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स्कूल कैब चालक सरकार से मांग रहे हैं कुछ दिनों की मोहलत, पेनाल्टी खत्म करने की मांग - Delhi Government

स्कूल कैब चालक का कहना है कि पिछले डेढ़ या 2 दशक से अधिक समय से लोग School Cab चला कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के 26 महीने के कठिन वक्त के दौरान जब उनकी गाड़ियां खड़ी थीं, उस पर भी दिल्ली सरकार ने पेनाल्टी लगा दी है.

School Cab Drivers Demand on Delhi Government Penalty
स्कूल कैब चालक की हड़ताल का नजारा
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Published : Aug 12, 2022, 11:49 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के स्कूल कैब चालकों (School Cab Drivers) ने भले ही एक दिन के हड़ताल के बाद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर (Transport Minister) की बातों पर यकीन कर अपना हड़ताल खत्म (Strike Called off) कर लिया है, लेकिन उनकी परेशानियां अभी भी जारी हैं. इतना साफ है कि आने वाले दिनों में अगर उन्हें बेवजह ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट (Transport Department) के अधिकारियों द्वारा परेशान किया गया तो आने वाले दिनों में फिर से हड़ताल हो सकती है. कुछ स्कूल कैब चालकों ने ईटीवी भारत से अपनी परेशानी बयां की.

कुछ स्कूल कैब चालकों का कहना है कि पिछले डेढ़ या 2 दशक से अधिक समय से लोग स्कूल कैब चला कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के 26 महीने के कठिन वक्त के दौरान जब उनकी गाड़ियां खड़ी थीं, उस पर भी दिल्ली सरकार ने पेनाल्टी लगा दी है. अब उस दौरान खड़ी गाड़ियों पर पेनाल्टी लगाने का मतलब क्या है. जब स्कूल बंद था और उनकी गाड़ियां घर पर खड़ी थीं. ऐसे में किस तरह से स्कूल कैब चलाने वाले पेनाल्टी भर सकते हैं.

अपना दर्द बयां करते कैब ड्राइवर्स

कैब चालक नवनीत ने कहा कि कोरोना के समय में अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा था. उस दौरान कितने लोगों की गाड़ियां चोरी हो गई जबकि कई लोगों की गाड़ी कबाड़ बन गई और कई लोगों को मजबूरी में गाड़ी बेचनी पड़ी और जिन जिन लोगों की गाड़ियां पास नहीं हुई हैं अब उनके ऊपर डेढ़-डेढ़ लाख की पेनाल्टी लगी हुई है. ऊपर से जो लोग अब बिना पेनाल्टी के गाड़ी चला रहे हैं. उन पर 15 से 20 हजार का जुर्माना लगाया जा रहा है. यह सब कहां तक जायज है. हमें अपने कागजात सही कराने के लिए कुछ वक्त चाहिए, क्योंकि स्कूल खुले हुए भी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. ऐसे में उन्हें वक्त मिलेगा तो वह गाड़ियां भी पास करा लेंगे.

18 साल से स्कूल कैब चलाने वाले जसविंदर सिंह का कहना है कि 2012-13 में भी इसी तरह की समस्या सामने आई थी. जब दिल्ली सरकार ने गाड़ियों को कमर्शियल कराने पर जोर दिया था. तब हमने अपनी गाड़ियों को कमर्शियल करा लिया. कमर्शियल गाड़ी में हर साल फिटनेस करानी होती है और 5 साल बाद परमिट होता है. जब तक स्कूल चलता रहा हम समय से परमिट और फिटनेस कराते रहें, लेकिन कोरोना का लंबे अंतराल के दौरान हमने यह नहीं कराया. उस दौरान हमारे घर की रोजी-रोटी जैसे-तैसे चल रही थी. गुरुद्वारे से जाकर खाना लाते थे या किसी से उधार लेकर घर चलाया और परिवार का पेट पाला. उस दौरान हमने अपनी खरीदारी को जैसे-तैसे मेंटेन करके रखा ताकि आने वाले समय में सड़क पर चलने लायक रह सकें.

इसे भी देखें : स्कूल कैब चालकों ने बुलाई एक दिन की हड़ताल, कई जगह लगा सड़कों पर जाम, परेशान दिखे अभिभावक

अधिकतर चालकों का यही कहना है कि कोराना काल में कारोबार टूटने के कारण हुए अपनी गाड़ियों का फिटनेस और परमिट नहीं करवा पाए हैं, लेकिन सरकार इस बात को समझने की बजाय उन पर हजारों लाखों रुपए पेनल्टी डाल रही है, जो गलत है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

कैब चालकों को सरकार पर भरोसा है कि सररकार उनकी सभी मांगों को मान लेगी. इतना ही नहीं सरकार के द्वारा फिटनेस व परमिट पर लगी अलग अलग तरह की पेनाल्टी को खत्म करेगी और बदले हालात में कैब चालकों को एडजस्ट करने का मौका देगी.

