नई दिल्ली/नोएडा: दादरी थाना क्षेत्र में 19 अक्टूबर को बील अकबरपुर गांव निवासी रविंद्र भाटी की हत्या (Ravindra murder case) कर शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया गया था. घटना के बाद से ही पीड़ित परिवार पुलिस से लगातार न्याय की गुहार लगा रहा है. पुलिस ने हत्या की धाराओं में मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक खुलासा नहीं कर पाई है. वहीं, इकलौते बेटे की मौत के बाद न्याय की उम्मीद लगाए बैठे परिजन अब नई पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से अपने बेटे के हत्यारे की तलाश के लिए गुहार लगाएंगे.
दरअसल, दादरी कोतवाली क्षेत्र के बील अकबरपुर गांव निवासी ज्ञानेन्द्र सिंह का पुत्र रविन्द्र (27) एनएच-91 पर ढाबा चलाता था. बीती 19 अक्टूबर को उसकी पत्नी सोनी से विवाद हुआ था. सूचना पाकर उसका साला लोकेन्द्र वहां पहुंचा और स्थिति को शांत होने तक की बात कहकर अपनी बहन को अपने गांव हिम्मतपुर ले गया. जब रविन्द्र को इसके बारे में पता चला तो वह पत्नी को घर लाने की जिद करने लगा. अपने एक किराएदार कुलदीप को लेकर वह पड़ोस के गांव नंगला अपने दोस्तों के पास गाड़ी लेने के लिए निकला था. इसके बाद वह घर नहीं लौटा. कई बार फोन करने पर उसका फोन नहीं उठ रहा था.
परिजन चिंतित थे. अगले दिन सुबह परिजनों को पता चला कि एक युवक का शव अजयापुर चौकी के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ा है. परिजनों ने शव की पहचान रविन्द्र के रूप में की. परिजनों के अनुसार, उसके हाथ पर उसका नाम, गांव का नाम और उसके साले का नाम लिखा था. लेकिन यह हैंडराइटिंग रविन्द्र की नहीं थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
किराएदार कुलदीप ने बार-बार परिजनों और पुलिस को दिए विरोधाभाषी बयान
रविन्द्र के परिजनों ने किराएदार कुलदीप से पूछता कि जब वह तुम्हारे साथ नंगला गया था तो उसके साथ क्या हुआ ? कुलदीप ने परिजनों को बताया कि नंगला पहुंचने से पूर्व ही रविन्द्र ने शराब पी थी. उसे नशा हो गया था. मैंने उससे कहा कि वापस घर चलते हैं. इस बीच वो पेशाब करके आने की बात बोलकर गया लेकिन वह नहीं लौटा. कुलदीप ने बताया कि मैंने रविन्द्र की बहन रजनी को कॉल कर बताया. बाद में वह घर लौट आया.
परिजनों ने कहना है कि कुलदीप ने बताया था कि हादसे के समय रविन्द्र के पास फोन था, जबकि दो दिन बाद चौकी प्रभारी ने बताया कि फोन घर पर ही है. तलाश करें. परिजनों ने फोन को तलाश किया और फोन घर पर ही मिल गया. बाद में पुलिस ने कुलदीप से कुछ पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपना बयान बदल दिया और परिजनों को बताया कि रविन्द्र का फोन घर पर ही था.
पुलिस ने घटना को हादसा सिद्ध करने का किया प्रयास
पीड़ित परिजनों के अनुसार, जिस हालत में रविन्द्र का शव रेलवे ट्रैक पर मिला था, उससे सीधे-सीधे प्रतीत हो रहा था कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सोची समझी साजिश है. रविन्द्र की हत्या को हादसा साबित करने के लिए शव को रेलवे ट्रेक पर रखा गया है. परिजनों का कहना है कि रेल की चपेट में आने से शव कई टुकड़ों में बंट जाता है. रविंद्र के शरीर का कई भी अंग क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है, उसके सिर में ही चोट का निशान था.
पोस्टमार्टम से पूर्व ही पुलिस ने घटना को हादसा बताना शुरू कर दिया. पोस्टमार्टम में भी कुछ ऐसी चीजें सामने आई हैं, जिनसे पूरा घटनाक्रम हत्या की ओर इशारा करता है. इसके बाद भी पुलिस लगातार मामले को हादसा ही मान रही है. हालांकि बाद में आला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामले को हत्या में दर्ज किया.
