नई दिल्ली: साउथ एमसीडी की हिंदी समिति की चेयरपर्सन वीणा शर्मा से वर्तमान समय में हिंदी की स्थिति को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने की खास बातचीत. वीणा के मुताबिक जब आज के बच्चे ये बोलते है कि उन्हें हिंदी लिखने या समझने में कठिनाई आती है, तो ये सुनकर काफी दुःख होता है कि अपने ही देश के बच्चे अपनी राष्ट्र भाषा को नहीं लिख पा रहे है.
'हिंदी भाषा में आदर की भावना महसूस होती है'
वीणा ने बताया कि दुनियाभर के देश हमारे हिंदी साहित्य को पढ़ने के लिए उसे अपनी भाषा में ट्रांसलेट करके पढ़ रहे है. लेकिन जब अपने ही देश की नई पीढ़ी ये बोलती है की उन्हें हिंदी समझ में नहीं आती, तो ये सुनकर बहुत दुख होता है. क्योंकि जो सम्मान, आदर भाव हिंदी भाषा में होता है, वो शायद ही किसी और भाषा में होगा. उदाहरण के तौर पर अंग्रेजी में अपने से बड़े या छोटे को 'YOU' कहकर बुलाते है, लेकिन हिंदी भाषा में बड़े को 'आप' और दोस्त को 'तुम' कहकर बुलाते है.
'हिंदी के विकास फंड को सरकार ने रोक दिया'
हिंदी भाषा में हर शब्द के प्रति एक आदर की भावना महसूस होती है. लेकिन वर्तमान में हिंदी की ऐसी दुर्गति की जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ देश की सरकारें है. वीणा ने बताया कि पहले हिंदी के विकास के लिए जो फंड आता था, उसे दिल्ली सरकार ने रोक दिया है. वीणा का कहना है कि दिल्ली सरकार के एमएलए खुद 10-10 करोड़ लेकर बैठे हुए लेकिन काम कुछ नहीं कर है.
हिंदी पुस्तकें वितरण करने की योजना असफल
वीणा ने बताया कि उन्होंने हिंदी के विकास के घर-घर जाकर बच्चों को हिंदी की पुस्तकें वितरित करने की योजना बनाई थी, लेकिन फंड के आभाव में ये संभव नहीं हो पा रहा है.