शनिवार को कर्मचारियों ने बताया कि गुप्त मीटिंग के जरिए यह तय किया गया है कि डीटीसी के कर्मचारी आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी का साथ नहीं देंगे. इसमें न सिर्फ डीटीसी के अनुबंधित कर्मचारी बल्कि परमानेंट कर्मचारियों के साथ होने की बात भी कही गई है. कर्मचारियों के गणित के मुताबिक, ऐसे में पार्टी का 30 लाख का वोटबैंक प्रभावित होगा.
डीटीसी कॉन्ट्रक्चुअल एम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष वाल्मिकी झा ने बताया कि बीते 3 महीने से धरने पर बैठे कर्मचारियों की मांगों पर आज की तारीख तक कोई सुनवाई नहीं की गई है.
अभी के समय में कर्मचारियों ने एकमत यह फैसला किया है कि 30 जनवरी तक केजरीवाल सरकार के कर्मचारियों की मांग नहीं मानती है तो लोकसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी का बहिष्कार किया जाएगा.
ऐसे में न सिर्फ बहिष्कार होगा बल्कि कर्मचारी उस पार्टी का समर्थन भी करेंगे जो डीटीसी कर्मचारियों की मांगों पर विचार करेगा.
बता दें कि धरने पर बैठे कर्मचारियों की मुख्य मांगों में कर्मचारियों को पक्का करने और समान काम समान वेतन की मांग की मुख्य है.
इनका कहना है कि डीटीसी का निजीकरण तुरंत बंद किया जाना चाहिए. साथ ही, आंदोलन के दौरान नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को भी तत्काल प्रभाव से वापस बुलाया जाना चाहिए.