नई दिल्ली: नांगल राया गांव के बिजली के खंभों पर तारों का ऐसा मकड़जाल फैला है, जो यहां रहने वालों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. यह जाल इतना ज्यादा है कि लोगों के घरों की बालकनी से सट कर निकलता है, जिससे लोग दहशत में रहते हैं. बिजली के इन खंभों पर केबल, इंटरनेट वितरण करने वाली कंपनियों ने अपने तार बिछा रखे हैं, जिससे इन गलियों में बड़ी गाड़ियों के घुसने में काफी परेशानी होती है.
दरअसल, कुछ दिन पहले यहां एक आग लगने का मामला सामने आया था. आग बुझाने के लिए जब फायर ब्रिगेड़ की गाड़ी आई, तो तारों के चलते वो घटना स्थल तक नहीं पहुंच पाई. इससे पहले भी यहां आग लगने की बड़ी घटना हो चुकी है लेकिन तारों के कारण पहले भी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां यहां तक नहीं पहुंच सकीं. जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार निजी बिजली कंपनी BSES के साथ-साथ केबल ऑपरेटर और इंटकनेट वालों को भी शिकायत की गई है, बावजूद इसके किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है. अब इस गांव के लोगों के समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या है और कैसे हो सकता है, क्योंकि उन्हें इस बात का डर सताता रहता है कि अगर कहीं भी आग लगने की कोई घटना होती भी है तो ऐसे में फायर की गाड़ी का नहीं आना घटना को और भी गंभीर बना देता है. इतना ही नहीं ऊपर की मंजिल में रहने वाले लोग घर का कूड़ा भी कुड़े की गाड़ी आने पर ऊपर से नहीं फेंक सकते.
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दरअसल, यह जितने भी तार केबल, इंटरनेट वितरण करने वाली कंपनी द्वारा लगाया जाता है, वह पूरी तरह से अवैध हैं और वह इन तारों को लगाते वक्त बिजली के खंभों और तारों की भी परवाह नहीं करते. इतना ही नहीं वह जिन तारों को पहले लगाते हैं, अगर वह तार खराब हो जाती है तो उसे बाद में हटाते भी नहीं और दूसरी नई तार लगा देते हैं. जिसकी वजह से ही तारों का यह मकड़जाल बन जाता है. इस संबंध में साउथ एमसीडी के पूर्व मेयर और नेता सदन नरेंद्र चावला से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि इस संबंध में सदन में जल्द ही चर्चा की जाएगी. साथ ही एक गाइडलाइंस बनाने को लेकर भी विचार किया जाएगा, ताकि अवैध रूप से इन तारों के जाल फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सके. फिलहाल इसके लिए कोई तय गाइडलाइंस नहीं है.
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