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JNU: नए नियमों का स्टूडेंट यूनियन ने किया विरोध, कहा- तुगलकी फरमान नहीं सहेंगे - विश्वविद्यालय

JNU विश्वविद्यालय जो नए नियम को लेकर आ रहा है. उसमें छात्रों के लिए हॉस्टल में आने-जाने का समय निर्धारण करना, हॉस्टल में ड्रेस कोड, हॉस्टल की फीस समय पर देना शामिल है.

स्टूडेंट यूनियन ने जेएनयू में की प्रेस वार्ता
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Published : Oct 18, 2019, 7:28 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र यूनियन की तरफ से गुरुवार को जेएनयू में एक प्रेस वार्ता की गई. जिसमें यूनियम की तरफ से नए नियमों को लेकर विरोध किया गया. दरअसल, JNU विश्वविद्यालय जो नए नियम को लेकर आ रहा है. उसमें छात्रों के लिए हॉस्टल में आने-जाने का समय निर्धारण करना, हॉस्टल में ड्रेस कोड, हॉस्टल की फीस समय पर देना शामिल है.

JNU: नए नियमों का स्टूडेंट यूनियन ने किया विरोध

'प्रशासन खत्म कर रहा जेएनयू की प्रथा'

इस मामले को लेकर स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि यूनिवर्सिटी अपनी स्वतंत्र शिक्षा नीति के लिए जानी जाती है और अगर इसे ही खत्म कर दिया जाएगा, तो JNU का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा.

स्टूडेंट यूनियन का विरोध

जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रेस वार्ता में यूनियन की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने कहा कि यूनिवर्सिटी की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि यदि आप अपने मैस का बिल समय पर नहीं भरते हैं, तो आपको रोजाना 20 रुपये के हिसाब से फाइन देना होगा. उनका कहना था कि जब उन्हें मिलने वाली फेलोशिप ही समय पर नहीं आती है, तो वो समय पर मैस का बिल कैसे भरेंगे.

घोष ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से अपने फैसले छात्रों पर थोप रहा है. जिसका हम विरोध करते हैं. यहां तक कि एडमिनिस्ट्रेशन की होने वाली तमाम मिटिंग में भी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को नहीं बुलाया जा रहा है, जोकि सरासर गलत है. हम इसका विरोध करते हैं.

'मैस में प्रॉपर ड्रेस अप होने का क्या मतलब?'

इस विषय पर जब हमने स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष घोष से बात की तो उनका कहना था कि हमारे देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा समय हो चुका हैं और आज भी हमें हमारे देश में किस तरीके के कपड़े पहनने हैं. ये सिखाया जा रहा है. मैस में कैसे कपड़े पहन कर जाना है, ये छात्रों को बताया जा रहा है. हम रिसर्चर स्कॉलर छात्र हैं. क्या हमें इतना अधिकार नहीं है कि हम क्या कपड़े पहने और क्या नहीं. इस बात को लेकर जेएनयू प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है. उनका कहना है कि जहां आज तक जेएनयू में हर एक छात्र को किसी भी समय पढ़ने लिखने की आजादी है. वहीं अब लाइब्रेरी और हॉस्टल में आने जाने का समय तय किया जा रहा है.

'हम इस तानाशाही को नहीं सहेंगे'

वहीं जब ईटीवी भारत ने उनसे छात्र जीवन का अर्थ अनुशासन है को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि हमारे नजर में ये अनुशासन नहीं है. ये एक तानाशाही है, एक फरमान है, जोकि हमारे ऊपर थोपने की कोशिश की जा रही है. हम इसका विरोध करते हैं, क्योंकि आज हम एक स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं. जहां हर एक को अपनी मर्जी के मुताबिक जीने का और अपने काम करने का अधिकार है.

एडमिनिस्ट्रेटिव की मीटिंग नहीं होने देंगे

इसके अलावा उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से चुनौती भरे लहजे में कहा कि जो 18 अक्टूबर को जेएनयू एडमिनिस्ट्रेटिव की आईएचए मीटिंग होने जा रही है, हम उसे नहीं होने देंगे. क्योंकि उसमें जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को आमंत्रित नहीं किया गया है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र यूनियन की तरफ से गुरुवार को जेएनयू में एक प्रेस वार्ता की गई. जिसमें यूनियम की तरफ से नए नियमों को लेकर विरोध किया गया. दरअसल, JNU विश्वविद्यालय जो नए नियम को लेकर आ रहा है. उसमें छात्रों के लिए हॉस्टल में आने-जाने का समय निर्धारण करना, हॉस्टल में ड्रेस कोड, हॉस्टल की फीस समय पर देना शामिल है.

JNU: नए नियमों का स्टूडेंट यूनियन ने किया विरोध

'प्रशासन खत्म कर रहा जेएनयू की प्रथा'

इस मामले को लेकर स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि यूनिवर्सिटी अपनी स्वतंत्र शिक्षा नीति के लिए जानी जाती है और अगर इसे ही खत्म कर दिया जाएगा, तो JNU का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा.

स्टूडेंट यूनियन का विरोध

जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रेस वार्ता में यूनियन की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने कहा कि यूनिवर्सिटी की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि यदि आप अपने मैस का बिल समय पर नहीं भरते हैं, तो आपको रोजाना 20 रुपये के हिसाब से फाइन देना होगा. उनका कहना था कि जब उन्हें मिलने वाली फेलोशिप ही समय पर नहीं आती है, तो वो समय पर मैस का बिल कैसे भरेंगे.

