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सैल्यूट! दिल जीत लेगी इस रेस्टोरेंट की कहानी, यहां मूक-बधिर संभालते हैं काम का जिम्मा

दिल्ली स्थित एक रेस्टोरेंट में मूक बधिर लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. सत्यनिकेतन स्थित रेस्टोरेंट के मैनेजर रामजीत ने बताया कि रेस्टोरेंट की शुरुआत 2015 में की गई थी.

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Published : Apr 13, 2019, 1:01 PM IST

रेस्टोरेंट में मूक बधिर सर्व करते हैं खाना

नई दिल्ली: दिल्ली है दिल वालों की! यह लाइन तो आपने बखूबी सुनी होगी लेकिन वाकई में यह कहा जा सकता है कि दिल्ली दिल वालों की है. दरअसल, यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली में कुछ ऐसे लोग हैं जो समाज को एक समान रूप देने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

दिल जीत लेगी इस रेस्टोरेंट की कहानी

दिल्ली स्थित एक रेस्टोरेंट में मूक बधिर लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. सत्यनिकेतन स्थित रेस्टोरेंट के मैनेजर रामजीत ने बताया कि रेस्टोरेंट की शुरुआत 2015 में की गई थी. समाज में मूक बधिर लोगों को एक तरह से पूछा नहीं जाता है. बल्कि यहां तक देखा गया है कि उनके परिजन भी उन्हें वह महत्व नहीं देते हैं जो समाज में उन्हें मिलनी चाहिए.

पांच मूक बधिर करते हैं काम
रामजीत ने बताया कि यह लोग भी आम व्यक्ति की तरह ही है और इन लोगों के अंदर भी काम करने की क्षमता है. इस बाबत हमने यह प्रयास किया कि क्यों ना ऐसे लोगों को हम रोजगार दें. जिन्हें समाज में इग्नोर किया जाता है. आज यह प्रयास जो है एक सफल साबित हुआ है. हमारे रेस्टोरेंट में काफी संख्या में लोग देखने आते हैं कि कैसे यह लोग काम करते हैं.

मैनेजर रामजीत ने बताया कि दिल्ली में हमारे इस तरह के दो रेस्टोरेंट है. एक साउथ केंपस और दूसरा नॉर्थ केंपस के पास. इस रेस्टोरेंट में पांच मूक बधिर काम करते हैं. यह लोग बेहद ही खुश हैं और अपने जीवन यापन भी अच्छे से कर पा रहे हैं.

कैसे देते हैं यहां ऑर्डर
आपको बता दें कि इस रेस्टोरेंट में आपको ऑर्डर देने के लिए बोलने की जरूरत नहीं है. यहां पर हर टेबल पर एक स्विच लगा हुआ है. आप उस बटन को दबाएंगे और वेटर आपके पास होंगे. अगर आपको मेन मेन्यू मंगाना है या फिर कुछ ऑर्डर देना है तो यहां पर हर टेबल पर एक कैलेंडर भी लगा हुआ है.जिसको आप पलट देंगे तो उसमें कई सारी चीजें लिखी होती हैं. जिसको देखने के बाद मूक बधिर आपका ऑर्डर लेकर आपके पास आ जाएंगे.जो कि एक बेहद ही रोचक तरीका है.

क्या है यहां आने वाले लोगों का फीडबैक
वहीं यहां पर दिन भर में काफी संख्या में लोग आते हैं. यहां आने वाले कस्टमर्स ने बताया कि यह रेस्टोरेंट बेहद यूनिक है. यहां की लाइटिंग और दीवारों पर सजावट एक अलग रेस्टोरेंट को बयां करती है.

बाकी रेस्टोरेंट में हम जाते हैं तो हमें वेटर को आवाज देनी पड़ती है.काफी देर तक हमें इंतजार भी करना पड़ता है. और रेस्टोरेंट में काफी शोर भी रहता है. यहां रेस्टोरेंट में सबसे खास बात यह है कि यहां पर जिस तरीके से मूक बधिर लोग काम करते हैं, और वह किस तरीके से हमारे साथ व्यवहार करते हैं यह देखना बेहद रोचक होता है. इसके अलावा रेस्टोरेंट में जो एक शांति मिलती है. वह भी बेहद अलग महसूस होती है.

