नई दिल्ली: दिल्ली के सियासी गलियारों में नई चर्चा छिड़ गई है. मंदिरों के पुजारियों ने वेतन देने की मांग उठा कर राजनीति गर्मा दी है. बड़ी संख्या में मंदिरों के पुजारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर सनातन धर्म की रक्षा और अपनी सैलरी की मांग को लेकर पहुंचे. पुजारियों का कहना है कि दिल्ली सरकार हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं, जिसके चलते सभी लोग इकट्ठा हुए हैं. उन्होंने कहा देश में हिंदुओं के टैक्स से मौलवियों और मौलानाओं को तनख्वाह मिल सकती है, तो फिर मंदिरों में काम करने वाले पुजारियों को सैलरी क्यों नहीं दी जा सकती है.
पुजारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह ने कहा दिल्ली सरकार हिंदू पुजारियों के साथ गलत व्यवहार कर रही है, आने वाली विधानसभा में सनातन धर्म का बोलबाला रहेगा. वहीं अयोध्या हनुमान गढ़ी से सनातन धर्म की आवाज उठाने मंच पर पहुंचे महंत जगदीश दास ने कहा कि तिरुपति बालाजी और माता वैष्णो देवी के कोष से मौलवियों को सैलरी दी जा रही है. उन्होंने कहा दिल्ली के मुख्यमंत्री का घेराव करने के लिए आज हजारों लोग पहुंचे हैं. यदि सरकार ने सनातनियों की मांग नहीं मानी तो आने वाले समय में लाखों की संख्या में लोग मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे.
मुख्यमंत्री पर धोखेबाज़ी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने गुरु के साथ धोखा कर सकता है, वैसे लोग हिंदू समाज और मंदिरों में काम करने वाले पुजारी को क्या अहमियत देंगे. दिल्ली साधु समाज के अध्यक्ष महंत नवल किशोर ने कहा कि केजरीवाल सरकार हिंदुओं को कमजोर समझ रही हैं. साधु और महात्मा कभी सरकार के आश्रित नहीं रहे हैं, वह परमात्मा पर आश्रित हैं. हिंदुओं के टैक्स का पैसा मस्जिदों के मौलवियों को दिया जा रहा है.
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने आए साधु समाज के लोग ने मीडिया से बातचीत में कहा सैलरी जितनी जरूरी मौलाना और मौलवियों के लिए है, उतनी ही जरूरी मंदिरों में काम करने वाले पुजारी और साधु-संतों के लिए हैं. साधु-संतों का भी पेट होता है, वह भी अपने हक की मांग करने के लिए धरना प्रदर्शन कर सकते हैं. उन्होंने कहा जब तक दिल्ली सरकार मौलाना और मौलवियों के साथ-साथ साधु समाज के लोगों को भी सैलरी नहीं देगी, इसी तरह साधु समाज के लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.
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