पुलिस चौकी प्रभारी की कार्यशैली से पीडित परिजन हतप्रभव
पीड़ित परिजनों का कहना है कि तत्कालीन अजयापुर चौकी प्रभारी अनूप दीक्षित मामले को लगातार हादसा बता रहे थे. परिजनों ने कुछ ऐसी बातें चौकी प्रभारी के सामने पेश की, जिससे उन्हें आशंका व्यक्त हो रही थी कि यह मामला हत्या का है. इसके बावजूद चौकी प्रभारी मामले को हत्या मानने को तैयार नहीं थे. वह मामले को केवल एक हादसा मानकर संतुष्ट थे.
परिजनों का सवाल है कि ऐसा क्या सबूत चौकी प्रभारी के हाथ लग गया था, जिससे उसे रविन्द्र की मौत हादसा लग रही है. वह रविन्द्र की मौत को हादसा क्यों साबित करना चाहते हैं ? पीड़ित परिजनों का कहना है कि कई बार कहने के बाद चौकी प्रभारी ने घटना के अहम किरादर और किराएदार कुलदीप को बुलाकर औपचारिक पूछताछ की. जो कुलदीप पहले परिजनों को बता रहा था कि रविन्द्र के पास फोन था, लेकिन चौकी प्रभारी से मुलाकात के बाद से ही कहने लगा कि फोन रविन्द्र के पास नहीं था.
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आरपीएफ जांच में मिल रहे हैं हत्या के प्रमाण
रविन्द्र हत्याकांड़ की जांच आरपीएफ भी कर रही है. जांच अधिकारी ने बताया कि 20 अक्टूबर को पटना राजधानी 12309 के चालक सत्यवीर सिंह ने स्टेशन मास्टर को सूचना दी थी कि रेलवे ट्रेक के बीचो-बीच एक शव पड़ा हुआ है. आरपीएफ जांच अधिकारी ने यूटीआई जांच में ट्रेन चालक सत्यवीर के बयान दर्ज किए गए हैं. अपने बयान में सत्यवीर ने इस बात की पुष्टि की है कि पटना राजधानी ट्रेन के गुजरने से पूर्व ही शव ट्रेन के बीचों बीच रखा गया था.
रविन्द्र हत्याकांड़ से जुड़े अहम सवाल, जिनके जवाब पुलिस को तलाशने हैं
रविन्द्र हत्याकांड़ में कई अहम सवाल खड़े हो रहे हैं. इनके जवाब पुलिस को तलाशने हैं. अपने इकलौते बेटे रविन्द्र को खो चुके पीडित माता-पिता, पत्नी और बच्चे उम्मीद भरी नजरों से पुलिस की ओर देख रहे हैं. रविन्द्र हत्याकांड से जुड़े अहम सवाल हैं -
- किराएदार कुलदीप ने रविन्द्र के अन्य परिजनों को सूचना न देकर दिल्ली में रहने वाली बहन रजनी को ही कॉल क्यों किया?
- कुलदीप ने रविन्द्र के पास फोन होने और बाद में फोन घर पर होने की बात क्यों बदली?
- पुलिस मामले को प्रथम दृष्टया सुसाइड और हादसा मान रही थी तो सवाल उठता है कि रविन्द्र सुसाइड के लिए नंगला से लगभग 8 किमी दूर अजायपुर क्षेत्र में रेलवे ट्रेक पर ही क्यों जाएगा, जबकि उसके पास सुसाइड करने के अन्य विकल्प भी मौजूद थे?
- रविन्द्र आत्महत्या के लिए इतनी दूर पहुंचा कैसे?
- जिस हालत में रविन्द्र का शव मिला, उसे यह रेल से टकराकर हुआ हादसा कतई प्रतीत नहीं हो रहा है?
- आरपीएफ की जांच भी मामले को हत्या की ओर इशारा करती है तो फिर पुलिस किस दिशा में चल रही है?
- तत्कालीन चौकी प्रभारी क्यों बार-बार मामले को हादसा अथवा सुसाइड मान रहे हैं?
- पुलिस ने पूरे घटनाक्रम के अहम किरदार कुलदीप को हिरासत में क्यों नहीं लिया? यदि वह फरार हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
- पुलिस को क्यों नहीं लगता कि कोई तो है जो रविन्द्र की हत्या को हादसा सिद्ध करना चाहता है?
- किसने रविन्द्र के हाथ पर रविन्द्र का नाम और पता लिखा?
- कौन है जो रविन्द्र की मौत का जिम्मेदार उसके साले लोकेन्द्र को ठहराना चाहता है, जिसने रविन्द्र के हाथ पर लोकेन्द्र का नाम लिखा?
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