नई दिल्ली: देशभर में पिछले कुछ सालों मे कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे लोगों ने अपनी जान गंवाई है. कोविड काल के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में वृद्धि आई है. इसी को देखते हुए मेडट्रॉनिक और फॉर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट ने एक जागरुकता अभियान रीसेट द बीट लॉन्च किया है.
इस दौरान कहा गया कि भारत के अन्य प्रमुख अस्पतालों के सहयोग से इस अभियान को तेज किया जाएगा. 3 महीने के पहले चरण में दिल्ली और चेन्नई के अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, पुलिस विभाग, सार्वजनिक बाजारों और स्कूलों-कॉलेज आदि में 36 कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) कार्यशालाओं के माध्यम से 15 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा. अभियान के लॉन्च में एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ, डॉ. अपर्णा जसवाल के साथ पुलिस आयुक्त गोविंद शर्मा (यातायात) दक्षिण रेंज भी उपस्थित रहे.
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कार्यशालाओं में उन्हें सिखाया जाएगा कि कैसे सीपीआर देकर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. कार्यक्रम में भी लोगों को सीपीआर देना सिखाया गया. कहा गया कि यह अभियान कार्डियक अरेस्ट के दौरान जीवन बचाने के लिए समय पर सीपीआर देने की आवश्यकता पर जागरुकता बढ़ाने पर जोर देता है. हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में कार्डियक अरेस्ट के दौरान व्यक्ति के जीवित रहने की दर मात्र 1.05% है, जो न के बराबर है. डॉक्टरों ने कहा कि इन कार्यशाालाओं के माध्यम से लोगों में सीपीआर देने के प्रति जागरुकता आएगी, जिससे कार्डियक अरेस्ट के बाद लोग सीपीआर देकर किसी की जान बचा सकेंगे.
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