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गजब: बेकार प्लास्टिक से IIT के छात्रों ने तैयार किया डीजल

वातावरण के लिए सबसे हानिकारक वर्तमान समय में कुछ है तो वह प्लास्टिक जिसका हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल ही में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया है.

आईआईटी दिल्ली
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Published : Oct 6, 2019, 8:10 AM IST

नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली की रिसर्च टीम ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है. जिसके जरिए वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक से डीजल तैयार किया जा सकता है. बता दें कि आईआईटी शोधकर्ताओं की इस टीम को पहली सफलता मिली है. जिसमें टीम ने एक किलो बेकार प्लास्टिक से 750 मिलीलीटर डीजल तैयार किया है.

IIT DELHI के शोधकर्ताओं ने बेकार प्लास्टिक से डीजल तैयार किया

पहली सफलता

बता दें कि वातावरण के लिए सबसे हानिकारक वर्तमान समय में कुछ है तो वह प्लास्टिक जिसका हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल ही में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया है. इसी प्लास्टिक का मेक इन इंडिया थीम प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी के छात्र प्रोडक्टिव इस्तेमाल करने के लिए शोध कर रहे थे. जिनमें उन्हें पहली सफलता मिली.

रिसर्च स्कॉलर ने इस तकनीक का ईजाद किया

बता दें कि आईआईटी दिल्ली शोधकर्ताओं की टीम ने वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने में पहली सफलता हासिल की है. शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख डॉ के पंत और सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर एस एन नायक की अध्यक्षता में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने इस तकनीक को इजाद किया है.

वहीं प्रोफेसर पंत ने बताया कि गत वर्ष इस तकनीक के जरिए बेकार प्लास्टिक से डीजल बनाने का काम चल रहा था जिसमें अब पहली सफलता मिली है.

'शोध का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है'

इस तकनीक को इजाद करने वाली पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने कहा कि अभी तक हुए शोध के मुताबिक 1 किलो बेकार प्लास्टिक से वह 750 मिलीलीटर डीजल बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में कैटालिस्ट केमिकल मिलाकर डीजल तैयार किया जाता है और उनके द्वारा किए जा रहे शोध का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है.

साथ ही उन्होंने बताया कि 1 लीटर डीजल तैयार करने में लगभग 45 रुपये का खर्च आ रहा है. साथ ही कहा कि प्लास्टिक से जो डीजल तैयार किया जाता है. उसकी शुद्धता अभी तक 70 फ़ीसदी ही है और उसमें बाजार में उपलब्ध डीजल जैसी गुणवत्ता लाने के लिए लगभग 1 साल का समय और लग जाएगा.

नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली की रिसर्च टीम ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है. जिसके जरिए वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक से डीजल तैयार किया जा सकता है. बता दें कि आईआईटी शोधकर्ताओं की इस टीम को पहली सफलता मिली है. जिसमें टीम ने एक किलो बेकार प्लास्टिक से 750 मिलीलीटर डीजल तैयार किया है.

IIT DELHI के शोधकर्ताओं ने बेकार प्लास्टिक से डीजल तैयार किया

पहली सफलता

बता दें कि वातावरण के लिए सबसे हानिकारक वर्तमान समय में कुछ है तो वह प्लास्टिक जिसका हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल ही में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया है. इसी प्लास्टिक का मेक इन इंडिया थीम प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी के छात्र प्रोडक्टिव इस्तेमाल करने के लिए शोध कर रहे थे. जिनमें उन्हें पहली सफलता मिली.

रिसर्च स्कॉलर ने इस तकनीक का ईजाद किया

बता दें कि आईआईटी दिल्ली शोधकर्ताओं की टीम ने वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने में पहली सफलता हासिल की है. शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख डॉ के पंत और सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर एस एन नायक की अध्यक्षता में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने इस तकनीक को इजाद किया है.

वहीं प्रोफेसर पंत ने बताया कि गत वर्ष इस तकनीक के जरिए बेकार प्लास्टिक से डीजल बनाने का काम चल रहा था जिसमें अब पहली सफलता मिली है.

'शोध का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है'

इस तकनीक को इजाद करने वाली पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने कहा कि अभी तक हुए शोध के मुताबिक 1 किलो बेकार प्लास्टिक से वह 750 मिलीलीटर डीजल बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में कैटालिस्ट केमिकल मिलाकर डीजल तैयार किया जाता है और उनके द्वारा किए जा रहे शोध का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है.

साथ ही उन्होंने बताया कि 1 लीटर डीजल तैयार करने में लगभग 45 रुपये का खर्च आ रहा है. साथ ही कहा कि प्लास्टिक से जो डीजल तैयार किया जाता है. उसकी शुद्धता अभी तक 70 फ़ीसदी ही है और उसमें बाजार में उपलब्ध डीजल जैसी गुणवत्ता लाने के लिए लगभग 1 साल का समय और लग जाएगा.

Intro:नई दिल्ली ।

आईआईटी दिल्ली की रिसर्च टीम ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसके जरिए वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक से डीजल तैयार किया जा सकता है. बता दें कि आईआईटी शोधकर्ताओं की इस टीम को पहली सफलता मिली है जिसमें टीम ने एक किलो बेकार प्लास्टिक से 750 मिलीलीटर डीजल तैयार किया है.


Body:वातावरण के लिए सबसे हानिकारक वर्तमान समय में कुछ है तो वह प्लास्टिक जिसका हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल ही में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया है. इसी प्लास्टिक का मेक इन इंडिया थीम प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी के छात्र प्रोडक्टिव इस्तेमाल करने के लिए शोध कर रहे थे जिनमें उन्हें पहली सफलता मिली. बता दें कि आईआईटी दिल्ली शोधकर्ताओं की टीम ने वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने में पहली सफलता हासिल की है. शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख डॉ के के पंत और सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर एस एन नायक की अध्यक्षता में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने इस तकनीक को ईजाद किया है. वहीं प्रोफेसर पंत ने बताया कि गत वर्ष इस तकनीक के जरिए बेकार प्लास्टिक से डीजल बनाने का काम चल रहा था जिसमें अब पहली सफलता मिली है.




Conclusion:वहीं इस तकनीक को ईजाद करने वाली पीएचडी रिसर्च स्कॉलर उमा द्विवेदी ने कहा कि अभी तक की हुए शोध के मुताबिक 1 किलो बेकार प्लास्टिक से वह 750 मिलीलीटर डीजल बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में कैटालिस्ट केमिकल मिलाकर डीजल तैयार किया जाता है और उनके द्वारा किए जा रहे शोध का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है. साथ ही उन्होंने बताया कि 1 लीटर डीजल तैयार करने में लगभग 45 रुपए का खर्च आ रहा है. साथ ही कहा कि प्लास्टिक से जो डीजल तैयार किया जाता है उसकी शुद्धता अभी तक 70 फ़ीसदी ही है और उसमें बाजार में उपलब्ध डीजल जैसी गुणवत्ता लाने के लिए लगभग 1 साल का समय और लग जाएगा.
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