नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बाद जब आर्थिक संकट आया तो रेहड़ी पटरी में छोटा-मोटा काम करने वाले वेंडर्स के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया, जिसके चलते उन्होंने मुख्यमंत्री आवास के बाहर भीख मांगकर प्रदर्शन करना पड़ा. वहीं कोरोना कम होने के बाद जब दिल्ली अनलॉक हुई तो कई संस्थान और बाजार फिर से खुल गये, लेकिन दिव्यांग वेंडर्स को रेहड़ी पटरी लगाने की अनुमति अभी तक नहीं मिली है और न ही इन वेंडर्स का सरकार और निगम की ओर से कोई सर्वे हुआ है. वहीं जब दिव्यांग वेंडर्स ने इलाके में अपनी दुकानें भी लगानी चाही तो स्थानीय निगम पार्षद अजय शर्मा ने उनकी दुकानें हटवा दीं, जिसके चलते दिव्यांग परेशान हैं और अपनी मांगों को लेकर वह कोर्ट की शरण में जाने की बात कर रहे हैं.
दिव्यांग वेंडर्स की ओर से उनके वकील महावीर शर्मा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने 2016 में एक एक्ट पास किया था, जिसका उद्देश्य वेंडर्स का सर्वे करना था, लेकिन उसके बाद दिव्यांग वेंडर्स का कोई सर्वे नहीं हुआ. इसकी वजह से कोरोना महामारी के बाद यह दिव्यांग वेंडर्स दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन्हें भी दोबारा से अपनी आजीविका चलाने के लिए रोजगार दिया जाए. इसके लिए डाउन वेंडिंग कमेटी (डीवीसी) का भी गठन किया गया, लेकिन सब बेकार रहा. किसी तरह ये लोग अपना रोजगार जमाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इन्हें हटा दिया जाता है ओर इनका सामान उठवा दिया जाता है.
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वकील भी इन दिव्यांग वेंडर्स का सर्वे करवाने की सरकार से मांग कर रहे हैं. वहीं वेंडर्स सर्वे न होने की वजह से एकजुट होकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कर रहे हैं. इन सभी वेंडर का साथ दिल्ली हॉकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अश्वनी बागड़ी भी दे रहे हैं, जो इनके हक की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं. दिल्ली होकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अश्वनी बागड़ी ने बताया कि सरकार इन लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. एक तरफ तो सभी वेंडर्स के सर्वे कराने की बात की जा रही है और वहीं इन दिव्यांग वेंडर्स को छोड़ा जा रहा है, जो तरह से अपनी रोजी-रोटी चलाने की जुगत में लगे हुए हैं. यदि सरकार इन वेंडर्स का सर्वे नहीं कराती तो मजबूरन इन सभी वेंडर को न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा, तभी कुछ समाधान हो सकता है.