घोष ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से अपने फैसले छात्रों पर थोप रहा है. जिसका हम विरोध करते हैं. यहां तक कि एडमिनिस्ट्रेशन की होने वाली तमाम मिटिंग में भी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को नहीं बुलाया जा रहा है, जोकि सरासर गलत है. हम इसका विरोध करते हैं.

'मैस में प्रॉपर ड्रेस अप होने का क्या मतलब?'

इस विषय पर जब हमने स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष घोष से बात की तो उनका कहना था कि हमारे देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा समय हो चुका हैं और आज भी हमें हमारे देश में किस तरीके के कपड़े पहनने हैं. ये सिखाया जा रहा है. मैस में कैसे कपड़े पहन कर जाना है, ये छात्रों को बताया जा रहा है. हम रिसर्चर स्कॉलर छात्र हैं. क्या हमें इतना अधिकार नहीं है कि हम क्या कपड़े पहने और क्या नहीं. इस बात को लेकर जेएनयू प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है. उनका कहना है कि जहां आज तक जेएनयू में हर एक छात्र को किसी भी समय पढ़ने लिखने की आजादी है. वहीं अब लाइब्रेरी और हॉस्टल में आने जाने का समय तय किया जा रहा है.

'हम इस तानाशाही को नहीं सहेंगे'

वहीं जब ईटीवी भारत ने उनसे छात्र जीवन का अर्थ अनुशासन है को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि हमारे नजर में ये अनुशासन नहीं है. ये एक तानाशाही है, एक फरमान है, जोकि हमारे ऊपर थोपने की कोशिश की जा रही है. हम इसका विरोध करते हैं, क्योंकि आज हम एक स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं. जहां हर एक को अपनी मर्जी के मुताबिक जीने का और अपने काम करने का अधिकार है.

एडमिनिस्ट्रेटिव की मीटिंग नहीं होने देंगे

इसके अलावा उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से चुनौती भरे लहजे में कहा कि जो 18 अक्टूबर को जेएनयू एडमिनिस्ट्रेटिव की आईएचए मीटिंग होने जा रही है, हम उसे नहीं होने देंगे. क्योंकि उसमें जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को आमंत्रित नहीं किया गया है.

Intro:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र यूनियन की तरफ से आज जेएनयू में एक प्रेस वार्ता की गई जिसमें जेएनयू प्रशासन द्वारा जेएनयू में छात्रों के लिए लाए जा रहे नए नियमों को लेकर विरोध जताया गया जेएनयू प्रशासन द्वारा जेएनयू में छात्रों के लिए हॉस्टल में आने जाने का समय निर्धारण करना हॉस्टल में मैच में एक ड्रेस कोड के साथ जाना इसके अलावा हॉस्टल में मैच की फीस समय पर देना आदि है


Body:जेएनयू प्रशासन खत्म कर रहा जेएनयू की प्रथा
इन सब नियमों का जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने विरोध किया है उनका कहना है दिल्ली कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी अपने स्वतंत्र शिक्षा नीति के लिए जानी जाती है और अगर इसे ही खत्म कर दिया जाएगा तो जेएनयू का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा

छात्र यूनियन ने नए नियमों का किया विरोध
जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रेस वार्ता में यूनियन की प्रेसिडेंट श्री घोष ने कहा कि जेल प्रशासन की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि यदि आप अपने मैच का बिल समय पर नहीं भरते हैं तो आपको रोजाना ₹20 के हिसाब से फाइन देना होगा उनका कहना था कि जब उन्हें मिलने वाली फेलोशिप ही समय पर नहीं आती है तो वह समय पर मैच का बिल कैसे भरेंगे.


स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष श्री घोष ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से अपने फैसले छात्रों पर थोपे जा रहे हैं जिसका हम विरोध करते हैं यहां तक कि एडमिनिस्ट्रेशन की होने वाली तमाम मित्रों में भी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को नहीं बुलाया जा रहा है जोकि सरासर गलत है हम इसका विरोध करते हैं


Conclusion:मैच में प्रॉपर ड्रेस अप होने का क्या नियम लागू
इस विषय पर जब हमने स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष श्री घोष से बात की तो उनका कहना था कि हमारे देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो चुके हैं और आज भी हमें हमारे देश में किस तरीके के कपड़े पहनने हैं यह सिखाया जा रहा है मैच में कैसे कपड़े पहन कर जाना है यह बताया जा रहा है हम रिसर्च है हम स्कॉलर छात्र हैं क्या हमें इतना अधिकार नहीं है कि हम क्या कपड़े पहने और क्या नहीं इसको लेकर जेएनयू प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है जहां आज तक जेएनयू में हर एक छात्र को पढ़ने लिखने की किसी भी समय आजादी है वहीं अब लाइब्रेरी और हॉस्टल में आने जाने का समय तय किया जा रहा है.

हम इस तानाशाही को नहीं सहेंगे
वहीं जब हमने उनसे छात्र जीवन का अर्थ अनुशासन है को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था हमारे नजर में यह अनुशासन नहीं है यह एक तानाशाही है तो गलत ही फरमान है जो कि हमारे ऊपर थोपने की कोशिश की जा रही है और हम इसका विरोध करते हैं क्योंकि आज हम एक स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं जहां हर एक को अपनी मर्जी के मुताबिक जीने का और अपने काम करने का अधिकार है

एडमिनिस्ट्रेटिव की मीटिंग नहीं होने की दी चेतावनी
इसके अलावा उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से चुनौती भरे लहजे में कहा कि जो 18 अक्टूबर को जेएनयू एडमिनिस्ट्रेटिव की आई एच ए मीटिंग होने जा रही है हम उसे नहीं होने देंगे क्योंकि उसमें जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को आमंत्रित नहीं किया गया है
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