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डाक टिकटों के साथ-साथ सिक्के जमा करना भी डॉ. इसरानी का है शौक, देखिए उनके संग्रह - The nature of coins in the Indian economy

आजादी के समय पाकिस्तान से भारत आए डॉ. जे वी इसरानी के पास 100 से भी ज्यादा देशों के 2500 से भी ज्यादा सिक्कों का शानदार कलेक्शन है. यही नहीं उनके पास डाक टिकटों का संग्रह है. जिसकी वजह से लोग उन्हें पहचानते है.

Collection of coins
सिक्कों का कलेक्शन
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Published : Jul 18, 2020, 8:01 PM IST

नई दिल्ली: बूंद बूंद से घड़ा भरता है, दिलशाद कॉलोनी एफ ब्लॉक में रहने वाले डॉ. जे वी इसरानी इसके बेहतरीन उदाहरण हैं. जो महज पांच साल की उम्र में पाकिस्तान से कुछ ऐतिहासिक महत्व के सिक्के लेकर भारत आए थे, लेकिन आज उनके पास 100 से भी ज्यादा देशों के 2500 से भी ज्यादा सिक्कों का शानदार कलेक्शन है.

100 देशों के 2500 से ज्यादा सिक्कों का कलेक्शन

12 वीं शताब्दी के हैं सिक्के

डॉ. जे वी इसरानी को जानने वाले उन्हें उनके डाक टिकटों के अदभुत संग्रह के लिए जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता है उनके पास सिक्कों का भी एक शानदार कलेक्शन है. जिसमे 12 वीं शताब्दी में भारत में चलने वाले सिक्कों से लेकर दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों के कलेक्शन हैं. उनके पास मुगलकालीन और अजीब से आकार वाले ढलवा सिक्के हैं. जिन्हें देखकर एकबारगी तो ये यकीन करना भी मुश्किल होता है कि ये भी सिक्के हैं.

मिलिए डाक टिकटों के शहंशाह डॉ. इसरानी से, 55 से भी ज्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड है इनके नाम

भारतीय सिक्कों के बदलते स्वरुप का दर्शन

डॉ. इसरानी के पास जो सिक्कों का जो संग्रह है, उसमे बड़ी संख्या भारतीय सिक्कों की है. इसमें आना, पैसे और रुपयों के सिक्के भी हैं. खास बात ये है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सिक्कों का स्वरूप कैसे और कब कब बदला, इसका डॉ. इसरानी के पास बेहद शानदार कलेक्शन है. जिसे उन्होंने उसके निर्माण वर्ष के अनुसार क्रमवार सजाकर रखा है.

Collection of coins
सिक्कों का कलेक्शन
विदेशी सिक्कों का भी मिलता है इतिहास

डॉ. इसरानी के कलेक्शन भारतीय सिक्कों के साथ ही विदेशी सिक्कों का भी इतिहास समेटे हुए हैं. मसलन चीन को ही देख लें कि पिछले एक दशक में उसका सिक्का बड़ा होता चला गया. डॉ. इसरानी बताते हैं कि इनमे से बहुत सारे सिक्कों को उन्होंने उन देशों की यात्रा के दौरान वहां से एकत्रित किया है.

Collection of coins
सिक्कों का कलेक्शन

5 वीं कक्षा से कर रहे हैं एकत्र

डॉ. इसरानी बताते हैं कि सन 1947 में जब वे पाकिस्तान से दिल्ली आए थे तब उनके पास मुगलकाल के कुछ सिक्के थे. पांचवीं कक्षा में जब टीचर ने कोई शौक अपनाने को कहा तो उन्होंने डाक टिकटों का संग्रह शुरू कर दिया. उसके साथ ही सिक्कों का संग्रह भी शुरू हो गया. हालांकि उनका मानना है कि डाक टिकटों के संग्रह के शौक की वजह से वे कभी सिक्कों के संग्रह के प्रति ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए, अन्यथा ये कलेक्शन और भी बड़ा हो सकता था.

Collection of coins
सिक्कों का कलेक्शन
कई फायदे हैं

डॉ इसरानी मानते हैं कि इन संग्रहों के आर्थिक फायदे के बारे में तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं, लेकिन इसके दुसरे कई फायदे और भी हैं. सबसे बड़ी बात तो इससे उन्हें चीजों को इकट्ठा करने की आदत पड़ गई. जिससे चीजों को आसानी से फेंक देना या नकार देना अब उनकी आदत में शुमार नहीं है. वहीं इसकी वजह से वे अन्य कई अवगुणों से भी बच गए और इसकी वजह से समाज में जो सम्मान मिला उसकी कोई तुलना किसी से नहीं की जा सकती है.

