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अर्थराइटिस का इलाज है, पर उसे खत्म नहीं किया जा सकता है : डॉ. उमा - डॉ. उमा

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित पब्लिक लेक्चर में प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार ने अर्थराइटिस यानी गठिया के बारे में छात्रों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अर्थराइटिस एक ऐसा रोग है, जिसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है.

अर्थराइटिस को खत्म नहीं किया जा सकता : डॉ. उमा
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Published : Oct 16, 2019, 8:22 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 4:00 PM IST

नई दिल्ली: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के मौके पर जामिया मिलिया इस्लामिया में पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में एम्स की प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार मौजूद रहीं. यह कार्यक्रम जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. इस दौरान प्रोफेसर उमा ने छात्रों को अर्थराइटिस और उसके प्रकार के बारे में बताया. साथ ही इससे बचने के उपाय भी समझाएं.

अर्थराइटिस को खत्म नहीं किया जा सकता : डॉ. उमा

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित पब्लिक लेक्चर में प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार ने अर्थराइटिस यानी गठिया के बारे में छात्रों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अर्थराइटिस एक ऐसा रोग है, जिसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है. लेकिन दवाई और खानपान सुधार कर इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है .

'हर उम्र लोगों में यह रोग देखने को मिल रहा है'

डॉ. उमा ने ईटीवी भारत को बताया कि इस बीमारी का मुख्य कारण वातावरण में परिवर्तन और बदलती जीवन शैली है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग पूरी तरह से तकनीक पर आश्रित हो चुके हैं और लगातार एक ही स्थिति में बैठकर फोन, कंप्यूटर आदि पर काम करते रहते हैं. ऐसे में शरीर का केवल एक जॉइंट काम करता है और अधिक तनाव होने के चलते उस हिस्से के जोड़ में समस्या बढ़ने लगी है. इस तरह की जीवनशैली से इस रोग के होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले यह रोग केवल बुजुर्गों को ही प्रभावित करता था वहीं अब नवजात शिशु से लेकर हर उम्र के लोगों में यह रोग देखने को मिल रहा है.

'जरूरी है फिजिकल एक्टिविटी'

उन्होंने बताया कि किसी भी जोड़ में हो रहे दर्द को अर्थराइटिस का नाम नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि शरीर में 360 जोड़ है जिनमें किसी न किसी वजह से दर्द रह सकता है. वहीं अक्सर महिलाएं यह कहते हुए सुनाई देती है कि वह तो सारा दिन काम करती हैं, फिर उन्हें अर्थराइटिस क्यों होता है, इसको लेकर डॉक्टर उमा ने बताया कि घरेलू काम करते समय शरीर का केवल एक या दो जोड़ ही काम करते हैं बाकी सभी सुप्त अवस्था में रहते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि इस तरह की फिजिकल एक्टिविटी की जाए जिसमें शरीर की सभी जोड़ों की मूवमेंट हो जिससे मांस पेशियां मजबूत होती है और आर्थराइटिस की समस्या होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर इन दिनों मस्कुलर स्केलेटल से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस तरह के अर्थराइटिस में मरीज को जोड़ों में बेहद तेज दर्द महसूस होता है.

'खानपान को सही रखे'

डॉक्टर उमा ने बताया कि हालांकि इस रोग को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि अपने खानपान को सही रखने की बहुत जरूरत है , जंक फूड जैसी चीज़ों का सेवन कम से कम या ना के बराबर करना चाहिए. इसके अलावा धूम्रपान या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही रोजाना कम से कम डेढ़ सौ मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए. इसके अलावा जोड़ों में चोट ना लगे इसका ध्यान रखें और शरीर में मोटापा ना होने दें. इस तरह स्वस्थ खानपान, स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ वातावरण अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है.


वहीं उन्होंने कहा कि यदि किसी को यह रोग हो भी जाता है तो सही तरीके से इलाज करवाने से इस रोग का असर काफी हद तक नियंत्रण में रहता है, जिससे रोगी सामान्य जीवन जी सकता है.

नई दिल्ली: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के मौके पर जामिया मिलिया इस्लामिया में पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में एम्स की प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार मौजूद रहीं. यह कार्यक्रम जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. इस दौरान प्रोफेसर उमा ने छात्रों को अर्थराइटिस और उसके प्रकार के बारे में बताया. साथ ही इससे बचने के उपाय भी समझाएं.

अर्थराइटिस को खत्म नहीं किया जा सकता : डॉ. उमा

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित पब्लिक लेक्चर में प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार ने अर्थराइटिस यानी गठिया के बारे में छात्रों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अर्थराइटिस एक ऐसा रोग है, जिसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है. लेकिन दवाई और खानपान सुधार कर इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है .

'हर उम्र लोगों में यह रोग देखने को मिल रहा है'

डॉ. उमा ने ईटीवी भारत को बताया कि इस बीमारी का मुख्य कारण वातावरण में परिवर्तन और बदलती जीवन शैली है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग पूरी तरह से तकनीक पर आश्रित हो चुके हैं और लगातार एक ही स्थिति में बैठकर फोन, कंप्यूटर आदि पर काम करते रहते हैं. ऐसे में शरीर का केवल एक जॉइंट काम करता है और अधिक तनाव होने के चलते उस हिस्से के जोड़ में समस्या बढ़ने लगी है. इस तरह की जीवनशैली से इस रोग के होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले यह रोग केवल बुजुर्गों को ही प्रभावित करता था वहीं अब नवजात शिशु से लेकर हर उम्र के लोगों में यह रोग देखने को मिल रहा है.

