नई दिल्ली: राजधानी में लगातार कोरोना के मामले को बढ़ता देख और कोरोना की तीसरी लहर के संकेतों को देखते हुए आज मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती ने कुछ एनजीओ के वॉलिंटियर्स के साथ ऑनलाइन मीटिंग की और इसके साथ ही एनजीओ के लोगों से कई सुझाव मांगे. बता दें कि राजधानी में कोरोना के मामले तो कम हुए हैं लेकिन इसी बीच डब्ल्यूएचओ के द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि तीसरी वेब जो आने वाली है उसमें बच्चों पर खासा असर हो सकता है.
ये भी पढ़ें- दिल्ली में शुक्रवार को 150 केंद्रों पर बंद रहेगा 18+ का वैक्सीनेशन
एनजीओ और ब्रिजिंग द गैप फाउंडेश की ली मदद
ईटीवी भारत से बात करते हुए आप विधायक सोमनाथ भारती ने बताया कि कोरोना महामारी के इस संकट में उन्होंने एनजीओ और ब्रिजिंग द गैप फाउंडेशन की तरफ से लोगों की मदद की है. इसके साथ ही उन्होंने आज ऑनलाइन मीटिंग की जिसमें उन्होंने एनजीओ के वॉलिंटियर्स के साथ बात करते हुए बताया कि कि किस तरह से इस तीसरी लहर से निपटा जा सकता है क्योंकि हम लोग दूसरी लहर तो झेल चुके हैं, लेकिन जो तीसरी वेब आने वाली है उसके परिणाम खतरनाक होंगे. यह लहर बच्चों पर अटैक करेगी जो बच्चे 18 साल से नीचे के हैं. उन पर इस लहर का अटैक ज्यादा रहेगात
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अभी अस्पतालों में मास्क बड़ी साइज की है और इस तीसरी कोरोना लहर से निपटने के लिए हमें बच्चों के साइज के मास्क कवर जो सांस लेने के लिए मुंह पर लगाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि ब्रिजिंग द गैप फाउंडेशन की मदद से उन्होंने विधानसभा के छोटे-छोटे मोहल्ला लेवल पर काम करते हुए स्कूलों में आइसोलेशन सेंटर बनाए. जिनमें इलाके के मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ के द्वारा जो चेतावनी दी गई है जिसमें बताया गया है कि जो कोरोना महामारी की तीसरी बेल जो बच्चों के लिए नुकसानदायक है इसमें बच्चों का बचाव करना बहुत जरूरी है. इसके लिए हमने आज ऑनलाइन मीटिंग जी जिसमें बताया गया कि किस तरह से हम इस लहर से बच सकते हैं और लोगों को बचा सकते हैं.
बच्चों के लिए छोटे बेड़ों की करनी पड़ेगी व्यवस्था
उन्होंने बताया कि अभी वह जनता से मदद मांग रहे हैं और कुछ एनजीओ के साथ मिलकर एंबुलेंस की व्यवस्था कर रहे हैं ताकि जो बच्चे नहर में संक्रमित होंगे उन्हें जल्द से मदन मोहन मालवीय अस्पताल में भर्ती कराया जा सके. जो कोविड सेंटर बनाए गए हैं उनमें बड़े पेड़ हैं और अब हमें छोटे बेड के साथ अलग व्यवस्था बनानी पड़ेगी और हमें उन्हीं सेंटरों में इंतजाम करने पड़ेंगे.