नई दिल्ली : दिल्ली के स्कूल कैब चालकों (School Cab Drivers) ने भले ही एक दिन के हड़ताल के बाद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर (Transport Minister) की बातों पर यकीन कर अपना हड़ताल खत्म (Strike Called off) कर लिया है, लेकिन उनकी परेशानियां अभी भी जारी हैं. इतना साफ है कि आने वाले दिनों में अगर उन्हें बेवजह ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट (Transport Department) के अधिकारियों द्वारा परेशान किया गया तो आने वाले दिनों में फिर से हड़ताल हो सकती है. कुछ स्कूल कैब चालकों ने ईटीवी भारत से अपनी परेशानी बयां की.

कुछ स्कूल कैब चालकों का कहना है कि पिछले डेढ़ या 2 दशक से अधिक समय से लोग स्कूल कैब चला कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के 26 महीने के कठिन वक्त के दौरान जब उनकी गाड़ियां खड़ी थीं, उस पर भी दिल्ली सरकार ने पेनाल्टी लगा दी है. अब उस दौरान खड़ी गाड़ियों पर पेनाल्टी लगाने का मतलब क्या है. जब स्कूल बंद था और उनकी गाड़ियां घर पर खड़ी थीं. ऐसे में किस तरह से स्कूल कैब चलाने वाले पेनाल्टी भर सकते हैं.

अपना दर्द बयां करते कैब ड्राइवर्स

कैब चालक नवनीत ने कहा कि कोरोना के समय में अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा था. उस दौरान कितने लोगों की गाड़ियां चोरी हो गई जबकि कई लोगों की गाड़ी कबाड़ बन गई और कई लोगों को मजबूरी में गाड़ी बेचनी पड़ी और जिन जिन लोगों की गाड़ियां पास नहीं हुई हैं अब उनके ऊपर डेढ़-डेढ़ लाख की पेनाल्टी लगी हुई है. ऊपर से जो लोग अब बिना पेनाल्टी के गाड़ी चला रहे हैं. उन पर 15 से 20 हजार का जुर्माना लगाया जा रहा है. यह सब कहां तक जायज है. हमें अपने कागजात सही कराने के लिए कुछ वक्त चाहिए, क्योंकि स्कूल खुले हुए भी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. ऐसे में उन्हें वक्त मिलेगा तो वह गाड़ियां भी पास करा लेंगे.

18 साल से स्कूल कैब चलाने वाले जसविंदर सिंह का कहना है कि 2012-13 में भी इसी तरह की समस्या सामने आई थी. जब दिल्ली सरकार ने गाड़ियों को कमर्शियल कराने पर जोर दिया था. तब हमने अपनी गाड़ियों को कमर्शियल करा लिया. कमर्शियल गाड़ी में हर साल फिटनेस करानी होती है और 5 साल बाद परमिट होता है. जब तक स्कूल चलता रहा हम समय से परमिट और फिटनेस कराते रहें, लेकिन कोरोना का लंबे अंतराल के दौरान हमने यह नहीं कराया. उस दौरान हमारे घर की रोजी-रोटी जैसे-तैसे चल रही थी. गुरुद्वारे से जाकर खाना लाते थे या किसी से उधार लेकर घर चलाया और परिवार का पेट पाला. उस दौरान हमने अपनी खरीदारी को जैसे-तैसे मेंटेन करके रखा ताकि आने वाले समय में सड़क पर चलने लायक रह सकें.

इसे भी देखें : स्कूल कैब चालकों ने बुलाई एक दिन की हड़ताल, कई जगह लगा सड़कों पर जाम, परेशान दिखे अभिभावक

अधिकतर चालकों का यही कहना है कि कोराना काल में कारोबार टूटने के कारण हुए अपनी गाड़ियों का फिटनेस और परमिट नहीं करवा पाए हैं, लेकिन सरकार इस बात को समझने की बजाय उन पर हजारों लाखों रुपए पेनल्टी डाल रही है, जो गलत है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

कैब चालकों को सरकार पर भरोसा है कि सररकार उनकी सभी मांगों को मान लेगी. इतना ही नहीं सरकार के द्वारा फिटनेस व परमिट पर लगी अलग अलग तरह की पेनाल्टी को खत्म करेगी और बदले हालात में कैब चालकों को एडजस्ट करने का मौका देगी.

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