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World Spinal Cord Injury Day 2023: इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने मनाया स्पाइन कॉर्ड इंजरी डे

दिल्ली के वसंत कुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया गया. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. इसके बारे में विस्तार से समझाते हैं आईएसआईसी में स्पाइन सर्विसेज के चीफ, डॉ. विकास टंडन...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 6, 2023, 7:56 AM IST

इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने मनाया स्पाइन कॉर्ड इंजरी डे

नई दिल्ली: 05 सितंबर को दुनियाभर में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया गया. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. इसी क्रम में दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे के मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. जिसमें इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर हॉस्पिटल के स्पेशल डॉक्टर्स की टीम मौजूद रही.

इंजरी होने पर डॉक्टर की सलाह जरूरी: आईएसआईसी में स्पाइन सर्विसेज के चीफ, डॉ. विकास टंडन ने कहा कि, रीढ़ की हड्डी की चोटों से पूरा जीवन प्रभावित होता है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के समस्याएं उत्पन्न करता बल्कि इससे रोगी भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़े भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं की लगातार चुनौती को उजागर कर रहे हैं. हम लोगों से सरकार द्वार की जा रही पहल को लेकर सचेत करते हैं. डॉ. टंडन ने कहा कि हमारा उद्देश्य रीढ़ की हड्डी की चोटों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए अंतिम समय तक समाधान निकालने के लिए अपना योगदान दे कर समाज को आगे बढ़ाना है.

सरकारी योजनाओं द्वारा राहत नहीं: इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की चीफ ऑफ रीहैबिलेशन डॉ चित्रा कटारिया ने बताया कि इसमें अधिक लागत लगने से आमतौर पर सीजीएचएस, डीजीईएचएस, ईसीएचएस और कई बीमा कंपनियों जैसी सरकारी योजनाओं द्वारा राहत नहीं दिया जाता है. जिससे एससीआई रोगियों के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं. हालाँकि, 26 अगस्त, 2023 को जारी दिल्ली उच्च न्यायालय के एक हालिया निर्देश में 29 बीमा कंपनियों को विकलांग व्यक्तियों को राहत के लिए इसमें शामिल करने का निर्देश दिया गया. जो एससीआई रोगियों के लिए चिकित्सा सहायता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

लापरवाही के कारण बढ़ रहे मामले: इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) ने 2012 से 2022 में एक अध्ययन कराया जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से संबंधित कई चौकने वाले खुलासे सामने आये. इसमें यह पता चला कि लोगों में यातायात के दौरान कई लापरवाही जैसे- सीट बेल्ट, हेलमेट पहनना, यातायात नियमों का पालन ना करने से सड़क दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी की चोटों से वे ग्रसित होते हैं. सड़क दुर्घटना में 661 व्यक्तियों (44%) और सामान्य गिरने से 588 व्यक्तियों (38.3%) के कारण आईएसआईसी में ऐसे रोगियों की कुल संख्या 1,537 थी. इस अध्ययन से अस्पताल में 1138 दाखिलों के आधार पर, 2002-2010 की अवधि के दौरान सड़क यातायात दुर्घटनाएं (45%) और ऊंचाई से गिरने से (39.63%) लोग शामिल थे.

सड़क दुर्घटना रीढ़ की चोटों का मुख्य कारण: कई विकसित देशों से तुलना करने पर भी कई आश्चर्यजनक आकड़ें सामने आये जिसमें बर्मिंघम, यूके (2010-2018) के नेशनल स्पाइनल कॉर्ड इंजरी स्टैटिस्टिकल सेंटर (एनएससीआईएससी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 38.52% मामलों में वाहन दुर्घटनाएं, 31.13% ऊंचाई से गिरना, 13.55% हिंसात्मक कृत्य, मनोरंजक गतिविधियाँ 8.57% और खेल शामिल हैं. प्रतिवर्ष 5 सितंबर को मनाए जाने वाले स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) दिवस के अवसर पर आईएसआईसी ने "एससीआई सेवाओं तक पहुंच - कम जटिल जीवन" के मद्देनजर इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी (आईएससीओएस) के साथ हाथ मिलाया है. इस वर्ष की थीम खतरनाक रीढ़ की हड्डी की चोटों के समाधान और एससीआई रोगियों के लिए एक समुचित समाधान के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने लिए रेखांकित करती है.