'जरूरी है फिजिकल एक्टिविटी'

उन्होंने बताया कि किसी भी जोड़ में हो रहे दर्द को अर्थराइटिस का नाम नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि शरीर में 360 जोड़ है जिनमें किसी न किसी वजह से दर्द रह सकता है. वहीं अक्सर महिलाएं यह कहते हुए सुनाई देती है कि वह तो सारा दिन काम करती हैं, फिर उन्हें अर्थराइटिस क्यों होता है, इसको लेकर डॉक्टर उमा ने बताया कि घरेलू काम करते समय शरीर का केवल एक या दो जोड़ ही काम करते हैं बाकी सभी सुप्त अवस्था में रहते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि इस तरह की फिजिकल एक्टिविटी की जाए जिसमें शरीर की सभी जोड़ों की मूवमेंट हो जिससे मांस पेशियां मजबूत होती है और आर्थराइटिस की समस्या होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर इन दिनों मस्कुलर स्केलेटल से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस तरह के अर्थराइटिस में मरीज को जोड़ों में बेहद तेज दर्द महसूस होता है.

'खानपान को सही रखे'

डॉक्टर उमा ने बताया कि हालांकि इस रोग को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि अपने खानपान को सही रखने की बहुत जरूरत है , जंक फूड जैसी चीज़ों का सेवन कम से कम या ना के बराबर करना चाहिए. इसके अलावा धूम्रपान या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही रोजाना कम से कम डेढ़ सौ मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए. इसके अलावा जोड़ों में चोट ना लगे इसका ध्यान रखें और शरीर में मोटापा ना होने दें. इस तरह स्वस्थ खानपान, स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ वातावरण अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है.


वहीं उन्होंने कहा कि यदि किसी को यह रोग हो भी जाता है तो सही तरीके से इलाज करवाने से इस रोग का असर काफी हद तक नियंत्रण में रहता है, जिससे रोगी सामान्य जीवन जी सकता है.

Intro:नई दिल्ली ।

वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के मौके पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में एम्स की प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार मौजूद रहीं. यह कार्यक्रम जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. इस दौरान प्रोफेसर उमा ने छात्रों को अर्थराइटिस और उसके प्रकार के बारे में बताया. साथ ही इससे बचने के उपाय भी समझाएं.


Body:जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा आयोजित पब्लिक लेक्चर में प्रोफेसर डॉ. उमा कुमार ने अर्थराइटिस यानी गठिया के बारे में छात्रों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अर्थराइटिस एक ऐसा रोग है जिसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन दवाई और खानपान सुधार कर इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है .

वही प्रोफेसर डॉ. उमा ने बताया कि इस बीमारी का मुख्य कारण वातावरण में परिवर्तन और बदलती जीवन शैली है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग पूरी तरह से तकनीक पर आश्रित हो चुके हैं और लगातार एक ही स्थिति में बैठकर फोन, कंप्यूटर आदि पर काम करते रहते हैं. ऐसे में शरीर का केवल एक जॉइंट काम करता है और अधिक तनाव होने के चलते उज़ हिस्से के जोड़ में समस्या बढ़ने लगी है. इस तरह की जीवनशैली से इस रोग के होने की संभावना है कई गुना बढ़ जाती हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले यह रोग केवल बुजुर्गों को ही प्रभावित करता था वहीं अब नवजात शिशु से लेकर हर उम्र के लोगों में यह रोग देखने को मिल रहा है.

उन्होंने बताया कि किसी भी जोड़ में हो रहे दर्द को अर्थराइटिस का नाम नहीं दिया जा सकता क्योंकि शरीर में 360 जोड़ है जिनमें किसी न किसी वजह से दर्द रह सकता है. वहीं अक्सर महिलाएं यह कहते हुए सुनाई देती है कि वह तो सारा दिन काम करती हैं फिर उन्हें अर्थराइटिस क्यों होता है, इसको लेकर डॉक्टर उमा ने बताया कि घरेलू काम करते समय शरीर का केवल एक या दो जोड़ ही काम करते हैं बाकी सभी सुप्त अवस्था में रहते हैं. ऐसे में जरूरी है कि इस तरह की फिजिकल एक्टिविटी की जाए जिसमें शरीर की सभी जोड़ों की मूवमेंट हो जिससे मांस पेशियां मजबूत होती है और आर्थराइटिस की समस्या होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर इन दिनों मस्कुलर स्केलेटल से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस तरह के अर्थराइटिस में मरीज को जोड़ों में बेहद तेज दर्द महसूस होता है.

डॉक्टर उमा ने बताया कि हालांकि इस रोग को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि अपने खानपान को सही रखने की बहुत जरूरत है , जंक फूड जैसी चीज़ों का सेवन कम से कम या ना के बराबर करना चाहिए. इसके अलावा धूम्रपान या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही रोजाना कम से कम डेढ़ सौ मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए. इसके अलावा जोड़ों में चोट ना लगे इसका ध्यान रखें और शरीर में मोटापा ना होने दें. इस तरह स्वस्थ खानपान, स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ वातावरण अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है.




Conclusion:वहीं उन्होंने कहा कि यदि किसी को यह रोग हो भी जाता है तो सही तरीके से इलाज करवाने से इस रोग का असर काफी हद तक नियंत्रण में रहता है जिससे रोगी सामान्य जीवन जी सकता है.
Last Updated : Oct 16, 2019, 4:00 PM IST
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