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सांसद जी आते हैं और हाथ हिलाकर चले जाते हैं, हमारी कोई नहीं सुनता- सीलमपुर वासी

मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र का सीलमपुर इलाका आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है.

बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझता सीलमपुर
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Published : May 3, 2019, 7:18 PM IST

Updated : May 3, 2019, 10:27 PM IST

नई दिल्ली: बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र का सीलमपुर इलाका आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है. आज भी यहां की जनता पीने के पानी के लिए टैंकर पर ही आश्रित है.

वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण इलाकों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया. जिसके बाद सांसदों ने अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में गांव गोद लेकर उनकी दशा सुधारने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली के सीलमपुर की हालत आज भी जस के तस बनी है.

बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझता सीलमपुर

चुनाव के बाद नहीं आते सांसद
ईटीवी भारत की टीम जब सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र का जायजा लेने पहुंची तो नेताओं के प्रति स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के दौरान ही आते हैं. चुनाव बीत जाने के बाद उनके दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हैं. हमारी कोई नहीं सुनता है.

बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि पूरे सीलमपुर में पीने के पानी की समस्या सालों- साल से चलती आ रही है. पीने के पानी के लिए लोगों को जल बोर्ड के टैंकरों पर आश्रित रहना पड़ता है. हालांकि सुबह-शाम पाइपलाइन द्वारा घरों में पानी की सप्लाई तो की जाती है, लेकिन वो पानी पीने लायक नहीं होता. जिस वजह से मजबूरन लोगों को टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है.

निवासियों को नहीं पता सांसद का नाम
बातचीत के दौरान स्थानीय निवासी समीना ने बताया कि उन्हें क्षेत्र के सांसद का नाम तक नहीं पता. क्योंकि सांसद कभी यहां आते ही नहीं. सांसद बस रोड से हाथ हिला कर चले जाते हैं. सांसद के पास इतना भी समय नहीं है कि अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर सके और लोगों की समस्याओं को सुलझा सकें.

50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
अगर बात सीलमपुर विधानसभा के जातीय समीकरणों की करें तो यहां 50 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर है. जिनका हर चुनाव में अहम योगदान होता है. इसके बाद यहां पर 23 फ़ीसदी ओबीसी वोटर, 13 फ़ीसदी ब्राह्मण वोटर और 8 फ़ीसदी एससी कैटेगरी के वोटर हैं.

नई दिल्ली: बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र का सीलमपुर इलाका आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है. आज भी यहां की जनता पीने के पानी के लिए टैंकर पर ही आश्रित है.

वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण इलाकों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया. जिसके बाद सांसदों ने अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में गांव गोद लेकर उनकी दशा सुधारने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली के सीलमपुर की हालत आज भी जस के तस बनी है.

बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझता सीलमपुर

चुनाव के बाद नहीं आते सांसद
ईटीवी भारत की टीम जब सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र का जायजा लेने पहुंची तो नेताओं के प्रति स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के दौरान ही आते हैं. चुनाव बीत जाने के बाद उनके दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हैं. हमारी कोई नहीं सुनता है.

बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि पूरे सीलमपुर में पीने के पानी की समस्या सालों- साल से चलती आ रही है. पीने के पानी के लिए लोगों को जल बोर्ड के टैंकरों पर आश्रित रहना पड़ता है. हालांकि सुबह-शाम पाइपलाइन द्वारा घरों में पानी की सप्लाई तो की जाती है, लेकिन वो पानी पीने लायक नहीं होता. जिस वजह से मजबूरन लोगों को टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है.

निवासियों को नहीं पता सांसद का नाम
बातचीत के दौरान स्थानीय निवासी समीना ने बताया कि उन्हें क्षेत्र के सांसद का नाम तक नहीं पता. क्योंकि सांसद कभी यहां आते ही नहीं. सांसद बस रोड से हाथ हिला कर चले जाते हैं. सांसद के पास इतना भी समय नहीं है कि अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर सके और लोगों की समस्याओं को सुलझा सकें.

50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
अगर बात सीलमपुर विधानसभा के जातीय समीकरणों की करें तो यहां 50 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर है. जिनका हर चुनाव में अहम योगदान होता है. इसके बाद यहां पर 23 फ़ीसदी ओबीसी वोटर, 13 फ़ीसदी ब्राह्मण वोटर और 8 फ़ीसदी एससी कैटेगरी के वोटर हैं.

Intro:नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र उत्तर पूर्वी दिल्ली का सीलमपुर विधानसभा आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने की पानी को लेकर है. आज भी यहां की जनता पीने की पानी के लिए टैंकर पर ही आश्रित है.





Body:वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण इलाकों की स्थिति सुधारने पर जोड़ दिया था. इसके लिए सांसदों ने अपने अपने लोकसभा क्षेत्र स्थित गांव को गोद लेकर उन गांव की दशा सुधारी थी. लेकिन उत्तर पूर्वी संसदीय क्षेत्र स्थित सीलमपुर विधानसभा आज भी अपनी दशा पर आंसू बहा रहा है.

ईटीवी भारत की टीम जब सीलमपुर विधानसभा का जायजा लेने पहुंची तो नेताओं के प्रति स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के दौरान ही आते हैं. चुनाव बीत जाने के बाद उनके दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हैं. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि स्थानीय निवासियों को अपने सांसद का नाम ही नहीं पता. उनका कहना है कि अगर सांसद क्षेत्र का दौरा करते तो सांसद के बारे में पता होता. सांसद साहब बस रोड पर से हाथ हिलाकर निकल जाते हैं.

बातचीत के दौरान स्थानीय निवासियों का कहना है कि पूरे सीलमपुर इलाके में पीने के पानी की समस्या सालों भर बनी रहती है. पीने के पानी के लिए लोगों को जल बोर्ड के टैंकरों पर आश्रित रहना पड़ता है. हालांकि सुबह शाम सरकारी पाइपलाइन द्वारा घरों में पानी का सप्लाई तो किया जाता है. लेकिन वह पानी पीने लायक नहीं होता. जिसके कारण मजबूरन लोगों को टैंकरों के सहारे पीने के पानी का इंतजाम करना होता है. इतना ही नहीं यहां के लोगों की अपने सांसद से कई सारी आशाएं थी जिन पर उनके सांसद खरे नही उतरे.


निवासियों को नहीं पता सांसद का नाम :
ईटीवी से बातचीत के दौरान स्थानीय निवासी समीना ने बताया कि उन्हें क्षेत्र के सांसद का नाम नहीं पता. क्योंकि सांसद कभी यहां आते ही नहीं. सांसद आते हैं तो बस रोड पर से ही हाथ हिला कर चले जाते हैं. सांसद के पास इतना भी समय नहीं कि अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर सके और लोगों की समस्याओं को सुलझा सके.


Conclusion:अगर बात सीलमपुर विधानसभा के जातीय समीकरणों की करें तो यहां पर 50 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर है. जिनका हर चुनाव में अहम योगदान होता है. इसके बाद यहां पर 23 फ़ीसदी ओबीसी वोटर, 13 फ़ीसदी ब्राह्मण वोटर और 8 फ़ीसदी एससी कैटेगरी के वोटर हैं.
Last Updated : May 3, 2019, 10:27 PM IST
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