नई दिल्ली: दिल्ली है दिल वालों की! यह लाइन तो आपने बखूबी सुनी होगी लेकिन वाकई में यह कहा जा सकता है कि दिल्ली दिल वालों की है. दरअसल, यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली में कुछ ऐसे लोग हैं जो समाज को एक समान रूप देने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

दिल जीत लेगी इस रेस्टोरेंट की कहानी

दिल्ली स्थित एक रेस्टोरेंट में मूक बधिर लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. सत्यनिकेतन स्थित रेस्टोरेंट के मैनेजर रामजीत ने बताया कि रेस्टोरेंट की शुरुआत 2015 में की गई थी. समाज में मूक बधिर लोगों को एक तरह से पूछा नहीं जाता है. बल्कि यहां तक देखा गया है कि उनके परिजन भी उन्हें वह महत्व नहीं देते हैं जो समाज में उन्हें मिलनी चाहिए.

पांच मूक बधिर करते हैं काम
रामजीत ने बताया कि यह लोग भी आम व्यक्ति की तरह ही है और इन लोगों के अंदर भी काम करने की क्षमता है. इस बाबत हमने यह प्रयास किया कि क्यों ना ऐसे लोगों को हम रोजगार दें. जिन्हें समाज में इग्नोर किया जाता है. आज यह प्रयास जो है एक सफल साबित हुआ है. हमारे रेस्टोरेंट में काफी संख्या में लोग देखने आते हैं कि कैसे यह लोग काम करते हैं.

मैनेजर रामजीत ने बताया कि दिल्ली में हमारे इस तरह के दो रेस्टोरेंट है. एक साउथ केंपस और दूसरा नॉर्थ केंपस के पास. इस रेस्टोरेंट में पांच मूक बधिर काम करते हैं. यह लोग बेहद ही खुश हैं और अपने जीवन यापन भी अच्छे से कर पा रहे हैं.

कैसे देते हैं यहां ऑर्डर
आपको बता दें कि इस रेस्टोरेंट में आपको ऑर्डर देने के लिए बोलने की जरूरत नहीं है. यहां पर हर टेबल पर एक स्विच लगा हुआ है. आप उस बटन को दबाएंगे और वेटर आपके पास होंगे. अगर आपको मेन मेन्यू मंगाना है या फिर कुछ ऑर्डर देना है तो यहां पर हर टेबल पर एक कैलेंडर भी लगा हुआ है.जिसको आप पलट देंगे तो उसमें कई सारी चीजें लिखी होती हैं. जिसको देखने के बाद मूक बधिर आपका ऑर्डर लेकर आपके पास आ जाएंगे.जो कि एक बेहद ही रोचक तरीका है.

क्या है यहां आने वाले लोगों का फीडबैक
वहीं यहां पर दिन भर में काफी संख्या में लोग आते हैं. यहां आने वाले कस्टमर्स ने बताया कि यह रेस्टोरेंट बेहद यूनिक है. यहां की लाइटिंग और दीवारों पर सजावट एक अलग रेस्टोरेंट को बयां करती है.

बाकी रेस्टोरेंट में हम जाते हैं तो हमें वेटर को आवाज देनी पड़ती है.काफी देर तक हमें इंतजार भी करना पड़ता है. और रेस्टोरेंट में काफी शोर भी रहता है. यहां रेस्टोरेंट में सबसे खास बात यह है कि यहां पर जिस तरीके से मूक बधिर लोग काम करते हैं, और वह किस तरीके से हमारे साथ व्यवहार करते हैं यह देखना बेहद रोचक होता है. इसके अलावा रेस्टोरेंट में जो एक शांति मिलती है. वह भी बेहद अलग महसूस होती है.

Intro:इस रेस्टोरेंट में आकर दबाएं बैल और पलटे कलेंडर, मुख बिधिर करेंगे सर्व

दक्षिणी दिल्ली: दिल्ली है दिल वालों की! यह लाइन तो आपने बखूबी सुनी होगी लेकिन वाकई में यह कहा जा सकता है कि दिल्ली दिल वालों की है. दरअसल, यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली में कुछ ऐसे लोग हैं जो समाज को एक समान रूप देने के लिए प्रयास कर रहे हैं.इसी कड़ी में साउथ केंपस के पास एक रेस्टोरेंट है .जहां पर मुख बिधिर लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. यहां पर मुखबिधिर बेहद ही रोचकता से काम करते हैं.


