नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले में एम्स फॉरेंसिक टीम की रिपोर्ट सिलेक्टिव मीडिया में लीक होने की वजह से देश के सबसे बड़े अस्पताल की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है. इस मामले में पूरी दुनिया भर की नजरें एम्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट पर टिकी हुई थी.
बता दें कि एक निजी न्यूज चैनल में एम्स के फॉरेंसिक टीम के अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर गुप्ता का स्टिंग ऑपरेशन ब्रॉडकास्ट होने के बाद डॉ. गुप्ता की निजी छवि के अलावा दुनिया भर में प्रतिष्ठित देश के सबसे बड़ी मेडिकल संस्थान एवं हॉस्पिटल एम्स की छवि को गहरा आघात लगा है. अगर आधिकारिक तौर पर इस मामले में एम्स की तरफ से स्टेटमेंट जारी किया गया होता तो इतना कन्फ्यूजन पैदा न होता.
स्टिंग ऑपरेशन के बाद एम्स का स्टेटमेंट
एम्स प्रशासन की तरफ से स्टेटमेंट जारी कर इस पूरे मामले को सीबीआई के तहत कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया है. एम्स प्रशासन ने डॉक्टर सुधीर गुप्ता के बयान से खुद को अलग करके इसकी पुष्टि कर दी है कि डॉक्टर सुधीर गुप्ता का सुशांत सिंह राजपूत मामले में बयान देना उनका निजी मामला है. संस्थान को उनके बयान से कोई मतलब नहीं है.
क्या एम्स प्रशासन फॉरेंसिक हेड के खिलाफ करेगा कार्रवाई ?
अब सवाल ये है कि एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया संस्थान के किसी एक विभाग के अध्यक्ष के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं? क्योंकि ये स्पष्ट है कि डॉ. सुधीर गुप्ता ने इस मामले में गैर पेशेवर रवैया अपनाकर एम्स की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है. क्या एम्स प्रशासन फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर सुधीर गुप्ता के खिलाफ सीसीएस नियम-16 के 1964 के तहत आधिकारिक सूचना को गैर कानूनी तरीके से मीडिया में लीक करने के आरोप में कार्रवाई करेगा? क्योंकि जब मामला छोटे कर्मचारियों का हो , तो इस मामले में एम्स प्रशासन का कार्रवाई करने में तत्परता दिखाता है और उन्हें सीधे नोटिस भेज दिया जाता है. देखना दिलचस्प होगा कि जब डिपार्टमेंट हेड बड़ी गलती करें, जिससे पूरी संस्थान की बदनामी हो, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है?
सीबीआई के हाथ में है केस
एम्स की तरफ से जारी स्टेटमेंट के मुताबिक एक्टर सुशांत के कथित आत्महत्या मामले में सीबीआई की ओर से इस मामले की जांच करने और एक्सपर्ट ऑपिनियन लेने के लिए आग्रह के बाद एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर सुधीर गुप्ता एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया. मेडिकल बोर्ड ने अपना ओपिनियन और जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दिया है. लीगल मैटर होने की वजह से इस मामले से संबंधित कोई भी जानकारी सीधे सीबीआई से प्राप्त की जा सकती है. एम्स का इस मामले में अब कोई भूमिका नहीं है.
एम्स की नजर में डॉ. सुधीर गुप्ता ने नहीं की गलती
एम्स द्वारा जारी इस स्टेटमेंट में ये स्पष्ट नहीं है कि डॉ. सुधीर ने नियम के विरुद्ध कांफिडेंशियल सूचना को लीक कर कोई अपराध किया या नहीं? अगर किया है तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी. इसका कोई जिक्र नहीं है. इसका मतलब ये हुआ कि एम्स प्रशासन ये मान कर चल रहा है कि प्रोफेसर सुधीर गुप्ता ने कोई गलती नहीं की है.
डॉ. गुप्ता को पद से हटा दिया गया था
आपको बता दें कि बहुचर्चित सुनंदा पुष्कर कथित आत्महत्या मामले में भी ऐसी स्थिति थी, लेकिन इसमें एक अंतर ये है कि उस मामले में डॉ. सुधीर गुप्ता के खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई की थी और उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें दोबारा पद पर नियुक्त कर दिया गया था.