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सरोजनी नगर के रंधावा करेंगे लावारिस अस्थियों का विसर्जन

कोरोना काल मे सैकड़ों लावारिश मृतकों का अस्थि विसर्जन बिहार के गया में करने का बीड़ा समाज सेवी अशोक रंधावा ने उठाया है. दिल्ली के विभिन्न श्मशान घाट पर तीन से चार सौ लोगों की अस्थि रखी हुई है. रंधावा सभी श्मशान घाट से अस्थि इकठ्ठा कर 25 सितंबर को ट्रेन से गया के लिए निकलेंगे.

अस्थि विसर्जन
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Published : Sep 24, 2021, 11:00 AM IST

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के दौरान इंसानियत की एक से बढ़कर एक तस्वीर देखने को मिली. इसी सिलसिले में एक और नेक काम जो कि कोरोना महामारी के दौर से ही अधूरा था, उसे पूरा करने का बीड़ा अशोक रंधावा ने उठाया है. दरअसल कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में सैकड़ों लोगों की मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन करने वाला कोई नहीं था. दिल्ली के तमाम शमशान भूमि पर उन लोगों की अस्थियां वैसे ही पड़ी थी. आखिरकार सरोजिनी नगर मार्केट के एक व्यापारी अशोक रंधावा ने इन सभी अस्थियों को विसर्जन करने और उनके पिंडदान करने का बीड़ा उठाया है.

हिंदू रिवाज के अनुसार, इंसान की आत्मा की शांति के लिए उनके अस्थि विसर्जन की परंपरा है. कोरोना महामारी के दौर में देश की राजधानी में सैकड़ों ऐसे लोग थे, जिनकी मौत के बाद उनका अस्थि विसर्जन करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में सरोजनी नगर मार्केट के दुकानदार अशोक रंधावा ने उन सभी लोगों की आत्मा की शांति के लिए अस्थि विसर्जन करने का बीड़ा उठाया है. दिल्ली के तमाम श्मशान भूमि से मृतक लोगों के अस्थियों को लेकर बिहार के गया में जाकर विसर्जित करेंगे और सभी लोगों को मोक्ष की प्राप्ती के लिए पिंडदान करेंगे.

अस्थि विसर्जन

कोरोना काल के समय देश और खासकर दिल्ली मे भयावह स्थिति थी. कई ऐसे लोगों की मृत्यु हुई, जिनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था. कई लोग ऐसे भी थे जिनका परिवार अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया. ऐसे मे उस समय दिल्ली पुलिस और कूछ समाजसेवी लोगों ने उनका अंतिम संस्कार किया था.

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के दौरान इंसानियत की एक से बढ़कर एक तस्वीर देखने को मिली. इसी सिलसिले में एक और नेक काम जो कि कोरोना महामारी के दौर से ही अधूरा था, उसे पूरा करने का बीड़ा अशोक रंधावा ने उठाया है. दरअसल कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में सैकड़ों लोगों की मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन करने वाला कोई नहीं था. दिल्ली के तमाम शमशान भूमि पर उन लोगों की अस्थियां वैसे ही पड़ी थी. आखिरकार सरोजिनी नगर मार्केट के एक व्यापारी अशोक रंधावा ने इन सभी अस्थियों को विसर्जन करने और उनके पिंडदान करने का बीड़ा उठाया है.

हिंदू रिवाज के अनुसार, इंसान की आत्मा की शांति के लिए उनके अस्थि विसर्जन की परंपरा है. कोरोना महामारी के दौर में देश की राजधानी में सैकड़ों ऐसे लोग थे, जिनकी मौत के बाद उनका अस्थि विसर्जन करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में सरोजनी नगर मार्केट के दुकानदार अशोक रंधावा ने उन सभी लोगों की आत्मा की शांति के लिए अस्थि विसर्जन करने का बीड़ा उठाया है. दिल्ली के तमाम श्मशान भूमि से मृतक लोगों के अस्थियों को लेकर बिहार के गया में जाकर विसर्जित करेंगे और सभी लोगों को मोक्ष की प्राप्ती के लिए पिंडदान करेंगे.

अस्थि विसर्जन

कोरोना काल के समय देश और खासकर दिल्ली मे भयावह स्थिति थी. कई ऐसे लोगों की मृत्यु हुई, जिनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था. कई लोग ऐसे भी थे जिनका परिवार अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया. ऐसे मे उस समय दिल्ली पुलिस और कूछ समाजसेवी लोगों ने उनका अंतिम संस्कार किया था.

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