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मधुमेह में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं एंटासिड

पेट में गैस या एसिडिटी होने पर चिकित्सक आमतौर पर एंटासिड दवाइयाँ लोगों को देते हैं| यही नहीं, ऐसे लोग जो किसी गंभीर बीमारी या अस्वस्थता के चलते 'हेवी दवाइयाँ' ले रहे हों, उन्हें भी चिकित्सक इस सोच के साथ एंटासिड दवाइयाँ देते हैं की उनके पाचन तंत्र पर ज्यादा असर न पड़े। लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ध्यन में सामने आया है की एंटासिड दवाइयाँ मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा पर नियंत्रण करने में भी सक्षम हैं।

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मधुमेह और एंटासिड
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Published : Aug 24, 2021, 2:28 PM IST

25 जून, 2021 को द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में ऑनलाइन प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है की कुछ एंटासिड मधुमेह के मरीजों में रक्त शर्करा के स्तर में सुधार कर सकते हैं। शोध के अनुसार प्रोटॉन पंप अवरोधक यानी पीपीआई, जो की विशिष्ट प्रकार के एंटासिड की श्रेणी में आते हैं और पेट की कोशिकाओं को हाइड्रोजन आयनों के रूप में एसिड बनाने से रोकते हैं, मधुमेह रोगियों में बेहतर तरीके से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में भी सक्षम हैं।

क्या है एंटासिड

एंटासिड के शरीर पर असर को जानने से पहले जरूरी है की यह जाना जाय की एंटासिड किस तरह से काम करता है। दरअसल एंटासिड दवाओं का एक वर्ग है, जो पेट में एसिड को बेअसर करता है। इनमें एल्युमिनियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम या सोडियम बाइकार्बोनेट जैसे तत्व होते हैं, जो पेट के एसिड का मुकाबला करने और इसके पीएच को अधिक तटस्थ बनाने के लिए क्षार के रूप में कार्य करते हैं। एंटासिड का उपयोग गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी), जिसे एसिड रिफ्लेक्स भी कहा जाता है तथा अपच के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है।

इनमें कुछ विशेष प्रकार के एंटासिड का उपयोग अलग-अलग चिकित्सा स्थितियों में भी किया जाता है जैसे ऐसे एंटासिड जिनमें एल्युमिनियम हो, रक्त में फॉस्फेट के बढ़े हुए स्तर को कम करता है और गुर्दे में पथरी बनने से रोकता है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम की कमी के इलाज में कैल्शियम कार्बोनेट वाले एंटासिड तथा मैग्नीशियम की कमी के इलाज के लिए मैग्नीशियम ऑक्साइड एंटासिड लेने के लिए चिकित्सक निर्देशित करते हैं।

ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है एंटासिड

एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित इस नए मेटा-विश्लेषण में पाया गया है की मधुमेह पीड़ितों में विशेष एंटासिड पीपीआई के प्रभाव से उनके रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार आया है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है की एंटासिड के उपयोग से मधुमेह से बचा जा सकता है या उसके खतरे को कम किया जा सकता है।

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने मधुमेह पीड़ितों में रक्त शर्करा के स्तर पर प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) के प्रभावों पर एक मेटा-विश्लेषण किया और जानने का प्रयास किया की क्या ये दवाएं सामान्य आबादी में मधुमेह की नई शुरुआत को रोक सकती हैं?

विश्लेषण में ग्लाइसेमिक नियंत्रण के लिए सात अध्ययन किए गए जिसमें 342 प्रतिभागी शामिल थे। इसके साथ मधुमेह के जोखिम के लिए 5 अध्ययन किए गए जिसमें 244, 439 प्रतिभागी शामिल थे। इन अध्ययनो में शोधकर्ताओं ने पाया कि ये एंटासिड मधुमेह से पीड़ित लोगों में एचबीए1सी के स्तर को 0.36% तक कम कर सकता है। इसके साथ ही सात नैदानिक ​​परीक्षणों के परिणामों के आधार पर यह जानकारी भी मिली की उपवास रक्त शर्करा को 10 मिलीग्राम/डेसीलीटर तक कम कर सकता है।

वहीं ऐसे लोग जो मधुमेह से पीड़ित नहीं थे, उन पर किए गए पांच अध्ययनों के नतीजो में सामने आया की मधुमेह होने के जोखिम को कम करने पर एंटासिड्स का योगदान नहीं होता है।

शोध में शामिल स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं की रक्त शर्करा के स्तर में सुधार के लिए पीपीआई का उपयोग किया जाना चाहिए या नहीं, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। शोध के नतीजों को लेकर शोधकर्ता तथा पालो ऑल्टो, कैलिफ़ोर्निया में स्टैनफोर्ड हेल्थ केयर के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. मर्लिन टैन कहते हैं की जब तक रोगी को जठरांत्र संबंधी समस्याएं न हों, उन्हे सिर्फ इस उम्मीद में की यह मधुमेह में फायदा पहुंचाएगा, एंटासिड शुरू नहीं करना चाहिए।