विकलांगता के रूप में मान्यता मिले: विशेषज्ञों ने स्पाइनल कार्ड इंजरी (एससीआई) के कारण विकलांग व्यक्तियों की पहचान को लेकर अपना पक्ष रखा. द इंडियन राइंट्स ऑफ डिसबिलटीज एक्ट- 2016 में स्पाइनल कार्ड इंजरी (एससीआई) को एक अलग विकलांगता के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जबकि इसे केवल लोकोमोटर विकलांगता के साथ जोड़ता है. विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि स्पाइनल कार्ड इंजरी को भी विकलांगता के रूप में मान्यता देना आवश्यक है जिससे ऐसे रोगियों को भी सरकारी लाभ, आरक्षण, व्यावसायिक सहायता और यात्रा रियायतें सहित सभी लाभ मिल सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एससीआई को विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक विकलांगताओं में से एक के रूप में मान्यता देता है.

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के कारण और लक्षण: स्पाइनल कॉर्ड शरीर का बहुत ही नरम और नाजुक अंग है. कई प्रकार की घटनाएं इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसका मुख्य कारण तुरंत होने वाली घटनाओं में चोट लगना है, जैसे- किसी तेज गति से होने वाली दुर्घटना की वजह से चोट लगने पर रीढ़ की हड्डियां या तो टूट सकती हैं या फिर अपनी जगह से खिसक जाती हैं. ये नस पर दबाव डालती है, जिससे, हाथ अथवा पैर में कमजोरी, सुन्नपन आना, सांस लेने में कठिनाई होना, मल मूत्र के नियंत्रण में बाधा होना आदि होता है. इस तरह की चोट होने पर कई बार उसे ऑपरेशन के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न किया जाता है. इस प्रकार का इलाज लंबे समय तक चलता है एवं सदैव किसी प्रकार की अनिश्चितता से जुड़ा होता है. कभी-कभी लंबे समय तब उपचार के बाद भी व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो पाता है. बेहतर है कि इस प्रकार की चोटों से बचा जाए. हालांकि सड़क सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन से इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है.

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इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने मनाया स्पाइन कॉर्ड इंजरी डे

नई दिल्ली: 05 सितंबर को दुनियाभर में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया गया. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. इसी क्रम में दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे के मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. जिसमें इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर हॉस्पिटल के स्पेशल डॉक्टर्स की टीम मौजूद रही.

इंजरी होने पर डॉक्टर की सलाह जरूरी: आईएसआईसी में स्पाइन सर्विसेज के चीफ, डॉ. विकास टंडन ने कहा कि, रीढ़ की हड्डी की चोटों से पूरा जीवन प्रभावित होता है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के समस्याएं उत्पन्न करता बल्कि इससे रोगी भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़े भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं की लगातार चुनौती को उजागर कर रहे हैं. हम लोगों से सरकार द्वार की जा रही पहल को लेकर सचेत करते हैं. डॉ. टंडन ने कहा कि हमारा उद्देश्य रीढ़ की हड्डी की चोटों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए अंतिम समय तक समाधान निकालने के लिए अपना योगदान दे कर समाज को आगे बढ़ाना है.

सरकारी योजनाओं द्वारा राहत नहीं: इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की चीफ ऑफ रीहैबिलेशन डॉ चित्रा कटारिया ने बताया कि इसमें अधिक लागत लगने से आमतौर पर सीजीएचएस, डीजीईएचएस, ईसीएचएस और कई बीमा कंपनियों जैसी सरकारी योजनाओं द्वारा राहत नहीं दिया जाता है. जिससे एससीआई रोगियों के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं. हालाँकि, 26 अगस्त, 2023 को जारी दिल्ली उच्च न्यायालय के एक हालिया निर्देश में 29 बीमा कंपनियों को विकलांग व्यक्तियों को राहत के लिए इसमें शामिल करने का निर्देश दिया गया. जो एससीआई रोगियों के लिए चिकित्सा सहायता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

