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कोरोना की वजह से डायलिसिस मरीजों को हो रही है परेशानी

कोरोना के दौर में दूसरी बीमारियों के मरीजों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन सरकार इसको लेकर कोई कदम नहीं उठा रही है. ईडब्लयूएस मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि डायलिसिस के मरीजों

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Published : Nov 2, 2020, 2:54 AM IST

Praveen
प्रवीण

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से कोरोना के मरीजों को परेशानी तो हो ही रही है, साथ ही दूसरी बीमारियों के मरीजों को भी खासी दिक्कत हो रही है. ऐसे परेशान मरीज हैं डायलिसिस मरीज.

कोरोना की वजह से डायलिसिस मरीजों को हो रही है परेशानी

एम्स ने किया मना, प्राईवेट के पैसे नहीं

बता दें कि सोनीपत के रहने वाले प्रवीण पिछले कई सालों से नरेला में रह रहे हैं और एलआईसी एजेंट का काम करते हैं. दो साल पहले प्रवीण की बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिसके वजह से उनकी किडनी खराब हो गई. तब एम्स में इलाज शुरू हुआ. दो साल तक तो सब कुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन एक सप्ताह पहले फिर तबीयत खराब हुई तो सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने की वजह से मैक्स अस्पताल में गए. वहां डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दी. पहले तो खर्च 5 हजार बताया लेकिन भर्ती होने के बाद बिल कई गुणा ज्यादा बन गया. एक बार तो प्रवीण ने किसी तरह से पैसे का इंतजाम कर लिया, लेकिन डॉक्टर अब हर दूसरे दिन डायलिसिस के लिए कहने लगे और इसके लिए उनके पास पैसे नहीं है. अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि डायलिसिस के लिए कहां जाएं.

सरकार से निशुल्क सुविधा देने की मांग

ईडब्लयूएस मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि मरीजों को सप्ताह में तीन तीन दिन डायलिसिस की सलाह तो दी जाती है. लेकिन सरकार की तरफ से इसकी निशुल्क सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से मरीज डायलिसिस का पूरा कोर्स नहीं कर पाते और उनकी मौत हो जाती है. उन्होंने मांग की कि सरकार इसे निशुल्क प्रदान करे.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से कोरोना के मरीजों को परेशानी तो हो ही रही है, साथ ही दूसरी बीमारियों के मरीजों को भी खासी दिक्कत हो रही है. ऐसे परेशान मरीज हैं डायलिसिस मरीज.

कोरोना की वजह से डायलिसिस मरीजों को हो रही है परेशानी

एम्स ने किया मना, प्राईवेट के पैसे नहीं

बता दें कि सोनीपत के रहने वाले प्रवीण पिछले कई सालों से नरेला में रह रहे हैं और एलआईसी एजेंट का काम करते हैं. दो साल पहले प्रवीण की बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिसके वजह से उनकी किडनी खराब हो गई. तब एम्स में इलाज शुरू हुआ. दो साल तक तो सब कुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन एक सप्ताह पहले फिर तबीयत खराब हुई तो सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने की वजह से मैक्स अस्पताल में गए. वहां डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दी. पहले तो खर्च 5 हजार बताया लेकिन भर्ती होने के बाद बिल कई गुणा ज्यादा बन गया. एक बार तो प्रवीण ने किसी तरह से पैसे का इंतजाम कर लिया, लेकिन डॉक्टर अब हर दूसरे दिन डायलिसिस के लिए कहने लगे और इसके लिए उनके पास पैसे नहीं है. अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि डायलिसिस के लिए कहां जाएं.

सरकार से निशुल्क सुविधा देने की मांग

ईडब्लयूएस मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि मरीजों को सप्ताह में तीन तीन दिन डायलिसिस की सलाह तो दी जाती है. लेकिन सरकार की तरफ से इसकी निशुल्क सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से मरीज डायलिसिस का पूरा कोर्स नहीं कर पाते और उनकी मौत हो जाती है. उन्होंने मांग की कि सरकार इसे निशुल्क प्रदान करे.

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