नई दिल्ली : तापमान नीचे गिरने से सर्दी दिन-ब-दिन बढ़ रही है. साथ ही दर्द-ए-दिल भी बढ़ रहा है. दिल में उठने वाला दर्द दिल के बीमार होने का संकेत है या हार्ट अटैक आने की पूर्व सूचना है. दर्द को लेकर कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए और जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो आपके सीने में उठने वाले दर्द को किस तरह देखते हैं ?
विशेषज्ञों के मुताबिक, सीने में उठने वाला हर दर्द दिल की बीमारी की तरफ इशारा नहीं करता. साधारण गैस की समस्या से भी सीने में दर्द उठ सकता है. डॉक्टर के पास जब ऐसा कोई मरीज पहुंचता है तो उनके इलाज के पैटर्न को लेकर इन दिनों काफी कंफ्यूजन है क्योंकि दिल की बीमारियों के डायग्नोसिस के गाइडलाइंस बदल गये हैं.
दिल्ली के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रेम अग्रवाल बताते हैं कि सीने में उठने वाला हर दर्द दिल की समस्या की ओर इशारा नहीं करता. कई बार बाहरी चोट, सोने के पैटर्न में बदलाव, तापमान में कमी या गैस की समस्या से भी सीने में दर्द उठ सकता है. किस दर्द को कितनी गंभीरता से लेना चाहिए यह एक डॉक्टर ही बता सकता है ? इसलिए जब भी कभी दिल में किसी तरह की परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हर वर्ष सीने के दर्द के मैनेजमेंट के लिए गाइडलाइंस दी जाती थी, लेकिन इस बार चेस्ट पेन को डायग्नोसिस करने की गाइडलाइन दी गई है. इसका मतलब यह है कि सीने में होने वाला दर्द जरूरी नहीं कि वह दिल की बीमारियों की तरफ ही इशारा कर रहा हो. इलाज शुरू करने के पहले सीने में हो रहे दर्द के कारण को जानना बहुत जरूरी है. इसलिए डायग्नोसिस पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. एक बार बीमारी पकड़ में आ जाए तो उसे मैनेज करना आसान हो जाता है.
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि सीने में उठने वाला दर्द लगता है कि सीने में ही है, लेकिन डायग्नोसिस करने पर पता चलता है कि यह दर्द तो कुछ और ही है जो सीने में फेक दर्द होने जैसा अनुभव देता है. सीने में दर्द की शिकायत लेकर आने वाले मरीज का किस तरह इलाज करना चाहिए क्या उन्हें आईसीयू में भर्ती कर लेनी चाहिए या शुरुआती इलाज के बाद जनरल वार्ड में एडमिट कर देना चाहिए या फिर मरीज को साधारण पेन किलर देकर घर भेज देना चाहिए.
इन सवालों के जवाब के लिए डॉक्टर को सबसे पहले यह जानना पड़ेगा कि सीना में जो दर्द है वह कार्डियक है, प्रोबेबल कार्डियक है या नॉन कार्डियक साधारण चेस्ट पेन है. अगर कार्डियक है तो मरीज को तुरंत आईसीयू में एडमिट करना चाहिए. अगर प्रोबेबल कार्डियक है तो वार्ड में एडमिट करना चाहिए. अगर साधारण चेस्ट पेन है तो मरीज को केवल पैंकिलर्स देकर ही घर भेजा जा सकता है.
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दिल्ली सरकार के हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए सबसे बड़ा अस्पताल जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सफल बताते हैं कि कोई भी मरीज सीने में दर्द के साथ अगर इमरजेंसी में आता है तो हमारा ध्यान इस तरफ नहीं होता की मरीज सिक है या नॉन सिक है. ऐसे मरीजों को सिक मानते हुए ही डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है. सबसे पहले एंजियोग्राम किया जाता है ईसीजी की जाती है, लेकिन एंजियोग्राम से ज्यादा कुछ हो नहीं हो पाता है. इससे यह पता नहीं लग पाता है कि मरीज सिक है या नॉन सिक है.
डॉक्टर सफल बताते हैं कि अगर किसी मरीज का ईसीजी नार्मल हो तो उसे खुश होने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीज को मैनेज करना डॉक्टर के लिए भी चुनौती होती है. ऐसे मरीजों के इलाज के लिए क्लिनिकल हिस्ट्री बहुत जरूरी है. सीने में दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल आने वाले मरीजों के इलाज का सबसे आसान तरीका यही है कि मरीज को दो भागों में बांट लें. ऐसे मरीज जिन्हें इमरजेंसी में जाने की जरूरत है और ऐसे मरीज जिन्हें वार्ड में एडमिट करना है. उसके बाद मरीजों को मैनेज करना आसान हो जाता है.