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दिल्ली की साइबर पुलिस ने ठगी के मामले में दो आरोपियों को किया गिरफ्तार - दिल्ली की साइबर पुलिस

दिल्ली की साइबर पुलिस ने चीटिंग के एक मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने एक बड़ी कंपनी के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर पेमेंट प्रोसेस को बाईपास करते हुए उससे 33 लाख 60 हजार का ऑर्डर बिना पेमेंट के डिलीवरी करवा लिया.

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दिल्ली की साइबर पुलिस
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Published : Nov 19, 2022, 7:50 PM IST

नई दिल्ली : नई दिल्ली जिले के साइबर थाने की पुलिस ने एक अनूठे धोखाधड़ी के मामले का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिसमें आरोपियों ने एक बड़ी कंपनी के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर पेमेंट प्रोसेस को बाईपास करते हुए उससे 33 लाख 60 हजार का ऑर्डर बिना पेमेंट के डिलीवरी करवा लिया. कंपनी घर बनाने में लगने वाले सभी छोटे-बड़े सामानों की ऑफलाईन और ऑनलाइन सेल करती है. मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शिवम वर्मा और रोहित बंसल के रूप में हुई है. ये दिल्ली के राजगढ़ कॉलोनी और जनकपुरी के रहने वाले हैं. इनके कब्जे से एक लैपटॉप, डेढ़ लाख कैश और 21 लाख रुपए के 254 पेंट के बकेट बरामद किए गए हैं.


पुलिस के अनुसार 10 अक्टूबर को नई दिल्ली जिला के साइबर थाने की पुलिस को दी गयी शिकायत में hippostores.com के वाइस प्रेसिडेंट एम गणेश बाबू ने बताया की हिप्पो स्टोर्स ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी लोगों के लिए उपलब्ध है. कुछ कस्टमर ने उनकी साइट पर ऑर्डर करने के लिए सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर उनमें बदलाव कर दिया. जिससे सिस्टम में पेमेंट सक्सेसफुल दिखने लगा, जबकि उन्होंने ऑर्डर के डिलीवरी के लिए कोई पेमेंट नहीं किया था. इस तरह से अलग-अलग मौकों पर, अज्ञात लोगों ने 33 लाख रुपये के सामानों की डिलीवरी के लिए ऑर्डर किया और इसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर कोई भी भुगतान नहीं किया.

शुरुआती जांच के बाद इस मामले में 9 नवंबर को साइबर सेल थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। मामले की जांच और आरोपियों की पकड़ के लिए एसीपी रतनलाल की देखरेख में एसएचओ विजय पाल के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान पुलिस ने मोबाइल नम्बरों के सीडीआर और आईपीडीआर के साथ आर्डर करने के लिए इस्तेमाल किए गए आईपी की जांच की. इसके विश्लेषण से उन्हें पता चला यह सभी मोबाइल नंबर एमपी के हैं और आईपी प्रॉक्सी नेटवर्क दिखा रहा है.

इसके बाद पुलिस इस मामले में और गहराई से जांच में लग गई. पुलिस टीम ने टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से उसे हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया फर्जी नाम पर उसने सिम कार्ड और मोबाइल अरेंज किया और आगे उसने इस आइडिया को ऊत्तम नगर में पेंट की शॉप चलाने वाले अपने दोस्त रोहित बंसल से ये सोच कर शेयर किया कि वह ऑर्डर किये गए पेंट को बेचने में उसकी हेल्प कर सकता है. रोहित बंसल ने भी उस कंपनी के साईट से बिना किसी भुगतान के पेंट के बकेट्स खरीदे थे. शिवम वर्मा की निशानदेही पर पुलिस ने रोहित बंसल को भी दबोच लिया, और उसके पास से एक लैपटॉप एयर डेढ़ लाख रुपये कैश बरामद किया. शिवम की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर से पेट के 254 बकेट बरामद किया.

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पूछताछ में शिवम ने बताया की वह ऑनलाइन तरीकों से पैसा कमाने के कई तरीकों को आजमा चुका है, लेकिन वह सभी में असफल रहा. जिसके बाद उसने राहुल से पेमेंट प्रोसेस को बायपास कर सामानों के आर्डर की प्रक्रिया के बारे में सीखा. और फिर वह रोहित के साथ मिलकर अलग-अलग मौकों पर फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हुए 33 लाख 60 हजार का पेंट आर्डर कर मंगवा लिया. जिनमें से उसने 13 लाख रुपए के पेंट्स को बेच दिया था. आगे उसने बताया कि उसने इस तरह से ऑर्डर करना बंद कर दिया था, क्योंकि उन्हें पता चल गया था यह कंपनी के लोगों को उनके इस टेक्निक के बारे में पता चल गया है. इसके बाद उन्होंने सिम कार्ड और मोबाइल को फेंक दिया था. इस मामले में पुलिस दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.

