नई दिल्ली: कहते हैं जल है तो जीवन है. जीवन है तो संसार है. दिल्ली में लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना का क्या हाल है? इसकी बानगी देख आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. दरअसल, यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली में यमुना की दुर्दशा बहुत खराब हो चुकी है. पर्यावरण दिवस दिवस के मौके पर कालिंदी कुंज घाट पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. जहां के हालात बेहद चिंताजनक नजर आए.
'यमुना नहीं तो जीवन नहीं'
सातवीं कक्षा के अर्जुन के मुताबिक आज पर्यावरण दिवस के मौके पर ही नहीं, मैं काफी समय से यहां पर अपने मम्मी-पापा के साथ अपनी मर्जी से साफ-सफाई करने आता रहता हूं. ऐसे में मुझे बेहद चिंता होती है कि हमारी नदी आज इतने बुरे हालात में है. अगर यही हालात रहे तो जो आगे की पीढ़ी है उनका क्या होगा? ऐसे में आने वाला समय हम लोगों के लिए बहुत सी दिक्कतों से भरा होगा. उन्होंने कहा कि ये आज की सबसे बड़ी जरूरत कि हम पर्यावरण लेकर जागरूक बनें. जो लोग गंदगी फैलाते हैं, उन्हें यमुना को साफ रखने में योगदान देना चाहिए.
सांस तक नहीं ले पाएंगे
इसी दौरान भीम गुप्ता ने बताया कि नदी जीवन होती है. नदी की साफ-सफाई करना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि सफाई करने के बाद यमुना बहुत अच्छी लगती है. वह प्रकृति की सुंदरता को दर्शाती है. ऐसे में अगर यही हालात लगातार बने रहे तो एक दिन ऐसा होगा कि हमें सांस लेना दूभर हो जायेगा. इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर बदलाव लायें.
औद्योगीकरण ने यमुना की शक्ल बिगाड़ी
राजधानी में यमुना की बदतर हालत की सबसे बड़ी वजह यहां के इंडस्ट्रियल एरिया से निकलने वाले केमिकल हैं. केमिकल यमुना में जाने से पानी प्रदूषित होता है और उसमें झाग बनने लगता है. जिससे यह जहरीले पानी की नदी में तब्दील हो गई है. वहीं इसका जलस्तर बिल्कुल ही निचले स्तर पर पहुंच चुका है. आप खुद देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि यमुना का जो पानी है, वह नाले के रूप में तब्दील हो चुका है.