पढ़ें: आयुर्वेदिक उपायों से करें मधुमेह को नियंत्रित

25 जून, 2021 को द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में ऑनलाइन प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है की कुछ एंटासिड मधुमेह के मरीजों में रक्त शर्करा के स्तर में सुधार कर सकते हैं। शोध के अनुसार प्रोटॉन पंप अवरोधक यानी पीपीआई, जो की विशिष्ट प्रकार के एंटासिड की श्रेणी में आते हैं और पेट की कोशिकाओं को हाइड्रोजन आयनों के रूप में एसिड बनाने से रोकते हैं, मधुमेह रोगियों में बेहतर तरीके से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में भी सक्षम हैं।

क्या है एंटासिड

एंटासिड के शरीर पर असर को जानने से पहले जरूरी है की यह जाना जाय की एंटासिड किस तरह से काम करता है। दरअसल एंटासिड दवाओं का एक वर्ग है, जो पेट में एसिड को बेअसर करता है। इनमें एल्युमिनियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम या सोडियम बाइकार्बोनेट जैसे तत्व होते हैं, जो पेट के एसिड का मुकाबला करने और इसके पीएच को अधिक तटस्थ बनाने के लिए क्षार के रूप में कार्य करते हैं। एंटासिड का उपयोग गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी), जिसे एसिड रिफ्लेक्स भी कहा जाता है तथा अपच के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है।

इनमें कुछ विशेष प्रकार के एंटासिड का उपयोग अलग-अलग चिकित्सा स्थितियों में भी किया जाता है जैसे ऐसे एंटासिड जिनमें एल्युमिनियम हो, रक्त में फॉस्फेट के बढ़े हुए स्तर को कम करता है और गुर्दे में पथरी बनने से रोकता है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम की कमी के इलाज में कैल्शियम कार्बोनेट वाले एंटासिड तथा मैग्नीशियम की कमी के इलाज के लिए मैग्नीशियम ऑक्साइड एंटासिड लेने के लिए चिकित्सक निर्देशित करते हैं।

ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है एंटासिड

एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित इस नए मेटा-विश्लेषण में पाया गया है की मधुमेह पीड़ितों में विशेष एंटासिड पीपीआई के प्रभाव से उनके रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार आया है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है की एंटासिड के उपयोग से मधुमेह से बचा जा सकता है या उसके खतरे को कम किया जा सकता है।

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने मधुमेह पीड़ितों में रक्त शर्करा के स्तर पर प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) के प्रभावों पर एक मेटा-विश्लेषण किया और जानने का प्रयास किया की क्या ये दवाएं सामान्य आबादी में मधुमेह की नई शुरुआत को रोक सकती हैं?

विश्लेषण में ग्लाइसेमिक नियंत्रण के लिए सात अध्ययन किए गए जिसमें 342 प्रतिभागी शामिल थे। इसके साथ मधुमेह के जोखिम के लिए 5 अध्ययन किए गए जिसमें 244, 439 प्रतिभागी शामिल थे। इन अध्ययनो में शोधकर्ताओं ने पाया कि ये एंटासिड मधुमेह से पीड़ित लोगों में एचबीए1सी के स्तर को 0.36% तक कम कर सकता है। इसके साथ ही सात नैदानिक ​​परीक्षणों के परिणामों के आधार पर यह जानकारी भी मिली की उपवास रक्त शर्करा को 10 मिलीग्राम/डेसीलीटर तक कम कर सकता है।

वहीं ऐसे लोग जो मधुमेह से पीड़ित नहीं थे, उन पर किए गए पांच अध्ययनों के नतीजो में सामने आया की मधुमेह होने के जोखिम को कम करने पर एंटासिड्स का योगदान नहीं होता है।

शोध में शामिल स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं की रक्त शर्करा के स्तर में सुधार के लिए पीपीआई का उपयोग किया जाना चाहिए या नहीं, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। शोध के नतीजों को लेकर शोधकर्ता तथा पालो ऑल्टो, कैलिफ़ोर्निया में स्टैनफोर्ड हेल्थ केयर के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. मर्लिन टैन कहते हैं की जब तक रोगी को जठरांत्र संबंधी समस्याएं न हों, उन्हे सिर्फ इस उम्मीद में की यह मधुमेह में फायदा पहुंचाएगा, एंटासिड शुरू नहीं करना चाहिए।

पढ़ें: आयुर्वेदिक उपायों से करें मधुमेह को नियंत्रित

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