भेंगापन आंखों की एक ऐसी समस्या है जिसमें दोनों आंखें सीधी देखने के बजाय विपरीत दिशाओं में देखती हैं। माना जाता है की नेत्र संबधी इस समस्या का यदि बचपन में सही समय पर पता चल जाय तो भेंगेपन से काफी हद तक बचा जा सकता है। आमतौर पर स्क्विंट, क्रॉस आइज़ या भेंगेपन के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है।
इस संबंध में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने बाल एवं न्यूरो नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ सुषमा रेड्डी कटुकुरी से बात की।
क्या है भेंगापन
डॉ सुषमा बताती हैं की भेंगापन एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखें गलत संरेखित हो जाती हैं यानी विपरीत दिशाओं में देखने लगती है। वे बताती हैं की लगभग 30% बच्चों में भेंगापन आंखो की एक आम समस्या के रूप में सामने आता है । हालांकि इस संबंध में किए गए जनसंख्या आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार लोगों विशेषकर बच्चों में यह समस्या 0.2% से 40% तक हो सकती है।
जटिल रोग है या कॉस्मेटिक समस्या है भेंगापन
डॉ सुषमा बताती हैं भेंगापन निसन्देह लोगों की आँखों में खटकता हैं , साथ ही कई बार इसके चलते नेत्र संबंधी कुछ गंभीर समायाओं को लोगों का लोगों को सामना करना पड सकता है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं ।
- 3 डी दृष्टि या बायनोंकुलेरिटी (स्टीरियोप्सिस )
बच्चे में भेंगापन नजर आने के बाद भी यदि उसके इलाज को लेकर ज्यादा ध्यान न दिया जाय तो उसकी 3डी दृष्टि पर असर पड़ता ही। यानी लंबी दूरी में और चारों तरफ देखने में उसे समस्या होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप उसे कोई भी लिखने पढ़ने का कार्य करने ,ड्राइविंग करने , खेलने सहित ऐसे कार्य करने में समस्या होती है जिसमें किसी भी तरह की गहराई और दूरी के बारे में सटीक जानकारी की आवश्यकता होती है।
- आलसी आँख : छोटी उम्र में यदि बच्चों में इस समस्या का पता चल जाता है तो काफी हद तक पैचींग और नेत्र व्यायामों की मदद से इस रोग बच्चे में नेत्रदोष को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी समस्या में समय पर इलाज न होने से नेत्र समस्या स्थाई हो जाती है और बच्चों की आँखों में भेंगापन नजर आने लगता है। ऐसी स्थिति को आलसी आँख कहते हैं।
भेंगेपन के कारण
डॉ सुषमा बताती है की भेंगेपन के सही और सटीक कारण हमेशा ज्ञात नहीं होते है। बच्चों में अक्सर यह अपवर्तक त्रुटियों (लंबी दृष्टि या छोटी दृष्टि) जैसी दृष्टि संबंधी समस्याओं और उनके सही समय पर सही इलाज न होने के कारण हो सकती है। वहीं आमतौर पर आंखों की मांसपेशियों की कमजोरी भी इस समस्या का कारण हो सकती है। हालांकि इस अवस्था में सर्जरी काफी मददगार साबित हो सकती है। कभी-कभी यह समस्या वंशानुगत, न्यूरोलॉजिकल या किसी संक्रमण के कारण भी हो सकती है। हालांकि ऐसे मामले काफी कम देखने में आते हैं।
वर्तमान समय में बच्चों में परोक्ष रूप से बढ़ा हुआ डिजिटल स्क्रीन समय के चलते भी बच्चों में भेंगेपन की समस्या देखने में आने लगी है क्योंकि इस अवस्था में नेत्रों की अपवर्तक त्रुटियों पर प्रभाव पड़ता है।
भेंगापन का इलाज
डॉ सुषमा बताती हैं की एक बार संदेह होने पर बच्चों की आँखों की जांच बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ करवानी चाहिए। सही समय पर समस्या की जानकारी होने पर चश्मे, व्यायाम या सर्जरी की मदद से इस समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
वे बताती हैं की इस अवस्था में गहन जांच के उपरांत ही समस्या की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है और उपचार की दिशा निर्धारित की जा सकती है। जैसे कुछ मामलों भेंगेपन को केवल चश्मे से ही ठीक किया जा सकता है।वहीं कुछ मामलों में ओकुलर सर्जरी की मदद ली जाती है ,जो एक्स्ट्रा ओक्यूलर मांसपेशियों पर की जाती है ताकि भेंगापन, आँखों का गलत संरेखण ठीक किया जा सके। आम तौर पर भेंगेपन के लिए की गई सर्जरी के उपरांत किसी प्रकार की जटिलताएं नहीं देखी जाती हैं।
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सामाजिक जीवन पर असर
डॉ सुषमा बताती है की यह समस्या होने पर न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों में आत्मविश्वास की कमी, लोगों से संवाद बनाने में समस्या, नकारात्मक सामाजिक पूर्वाग्रह, सामाजिक चिंता में वृद्धि होने लगती है यह तक की बड़ों को रोजगार मिलने में भी समस्याएं होती है।
डॉ सुषमा बताती हैं की बच्चों में किसी देखने से जुड़ी किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधी को नजर अंदाज नही करना चाहिए। जैसे आंखों का किसी भी प्रकार का असामान्य विचलन या आंखों का गलत संरेखण या आंखों की गति में समन्वय की कमी, असामान्य सिर मुद्रा विशेष रूप से टीवी देखते समय या किताबें पढ़ना आदि । इसके अतिरिक्त क उम्र में ही कम से कम एक बार उनकी नेत्रजांच अवश्य करवानी चाहिए । ऐसी समस्या महसूस होने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि कभी- कभी भेंगापन गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या या नेत्र कैंसर का संकेत भी हो सकता है।