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नई दिल्ली : नई दिल्ली जिले के साइबर थाने की पुलिस ने एक अनूठे धोखाधड़ी के मामले का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिसमें आरोपियों ने एक बड़ी कंपनी के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर पेमेंट प्रोसेस को बाईपास करते हुए उससे 33 लाख 60 हजार का ऑर्डर बिना पेमेंट के डिलीवरी करवा लिया. कंपनी घर बनाने में लगने वाले सभी छोटे-बड़े सामानों की ऑफलाईन और ऑनलाइन सेल करती है. मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शिवम वर्मा और रोहित बंसल के रूप में हुई है. ये दिल्ली के राजगढ़ कॉलोनी और जनकपुरी के रहने वाले हैं. इनके कब्जे से एक लैपटॉप, डेढ़ लाख कैश और 21 लाख रुपए के 254 पेंट के बकेट बरामद किए गए हैं.


पुलिस के अनुसार 10 अक्टूबर को नई दिल्ली जिला के साइबर थाने की पुलिस को दी गयी शिकायत में hippostores.com के वाइस प्रेसिडेंट एम गणेश बाबू ने बताया की हिप्पो स्टोर्स ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी लोगों के लिए उपलब्ध है. कुछ कस्टमर ने उनकी साइट पर ऑर्डर करने के लिए सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर उनमें बदलाव कर दिया. जिससे सिस्टम में पेमेंट सक्सेसफुल दिखने लगा, जबकि उन्होंने ऑर्डर के डिलीवरी के लिए कोई पेमेंट नहीं किया था. इस तरह से अलग-अलग मौकों पर, अज्ञात लोगों ने 33 लाख रुपये के सामानों की डिलीवरी के लिए ऑर्डर किया और इसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर कोई भी भुगतान नहीं किया.

शुरुआती जांच के बाद इस मामले में 9 नवंबर को साइबर सेल थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। मामले की जांच और आरोपियों की पकड़ के लिए एसीपी रतनलाल की देखरेख में एसएचओ विजय पाल के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान पुलिस ने मोबाइल नम्बरों के सीडीआर और आईपीडीआर के साथ आर्डर करने के लिए इस्तेमाल किए गए आईपी की जांच की. इसके विश्लेषण से उन्हें पता चला यह सभी मोबाइल नंबर एमपी के हैं और आईपी प्रॉक्सी नेटवर्क दिखा रहा है.

इसके बाद पुलिस इस मामले में और गहराई से जांच में लग गई. पुलिस टीम ने टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से उसे हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया फर्जी नाम पर उसने सिम कार्ड और मोबाइल अरेंज किया और आगे उसने इस आइडिया को ऊत्तम नगर में पेंट की शॉप चलाने वाले अपने दोस्त रोहित बंसल से ये सोच कर शेयर किया कि वह ऑर्डर किये गए पेंट को बेचने में उसकी हेल्प कर सकता है. रोहित बंसल ने भी उस कंपनी के साईट से बिना किसी भुगतान के पेंट के बकेट्स खरीदे थे. शिवम वर्मा की निशानदेही पर पुलिस ने रोहित बंसल को भी दबोच लिया, और उसके पास से एक लैपटॉप एयर डेढ़ लाख रुपये कैश बरामद किया. शिवम की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर से पेट के 254 बकेट बरामद किया.

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पूछताछ में शिवम ने बताया की वह ऑनलाइन तरीकों से पैसा कमाने के कई तरीकों को आजमा चुका है, लेकिन वह सभी में असफल रहा. जिसके बाद उसने राहुल से पेमेंट प्रोसेस को बायपास कर सामानों के आर्डर की प्रक्रिया के बारे में सीखा. और फिर वह रोहित के साथ मिलकर अलग-अलग मौकों पर फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हुए 33 लाख 60 हजार का पेंट आर्डर कर मंगवा लिया. जिनमें से उसने 13 लाख रुपए के पेंट्स को बेच दिया था. आगे उसने बताया कि उसने इस तरह से ऑर्डर करना बंद कर दिया था, क्योंकि उन्हें पता चल गया था यह कंपनी के लोगों को उनके इस टेक्निक के बारे में पता चल गया है. इसके बाद उन्होंने सिम कार्ड और मोबाइल को फेंक दिया था. इस मामले में पुलिस दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.

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