नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत में मंगलवार को पश्चिमी दिल्ली नांगलोई थाना क्षेत्र से जुड़े लूट और डकैती के एक मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान आरोपी अमित भंडारी ने अपने वकील के माध्यम से दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी लगाई, जिसे अदालत द्वारा स्वीकार कर लिया गया है. इस मामले में जमानत देने के मुख्य कारण मामले से जुड़े दो मुख्य गवाहों द्वारा आरोपी की पहचान नहीं कर पाना था.
बचाव पक्ष के वकील ने अपनी दलील में कोर्ट से कहा कि आवदेक को झूठे मामले में फंसाया गया है. आवेदक को दिनांक 6/11/2020 को गिरफ्तार किया गया था. जांच अधिकारी द्वारा कोर्ट के समक्ष आरोपपत्र भी पहले ही दाखिल कर दिया गया है. आरोपी के साथ के अन्य सहआरोपी विशाल और राहुल जमानत पर रिहा है, इसलिए आवदेक को भी जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
बचाव पक्ष के वकील ने आगे कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता सतीश कुमार पहचान परेड के दौरान आरोपी को पहचान नहीं पाए है और मुख्य चश्मदीद गवाह भी अपने सीआरपीसी 161 के बयान में बता चुका है कि वो आरोपी को नहीं पहचानता है. वकील ने कोर्ट को ये भी बताया कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप में से एक के भी सबूत कोर्ट के रिकॉर्ड पर दर्ज़ नहीं है. जांच अधिकारी एसआई दिनेश ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में दो मुख्य गवाह है, जिनका नाम सतीश कुमार और अरुण भारद्वाज है. उन्होंने खुद आरोपी को पहचान पाने से इंकार कर दिया है.
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सरकारी वकील ने अपने बयान में कहा कि आरोपी अमित भंडारी को दिनांक 6/11/2020 को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद से वह अन्य कई मामलों में भी जेल में बंद है. अतरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीष खुराना ने सभी पक्षो को सुनने के बाद आरोपी को 20 हज़ार के मुचलके पर जमानत दे दी और अपने निर्णय में कहा कि आरोपी को सभी शर्तो का पालन करना होगा. साथ ही हर तारीख पर आरोपी को कोर्ट में हाज़िर भी होना होगा.
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