नई दिल्ली: जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वो यूनिवर्सिटी में ढाबा कल्चर को खत्म करना चाहते हैं. इसके लिए वो अपने तुगलकी फरमान छात्रों पर जारी कर रहे हैं. यहां तक कि जेएनयू में छात्र यूनियन को खत्म करने की भी साजिश रची जा रही है. इसी कड़ी में 15 अक्टूबर को जेएनयू प्रशासन की तरफ से एक नोटिस जारी करते हुए स्टूडेंट यूनियन के ऑफिस पर ताला लगाने की कोशिश की गई थी. जिसके बाद छात्रों के विरोध से उसे रोका गया था.
छात्रों ने किया पुरजोर विरोध
जेएनयू छात्र यूनियन के जनरल सेक्रेटरी सतीश यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि जेएनयू डीन ऑफ स्टूडेंट उमेश कदम की तरफ से जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के ऑफिस के बाहर एक नोटिस लगाया गया कि ऑफिस का मिस यूज किया जा रहा है. इसलिए इसको बंद किया जाए. जिसका हमने पुरजोर विरोध किया और अपना नोटिस वापस लेने को कहा.
यूनियन के जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि जेएनयू का कल्चर रहा है कि 24 घंटे हर एक छात्र को पढ़ने की आजादी है. 24 घंटे तक लाइब्रेरी खुली रहती है. ढाबे से लेकर क्लासरूम, हॉस्टल हर जगह छात्र डिबेट डिस्कशन करते हैं. लेकिन इस कल्चर को खत्म करने की जेएनयू प्रशासन साजिश रच रहा है और इसी कड़ी में यूनियन के ऑफिस को भी ताला लगाने का फरमान जारी किया गया.
'ढाबा कल्चर खत्म करने की कोशिश'
जनरल सेक्रेटरी सतीश ने हाल ही में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत बनर्जी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी ये माना है कि जेएनयू में छात्र किताबी शिक्षा के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज के जरिए भी बहुत कुछ सीखते हैं. डिस्कशन और डिबेट, ढाबे पर चर्चा, इन सब चीजों से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. साथ ही सब ने माना है कि जेएनयू तमाम और यूनिवर्सिटी से बहुत अलग है. यहां का माहौल एक छात्र को स्वतंत्रता पूर्वक पढ़ने की आजादी देता है.
'आरएसएस और बीजेपी थोप रही तुगलकी फरमान'
सतीश ने बताया कि आरएसएस और बीजेपी जेएनयू पर ब्राह्मणवाद और संघीय तानाशाही थोपना चाहती है और इसके लिए वो पुरजोर प्रयास कर रही है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. जेएनयू प्रशासन में हमेशा से ही स्वतंत्र माहौल रहा है. स्वतंत्रता पूर्वक हर एक छात्र ने शिक्षा ग्रहण की है और उस नियम को हम खत्म नहीं होने देंगे.