नई दिल्ली: साउथ दिल्ली के मालवीय नगर क्षेत्र के सावित्री नगर में एक दिव्यांग टेलर रहते हैं, जिनका नाम है मोहम्मद इकबाल. इनके हौसलों की कोई सीमा नहीं है और पूरी जिंदगी प्रेरणा से भरी है. बड़ी-बड़ी मुश्किलें आने के बावजूद किस तरह जिंदगी को सही मायने में जिया जाता है, ये आप इनसे सीख सकते हैं.
टेलर मोहम्मद इकबाल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. वो 12 साल के थे, जब उन्हें पैरालिसिस हो गया. आमतौर पर ऐसी स्थिति में कोई भी हार मानकर अपनी किस्मत को कोसने लगता है, लेकिन इकबाल ने ऐसा नहीं किया. उन्हें खुद पर भरोसा था. उन्होंने हार मानकर बैठने की बजाए कपड़े बनाने का काम सीखा.
1978 में शुरू किया था काम
काम सीखने के बाद इकबाल अपने बड़े भाई के साथ साल 1975 में दिल्ली आ गए. यहां साल 1978 में उन्होंने एक टेलर की दुकान खोली. लोगों को उनका काम पसंद आने लगा. दुकान पर भीड़ बढ़ने लगी. लोग कपड़े सिलवाने के लिए दूर-दूर से इकबाल की दुकान पर आने लगे.
12 लोगों को दिया रोजगार
आपको ये जानकर हैरानी होगी और खुशी भी कि आज इकबाल अपनी मेहनत के बलबूते 12 लोगों को रोजगार दे चुके हैं. उनकी दुकान अब बड़ी हो चुकी है और नाम भी. इकबाल टेलर्स नाम से इनका काम मशहूर है.
मोहम्मद इकबाल बताते हैं कि कभी उन्होंने खुद को अपंग महसूस नहीं किया. उनकी इस बात से एक शे'र याद आता है-
"मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है.
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है."
मोहम्मद इकबाल ने बताया कि उनके यहां कई विदेशी एंबेसी के लोग भी कपड़े सिलवाने के लिए आते हैं. उनकी दुकान के सिले हुए कपड़े दिल्ली के नेता और बिजनेसमैन भी पहनते हैं. उनका कहना है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने सपने पूरा करने के लिए खूब मेहनत करनी चाहिए.
'सेवा करके मिलती है खुशी'
मोहम्मद इकबाल के बेटे मोहम्मद अफाक ने ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने कहा कि वो बीते कई सालों से अपने पिता की सेवा कर रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चों का फर्ज बनता है कि वो अपने माता-पिता की सेवा करें, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों की खुशी के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं.