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आईएमए और डीएमए के बीच चल रहे विवादों के बीच जानें डीएमए की कहानी - दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की कहानी

कोरोना इलाज का दावा करने वाली दवा कोरोनिल को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) एक-दूसरे के विरोधी हो गए हैं. डीएमए का दावा है कि विश्व युद्ध से लेकर चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में योगदान देने वाला डीएमए का अस्तित्व आइएमए से पहले आया. आइए डीएमए के सचिव डॉ. अजय गंभीर से जानते हैं डीएमए की कहानी.

controversy going on between ima and dma in delhi
डीएमए
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Published : Feb 28, 2021, 1:04 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण का इलाज करने का दावा करने वाली बाबा रामदेव की स्वामित्व वाली कंपनी पतंजलि द्वारा निर्मित दवा "कोरोनिल" को लेकर देश भर के डॉक्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली दो मेडिकल एसोसिएशन आपस में भिड़ गई हैं. एक तरफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन है, जो कोरोनिल को गैर-वैज्ञानिक आधार पर तैयार बताकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को इस दवा को प्रमोट करने के लिए कटघरे में खड़ा कर रही है. वहीं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन स्वास्थ्य मंत्री का बचाव करते हुए नजर आ रही है. यहां न सूत है ना कपास है, लेकिन अपने-अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे दो मेडिकल एसोसिएशन आपस में गुत्थमगुत्थी हैं.

डीएमए के सचिव डॉ. अजय गंभीर से जानते हैं डीएमए की कहानी

1914 में डॉ. अतरचंद ने डीएमए की रखी थी नींव

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर का दावा है कि डॉक्टरों के हितों का ध्यान रखने वाली दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन सबसे पुराना संस्थान है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का अस्तित्व बाद में आया था. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टरों के हितों के लिए काम करने वाला पहला एनजीओ है, जिसका गठन 1914 में हुआ था. भारत के पहले सिविल सर्जन डॉ. अतरचंद्र ने इस एनजीओ का गठन किया था. इसके एक साल बाद 1915 में डॉक्टर अंसारी ने एक मस्जिद में दिल्ली में इसकी स्थापना की थी.

अंग्रेज समझते थे कि डॉक्टर्स आंदोलन चला रहे

विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज सरकार यह समझती थी कि डॉक्टर उनकी हुकूमत के खिलाफ जा रहे हैं और एक स्वतंत्र रूप से संगठित होकर कोई आंदोलन चला रहे हैं. 1928 में जब बंगाल विभाजन के बाद वहां से लोग दिल्ली की तरफ आ गए तो यहां पर उन लोगों ने मिलकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना की.

यह भी पढ़ेंः-MCD उपचुनाव: मैदान में 26 उम्मीदवार, वोट जरूर दें

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का गठन 1914 में हुआ, जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का गठन 1928 को बंगाल विभाजन के बाद बंगाल, दिल्ली और लाहौर से आए डॉक्टरों ने मिलकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की नींव रखी. उस समय यह तय हुआ कि डीएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टेट बॉडी की तरह काम करेगी. आईएमए का जो हेडक्वार्टर दिल्ली में होगा उसे दिल्ली के लोग चलाएंगे.

यह भी पढ़ेंः-नगर निगम की पांच सीटों पर उपचुनाव आज, 26 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला


डॉक्टर अजय गंभीर ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को भी एक चिट्ठी लिखी है. इसमें उनसे अपील की है कि 1914 में प्रथम विश्व युद्ध से लेकर दूसरे विश्वयुद्ध तक रेड क्रॉस और आजाद हिंद फौज के साथ काम करने वाली एनजीओ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन को भारत के राष्ट्रीय आर्काइव्स का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. अभी तक इसका जवाब नहीं आया है.

हर मुहिम में साथ देने का डीएमए का दावा

डॉ. अजय गंभीर ने बताया कि ब्लड बैंक से लेकर पोलियो अभियान तक भारत सरकार के हर मुहीम में सहयोग दिया है भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के कई सदस्य डॉक्टरों ने अपनी भूमिका निभाई है. झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने गहन अभियान चलाया और अब भी जारी है.

डॉ हर्षवर्धन भी रह चुके हैं डीएमए के सदस्य

डॉक्टर हर्षवर्धन दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की पूर्व सदस्य रहे हैं. जब वह राजनीति में आए और देश के स्वास्थ्य मंत्री बने तो उन्होंने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की मदद के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल का गठन किया. जो समर्पित होकर झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ अभियान चला रही है.

ये भी पढ़ें:-रोहिणी निगम जोन की पहल, गोबर से बन रही गैस और बिजली

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण का इलाज करने का दावा करने वाली बाबा रामदेव की स्वामित्व वाली कंपनी पतंजलि द्वारा निर्मित दवा "कोरोनिल" को लेकर देश भर के डॉक्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली दो मेडिकल एसोसिएशन आपस में भिड़ गई हैं. एक तरफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन है, जो कोरोनिल को गैर-वैज्ञानिक आधार पर तैयार बताकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को इस दवा को प्रमोट करने के लिए कटघरे में खड़ा कर रही है. वहीं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन स्वास्थ्य मंत्री का बचाव करते हुए नजर आ रही है. यहां न सूत है ना कपास है, लेकिन अपने-अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे दो मेडिकल एसोसिएशन आपस में गुत्थमगुत्थी हैं.

डीएमए के सचिव डॉ. अजय गंभीर से जानते हैं डीएमए की कहानी

1914 में डॉ. अतरचंद ने डीएमए की रखी थी नींव

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर का दावा है कि डॉक्टरों के हितों का ध्यान रखने वाली दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन सबसे पुराना संस्थान है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का अस्तित्व बाद में आया था. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टरों के हितों के लिए काम करने वाला पहला एनजीओ है, जिसका गठन 1914 में हुआ था. भारत के पहले सिविल सर्जन डॉ. अतरचंद्र ने इस एनजीओ का गठन किया था. इसके एक साल बाद 1915 में डॉक्टर अंसारी ने एक मस्जिद में दिल्ली में इसकी स्थापना की थी.

अंग्रेज समझते थे कि डॉक्टर्स आंदोलन चला रहे

विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज सरकार यह समझती थी कि डॉक्टर उनकी हुकूमत के खिलाफ जा रहे हैं और एक स्वतंत्र रूप से संगठित होकर कोई आंदोलन चला रहे हैं. 1928 में जब बंगाल विभाजन के बाद वहां से लोग दिल्ली की तरफ आ गए तो यहां पर उन लोगों ने मिलकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना की.

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दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का गठन 1914 में हुआ, जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का गठन 1928 को बंगाल विभाजन के बाद बंगाल, दिल्ली और लाहौर से आए डॉक्टरों ने मिलकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की नींव रखी. उस समय यह तय हुआ कि डीएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टेट बॉडी की तरह काम करेगी. आईएमए का जो हेडक्वार्टर दिल्ली में होगा उसे दिल्ली के लोग चलाएंगे.

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डॉक्टर अजय गंभीर ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को भी एक चिट्ठी लिखी है. इसमें उनसे अपील की है कि 1914 में प्रथम विश्व युद्ध से लेकर दूसरे विश्वयुद्ध तक रेड क्रॉस और आजाद हिंद फौज के साथ काम करने वाली एनजीओ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन को भारत के राष्ट्रीय आर्काइव्स का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. अभी तक इसका जवाब नहीं आया है.

हर मुहिम में साथ देने का डीएमए का दावा

डॉ. अजय गंभीर ने बताया कि ब्लड बैंक से लेकर पोलियो अभियान तक भारत सरकार के हर मुहीम में सहयोग दिया है भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के कई सदस्य डॉक्टरों ने अपनी भूमिका निभाई है. झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने गहन अभियान चलाया और अब भी जारी है.

डॉ हर्षवर्धन भी रह चुके हैं डीएमए के सदस्य

डॉक्टर हर्षवर्धन दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की पूर्व सदस्य रहे हैं. जब वह राजनीति में आए और देश के स्वास्थ्य मंत्री बने तो उन्होंने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की मदद के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल का गठन किया. जो समर्पित होकर झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ अभियान चला रही है.

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