नई दिल्ली : दीपावली के उपलक्ष्य में सतयुग दर्शन वसुन्धरा स्थित ध्यान कक्ष परिसर (meditation hall premises) में ‘दीपावली उत्सव‘ नाम से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर के सैकड़ों लोगों ने हर्षोल्लास के साथ भाग लिया और आध्यात्मिक मार्ग दर्शन व मेडिटेशन के साथ-साथ कैन्डल शो, वीडियो शो, फ्लावर शो व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद उठाया. कार्यक्रम के अंत में सबने विश्व के प्रथम समभाव-समदृष्टि के स्कूल का यानी ध्यान कक्ष का परिभ्रमण किया और उसके बाद गेम्स, गरबा डॉस आदि का भरपूर आनन्द लिया.
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समस्त जीवों में एकात्मा का अनुभव करें : इस अवसर पर उपस्थित ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन जी ने कहा कि कलियुग का घोर अंधकार शीघ्र ही छंटने वाला है व सतयुग का उदय होने वाला है, अत: अगर अंधकार से प्रकाश की ओर जाना जाते हो तो कलियुगी भाव और स्वभाव बदलकर, सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित सतयुगी नैतिक आचार-संहिता अपनाओ, यानी अंतर दृष्टि से, सर्वव्यापक भगवान अर्थात समस्त जीवों में एकात्मा का अनुभव करते हुए सृष्टि के सर्वोच्च सत्य को हृदय से आत्मसात कर तदनुकूल आचार-व्यवहार अपनाओ व सतयुगी मानव बन जाओ.
धर्मपरायण इंसान बनने का आग्रह :अपनी बात को आगे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि राजसिक व तामसिक प्रवृत्ति के प्रतीक, काम-क्रोध-लोभ-मोह-अहंकार युक्त शारीरिक भाव-स्वभाव अविलम्ब त्याग कर, आत्मज्ञान प्राप्ति के माध्यम से अपने कुदरत प्रदत्त यथार्थ धर्म पर स्थिरता से खड़े होने का पुरुषार्थ दिखाओ. इस तरह आत्मतुष्ट हो जाओ कि जीवन की हर परिस्थिति में संतोष, धैर्य पर स्थिरता से बने रहकर, सत्य-धर्म के विचारयुक्त निष्काम रास्ते पर निरंतर चलते हुए निष्पाप जीवन जीना सहज हो जाए. अपने आप में कलियुगी भाव-स्वभाव छोड़, पुन: सत्यनिष्ठ व धर्मपरायण इंसान बन, यथार्थतापूर्ण परोपकारी जीवन जीने के योग्य बनने जैसी मंगलकारी बात होगी.
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