नई दिल्ली: प्रदेश के लोग इन दिनों प्रदूषण और कोविड की दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. एक ओर सर्दी बढ़ने के साथ खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, वहीं कोरोना के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में कोरोना और प्रदूषण का कॉकटेल दिल्ली वालों पर भारी पड़ रहा है. पिछले 4 दिनों से कोरोना के मामले पांच हजार से ऊपर आ रहे हैं, यह काफी डराने वाले हालात हैं. टीबी और निमोनिया जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए मौजूदा समय काफी मुश्किल भरा है.
एनडीएमसी के पूर्व सीएमओ डॉ अनिल बंसल बताते हैं कि जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है, वातावरण में ठंडक बढ़ रही है. यह मौसम वायरल इंफेक्शन के लिए काफी अनुकूल होता है. पहले से ही कोरोना फैला हुआ है और दिल्ली की हालात बेहद खराब है. मौसम बदलने के साथ मौसमी वायरल फ्लू भी तेजी से बढ़ रहा है. दुविधा यह है कि सामान्य फ्लू और कोरोना वायरस के लक्षण एक जैसे होते हैं, इनमें अंतर कर पाना मुश्किल होता है. डॉ बंसल बताते हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर के समय कोरोना वायरस के मामले काफी तेजी से बढ़ेगें. आज जो मामले आ रहे हैं, इससे कई गुना के कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने का अनुमान है.
ऐसे हालात में कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सतर्क रहना और जागरूक रहना है. साथ ही कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन करना होगा. जिसमें मास्क और फिजिकल डिस्टेंस के मूल मंत्र को गांठ बांधना होगा. त्योहार के दौरान भीड़ वाली जगह में इकठ्ठा होने से बचना होगा. वहीं जिनकी उम्र ज्यादा है, उनके लिए कोरोना और सामान्य फ्लू बेहद खतरनाक है. लोगों को पहले से डायबिटीज, हृदय की समस्या, किडनी में दिक्कत, अस्थमा की समस्या, निमोनिया या सांस लेने संबंधी समस्याए हैं, ऊपर से कोरोना संक्रमण का खतरा मुंह बाए खड़ा है. ऐसे में बुजुर्गों को काफी ध्यान रखना चाहिए और घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए.
प्रदूषण निमोनिया के मरीजों के लिए खतरनाक
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ डीके अग्रवाल बताते हैं कि प्रदूषण की समस्या निमोनिया से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. वोकल कोड के ऊपर अपर रेस्पिरेट्री होता है और नीचे लोअर रेस्पिरेट्री होता है. अगर लोअर रेस्पिरेट्री है तो ब्रोंकाइटिस, एलबीओलाइटिस या निमोनिया हो सकती है और अपर रेस्पिरेटरी का मतलब है फेरेनजाइटिस. लोअर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इनफेक्शन का मतलब है, खांसी जरूर होगी, बलगम आ सकता है और सांस फूलने की समस्या हो सकती है. इसी को निमोनिया कहते हैं. इस तरह के लक्षण दिखे तो सावधान हो जाएं और डॉक्टर से सलाह लें.