Body:साउथ केंपस, सत्यनिकेतन स्थित रेस्टोरेंट के मैनेजर रामजीत ने बताया कि इस रेस्टोरेंट की शुरुआत 2015 में की गई थी. उन्होंने बताया कि समाज में मुखबिर लोगों को एक तरह से पूछा नहीं जाता है. बल्कि यह तक देखा गया है कि उनके परिजन भी उन्हें वह महत्व नहीं देते हैं जो समाज में उन्हें मिलनी चाहिए. उन्होंने बताया कि यह लोग भी आम व्यक्ति की तरह ही है और इन लोगों के अंदर भी काम करने की क्षमता है. इस बाबत हमने यह प्रयास किया कि क्यों ना ऐसे लोगों को हम रोजगार दें.जिन्हें समाज में इग्नोर किया जाता है. आज यह प्रयास जो है एक सफल साबित हुआ है .यहां पर हमारे रेस्टोरेंट में काफी संख्या में लोग इस बाबत ही देखने आते हैं कि यह कैसे काम करते हैं.यह रेस्टोरेंट 2015 से चल रहा है. यह रेस्टोरेंट अपने आप में एक ख्याति बना चुका है. और यहां पर काम करने वाले हैं मुखबिधिर बेहद ही खुशी से काम करते हैं.

पांच मुखबिधिर करते हैं लोगों को सर्व
मैनेजर रामजीत ने बताया कि दिल्ली में हमारे दो इस तरह के रेस्टोरेंट है. एक साउथ केंपस और दूसरा नॉर्थ केंपस के पास. उन्होंने बताया कि इस रेस्टोरेंट में पांच मुख बिधिर रेस्टोरेंट में काम करते हैं. उन्होंने बताया कि यह लोग बेहद ही आज खुश हैं और अपने जीवन का यापान भी कर पा रहे हैं. रामजीत के जरिए जब हमने इन लोगों से बातचीत की तो उनमें एक अलग प्रकार का उमंग दिखा और वह बेहद खुश भी नजर आए.


Conclusion:कैसे देते हैं यहां ऑर्डर
आपको बता दें कि अगर आप इस रेस्टोरेंट में जाना चाहते हैं तो यहां पर आपको ऑर्डर देने के लिए बोलने की जरूरत नहीं है. यहां पर हर टेबल पर एक स्विच बटन लगा हुआ है. आप उस बटन को दबाएंगे और वेटर आपके पास होंगे. इतना ही नहीं अगर आपको मैन मैन्यू मंगाना है या फिर कुछ ऑर्डर देना है तो यहां पर हर टेबल पर एक कैलेंडर भी लगा हुआ है.जिसको आप पलट देंगे तो उसमें कई सारी चीजें लिखी होती है. जिसको देखने के बाद मुख बिधिर आपका ऑर्डर लेकर आपके पास आ जाएंगे.जो कि एक बेहद ही रोचक तरीका है.

क्या है यहां आने वाले लोगों का फीडबैक
वहीं यहां पर दिन भर में काफी संख्या में लोग आते हैं.इस बाबत हमने यहां पहुंचे कुछ लोगों से भी बातचीत की. उन्होंने बताया कि यह रेस्टोरेंट बेहद यूनिक है. यहां की लाइटिंग और दीवारों पर सजावट एक अलग रेस्टोरेंट को बयां करती है. लोगों ने बताया की बाकी रेस्टोरेंट में हम जाते हैं तो हमें वेटर को आवाज देनी पड़ती है .काफी देर तक हमें इंतजार भी करना पड़ता है .और रेस्टोरेंट में काफी शोर भी रहता है.लेकिन यहां रेस्टोरेंट में सबसे खास बात यह है कि यहां पर जिस तरीके से मुखबिधिर लोग काम करते हैं, और वह किस तरीके से हमारे साथ व्यवहार करते हैं यह देखना बेहद रोचक होता है. इसके अलावा रेस्टोरेंट में जो एक शांति मिलती है.वह भी बेहद अलग महसूस होती है. उनका कहना है कि जरूरी है कि हमें भी इन लोगों को समाज में उतनी ही महत्ता देनी चाहिए जितनी कि हम लोगों को है.आज इनके काम करने के तरीके को देखकर यह नहीं लगता है कि इनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी है.
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