नई दिल्ली: 29 अक्टूबर वर्ल्ड स्ट्रोक डे के रूप में मनााया जाता है, जिसका उद्देश्य इस बीमारी को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाना. जिससे लोग इस बीमारी से वक्त रहते ही निजात पा सकें. स्ट्रोक यानि लकवा, जो एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति का कोई भी अंग अचानक से काम करना बंद कर देता है. इस बीमारी में हाथ-पैरों में जान नहीं रहती है और जुबान भी लड़खड़ाने लगती है. कई बार तो व्यक्ति की आवाज भी चली जाती है. अगर वक्त रहते इस बीमारी का इलाज नहीं किया जाए तो यह बीमारी मौत का कारण भी बन सकती है.
एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों में बीमारी की आशंका मिलती है तो उन्हें समय रहते इलाज दिया जा सके. 29 अक्तूबर को दुनिया भर में मनाए जाने वाले विश्व स्ट्रोक दिवस को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने यह जानकारी दी.
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डॉक्टरों ने बताया कि देश में प्रति एक लाख की आबादी पर 116 के आसपास ब्रेन स्ट्रोक के रोगी मिलते हैं. उन्होंने बताया कि लोगों में अभी अवेयरनेस नहीं है. लोगों को अवेयर रहने की जरूरत है. ज्यादातर देहात के क्षेत्रों में लोग अभी भी इस चीज से बेखबर हैं. इसलिए हमारा फोकस है कि एक अलग टीम बनाई जाए और वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक डे पर एम्स का स्टाफ बच्चों के साथ इस जागरूकता अभियान की शुरुआत कर रहा है, जहां पर स्कूलों के बच्चों को साथ लिया जाएगा.
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देश में मृत्यु का कारण बनने वाली बीमारियों में ब्रेन स्ट्रोक का चौथा स्थान है. जबकि दिव्यांगता देने में पांचवां स्थान है. डॉ. पद्मा एम श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए स्ट्रोक मैप तैयार करने जा रही है. एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए तो नुकसान की आशंका कम होती है.
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