नई दिल्ली: नॉर्थ एमसीडी के बाद साउथ एमसीडी में भी कमिश्नर वर्षा जोशी के प्रति पार्षदों में नाराजगी है. ये नाराजगी उस वक्त भी देखने को मिली जब निगम की बैठक में पहली बार आने के बावजूद कमिश्नर थोड़ी ही देर में वापस चली गईं. बाद में खुद मेयर सुनीता कांगड़ा ने उन्हें फोन करके आने को कहा, लेकिन वो नहीं आईं.
दरअसल, लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को पहली बार कमिश्नर वर्षा जोशी साउथ एमसीडी की बैठक में आईं थी. बैठक शुरू होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दी गई और सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित किया गया. हालांकि जब दोबारा बैठक शुरू हुई तो कमिश्नर मीटिंग में नहीं आईं.
पार्षदों का फूटा गुस्सा
पार्षद पहले से ही इस बात से नाराज थे कि साउथ एमसीडी में बिना कमिश्नर के कोई काम नहीं हो पा रहा है. जब कमिश्नर वर्षा जोशी बैठक में आने के बाद अचानक चली गईं तो पार्षद इस बात से और नाराज हो गए. हद तो तब हो गई जब मेयर के फोन के बावजूद कमिश्नर महोदया बैठक में नहीं आईं. इस बात पर पार्षदों का गुस्सा फूटा और बाद में सदन को स्थगित कर दिया गया.
'DDA में थी जरूरी मीटिंग'
इस मामले में कमिश्नर वर्षा ने कहा कि उन्होंने मेयर को पहले ही डीडीए में अपनी महत्वपूर्ण बैठक के बारे में बताया था. यहां तक कि जाने से पहले उन्होंने इस बात की इजाजत भी ली थी. जोशी ने साफ किया कि बिना मेयर की इजाजत के उन्होंने सदन नहीं छोड़ा.
'कमिश्नर से मिलने का इंतजार'
बता दें कि कमिश्नर वर्षा जोशी को लेकर 3 दिन पहले ही साउथ एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि साउथ एमसीडी के पार्षदों ने अपनी कमिश्नर को देखा तक नहीं है. इसके लिए वो दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र तक लिख चुके हैं. पक्ष और विपक्ष, दोनों ही पार्टियों के कुछ पार्षदों ने कमिश्नर पर आरोप लगाया है कि वे अपने वार्ड की समस्याओं से उन्हें रुबरू कराने के लिए 8 महीनों से मिलने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे नहीं मिल रही हैं.