लापरवाही के कारण बढ़ रहे मामले: इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) ने 2012 से 2022 में एक अध्ययन कराया जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से संबंधित कई चौकने वाले खुलासे सामने आये. इसमें यह पता चला कि लोगों में यातायात के दौरान कई लापरवाही जैसे- सीट बेल्ट, हेलमेट पहनना, यातायात नियमों का पालन ना करने से सड़क दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी की चोटों से वे ग्रसित होते हैं. सड़क दुर्घटना में 661 व्यक्तियों (44%) और सामान्य गिरने से 588 व्यक्तियों (38.3%) के कारण आईएसआईसी में ऐसे रोगियों की कुल संख्या 1,537 थी. इस अध्ययन से अस्पताल में 1138 दाखिलों के आधार पर, 2002-2010 की अवधि के दौरान सड़क यातायात दुर्घटनाएं (45%) और ऊंचाई से गिरने से (39.63%) लोग शामिल थे.

सड़क दुर्घटना रीढ़ की चोटों का मुख्य कारण: कई विकसित देशों से तुलना करने पर भी कई आश्चर्यजनक आकड़ें सामने आये जिसमें बर्मिंघम, यूके (2010-2018) के नेशनल स्पाइनल कॉर्ड इंजरी स्टैटिस्टिकल सेंटर (एनएससीआईएससी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 38.52% मामलों में वाहन दुर्घटनाएं, 31.13% ऊंचाई से गिरना, 13.55% हिंसात्मक कृत्य, मनोरंजक गतिविधियाँ 8.57% और खेल शामिल हैं. प्रतिवर्ष 5 सितंबर को मनाए जाने वाले स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) दिवस के अवसर पर आईएसआईसी ने "एससीआई सेवाओं तक पहुंच - कम जटिल जीवन" के मद्देनजर इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी (आईएससीओएस) के साथ हाथ मिलाया है. इस वर्ष की थीम खतरनाक रीढ़ की हड्डी की चोटों के समाधान और एससीआई रोगियों के लिए एक समुचित समाधान के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने लिए रेखांकित करती है.

विकलांगता के रूप में मान्यता मिले: विशेषज्ञों ने स्पाइनल कार्ड इंजरी (एससीआई) के कारण विकलांग व्यक्तियों की पहचान को लेकर अपना पक्ष रखा. द इंडियन राइंट्स ऑफ डिसबिलटीज एक्ट- 2016 में स्पाइनल कार्ड इंजरी (एससीआई) को एक अलग विकलांगता के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जबकि इसे केवल लोकोमोटर विकलांगता के साथ जोड़ता है. विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि स्पाइनल कार्ड इंजरी को भी विकलांगता के रूप में मान्यता देना आवश्यक है जिससे ऐसे रोगियों को भी सरकारी लाभ, आरक्षण, व्यावसायिक सहायता और यात्रा रियायतें सहित सभी लाभ मिल सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एससीआई को विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक विकलांगताओं में से एक के रूप में मान्यता देता है.

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के कारण और लक्षण: स्पाइनल कॉर्ड शरीर का बहुत ही नरम और नाजुक अंग है. कई प्रकार की घटनाएं इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसका मुख्य कारण तुरंत होने वाली घटनाओं में चोट लगना है, जैसे- किसी तेज गति से होने वाली दुर्घटना की वजह से चोट लगने पर रीढ़ की हड्डियां या तो टूट सकती हैं या फिर अपनी जगह से खिसक जाती हैं. ये नस पर दबाव डालती है, जिससे, हाथ अथवा पैर में कमजोरी, सुन्नपन आना, सांस लेने में कठिनाई होना, मल मूत्र के नियंत्रण में बाधा होना आदि होता है. इस तरह की चोट होने पर कई बार उसे ऑपरेशन के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न किया जाता है. इस प्रकार का इलाज लंबे समय तक चलता है एवं सदैव किसी प्रकार की अनिश्चितता से जुड़ा होता है. कभी-कभी लंबे समय तब उपचार के बाद भी व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो पाता है. बेहतर है कि इस प्रकार की चोटों से बचा जाए. हालांकि सड़क सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन से इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है.

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