नई दिल्ली: बूंद बूंद से घड़ा भरता है, दिलशाद कॉलोनी एफ ब्लॉक में रहने वाले डॉ. जे वी इसरानी इसके बेहतरीन उदाहरण हैं. जो महज पांच साल की उम्र में पाकिस्तान से कुछ ऐतिहासिक महत्व के सिक्के लेकर भारत आए थे, लेकिन आज उनके पास 100 से भी ज्यादा देशों के 2500 से भी ज्यादा सिक्कों का शानदार कलेक्शन है.

100 देशों के 2500 से ज्यादा सिक्कों का कलेक्शन

12 वीं शताब्दी के हैं सिक्के

डॉ. जे वी इसरानी को जानने वाले उन्हें उनके डाक टिकटों के अदभुत संग्रह के लिए जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता है उनके पास सिक्कों का भी एक शानदार कलेक्शन है. जिसमे 12 वीं शताब्दी में भारत में चलने वाले सिक्कों से लेकर दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों के कलेक्शन हैं. उनके पास मुगलकालीन और अजीब से आकार वाले ढलवा सिक्के हैं. जिन्हें देखकर एकबारगी तो ये यकीन करना भी मुश्किल होता है कि ये भी सिक्के हैं.

मिलिए डाक टिकटों के शहंशाह डॉ. इसरानी से, 55 से भी ज्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड है इनके नाम

भारतीय सिक्कों के बदलते स्वरुप का दर्शन

डॉ. इसरानी के पास जो सिक्कों का जो संग्रह है, उसमे बड़ी संख्या भारतीय सिक्कों की है. इसमें आना, पैसे और रुपयों के सिक्के भी हैं. खास बात ये है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सिक्कों का स्वरूप कैसे और कब कब बदला, इसका डॉ. इसरानी के पास बेहद शानदार कलेक्शन है. जिसे उन्होंने उसके निर्माण वर्ष के अनुसार क्रमवार सजाकर रखा है.

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सिक्कों का कलेक्शन
विदेशी सिक्कों का भी मिलता है इतिहास

डॉ. इसरानी के कलेक्शन भारतीय सिक्कों के साथ ही विदेशी सिक्कों का भी इतिहास समेटे हुए हैं. मसलन चीन को ही देख लें कि पिछले एक दशक में उसका सिक्का बड़ा होता चला गया. डॉ. इसरानी बताते हैं कि इनमे से बहुत सारे सिक्कों को उन्होंने उन देशों की यात्रा के दौरान वहां से एकत्रित किया है.

Collection of coins
सिक्कों का कलेक्शन

5 वीं कक्षा से कर रहे हैं एकत्र

डॉ. इसरानी बताते हैं कि सन 1947 में जब वे पाकिस्तान से दिल्ली आए थे तब उनके पास मुगलकाल के कुछ सिक्के थे. पांचवीं कक्षा में जब टीचर ने कोई शौक अपनाने को कहा तो उन्होंने डाक टिकटों का संग्रह शुरू कर दिया. उसके साथ ही सिक्कों का संग्रह भी शुरू हो गया. हालांकि उनका मानना है कि डाक टिकटों के संग्रह के शौक की वजह से वे कभी सिक्कों के संग्रह के प्रति ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए, अन्यथा ये कलेक्शन और भी बड़ा हो सकता था.

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सिक्कों का कलेक्शन
कई फायदे हैं

डॉ इसरानी मानते हैं कि इन संग्रहों के आर्थिक फायदे के बारे में तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं, लेकिन इसके दुसरे कई फायदे और भी हैं. सबसे बड़ी बात तो इससे उन्हें चीजों को इकट्ठा करने की आदत पड़ गई. जिससे चीजों को आसानी से फेंक देना या नकार देना अब उनकी आदत में शुमार नहीं है. वहीं इसकी वजह से वे अन्य कई अवगुणों से भी बच गए और इसकी वजह से समाज में जो सम्मान मिला उसकी कोई तुलना किसी से नहीं की जा सकती है.

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