहट कोई नई बात नहीं है.

कैसे बचें वीएच यानी वैक्सीन हेजिटेन्सी से

डॉ नंदकिशोर कनूरी तथा डॉक्टर गौरी अय्यर बताते हैं की वैक्सीन हेजिटेन्सी यानी टीकाकरण को लेकर हिचकिचाहट जैसी अवस्था से बचने के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि लोगों में वैक्सीन के फायदों को लेकर जागरूकता फैलाई जाए. बहुत जरूरी है कि लोगों में यह विश्वास जागृत हो कि यह वैक्सीन हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, ना की किसी अन्य रोगों का कारण बनता है. इसके अलावा टीकाकरण करवा चुके लोगों के अनुभव को भी दूसरे लोगों के साथ साझा किया जाना चाहिए, ताकि उनके मन से टीकाकरण को लेकर डर कम हो.

इसके अलावा कुछ अन्य तरीके भी हैं, जिनको आजमा कर कोरोना के टीके के प्रति लोगों में वैक्सीन हेजिटेन्सी की समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

  1. सबसे पहले जरूरी है कि टीकाकरण की प्रक्रिया सस्ती, सरल तथा आरामदायक हो, जिससे हर वर्ग के लोग इसे अपना सकें.
  2. विभिन्न समुदायों से जुड़े लोगों, विशेषकर ऐसे धार्मिक समुदाय जिनमें टीकाकरण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं व्याप्त हैं, को टीकाकरण प्रक्रिया तथा टीकाकरण को लेकर जन जागरूकता अभियान से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए, ताकि सभी धर्मों के लोगों में सटीक जानकारी पहुंच सके और वे टीका लगवाने के लिए प्रेरित हों.
  3. बहुत जरूरी है कि वैक्सीन, उसके लगने की प्रक्रिया तथा उसके शरीर पर पड़ने वाले सकारात्मक तथा नकारात्मक असर के बारे में बात करने तथा प्रश्न करने के लिए लोगों के पास एक मंच हो. जिससे उनके डर तथा जिज्ञासायें दूर हो सके.
  4. वैक्सीन को लेकर लोगों में फैले भ्रम और अफवाहों के बारे में जागरूक करने के लिए अखबार, टीवी चैनल, सोशल मीडिया तथा इंटरनेट के अन्य साधनों की मदद ली जा सकती है. इन माध्यमों की मदद से चिकित्सक तथा जानकार लोगों को टीको के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सही असर के बारे में सही जानकारी पहुंचा सकते हैं.
  5. प्राथमिक स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी इतने सक्षम होने चाहिए कि वह टीको को लेकर लोगों की जिज्ञासा तथा डर दूर कर, आरमदायक माहौल में टीका लगा सके.
  6. कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर लोगों का भरोसा बढ़ाने का प्रयास करने के साथ ही आमजन को सुरक्षा के मद्देनजर टीकाकरण के उपरांत भी, किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए मास्क पहनने तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.
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