नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस आर्ट्स फैकल्टी के बाहर नॉन टीचिंग स्टाफ पिछले करीब 7 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. उनका आरोप है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में जो लाइब्रेरियन, लैब, वॉचमैन समेत सारा नॉन टीचिंग स्टाफ है. वह कई सालों से काम कर रहा है लेकिन ना तो उनकी सैलरी बढ़ी है, और ना ही उन्हें प्रमोशन दिया जा रहा है.
नॉन टीचिंग स्टाफ ने उठाई मांगे
दिल्ली यूनिवर्सिटी और कॉलेज कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष शालू वाधवा ने कहा कि इससे पहले भी तमाम लाइब्रेरियन आरआर रूल को लेकर कई दिनों तक हड़ताल पर बैठे थे. लेकिन तब भी हमें केवल आश्वासन दिया गया और हमारी मांगे नहीं पूरी की गई. जिसके बाद अब यूनिवर्सिटी और कॉलेज का पूरा नॉन टीचिंग स्टाफ अपनी मांगों को लेकर यहां धरने पर बैठा है. जिसमें कॉन्ट्रैक्ट वाले साथी भी अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नहीं दी जाती मेटरनिटी लीव
शालू भादवा का कहना था कि नॉन टीचिंग स्टाफ के साथ बेहद ही बुरा व्यवहार यूनिवर्सिटी और कॉलेज में किया जाता है. जबकि वह 10-15 सालों से काम कर रहे हैं. लेकिन ना तो उन्हें परमानेंट किया जाता है, और ना उन्हें प्रमोशन दिया जाता है. यहां तक कि जो महिला स्टाफ है उन्हें मेटरनिटी लीव तक नहीं दी जाती है. और अगर वह छुट्टी लेते हैं तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है.
साल में मिलती हैं केवल 10 छुट्टियां
दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे नवीन मनचंदा ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने हमसे इतने सालों तक काम लिया. लेकिन परमानेंट करने की बारी आई तो दूसरा स्टाफ रख लिया गया. हम बिना छुट्टी के इतने सालों तक यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में काम करते आ रहे हैं.
केवल 10 छुट्टियां साल में दी जाती हैं. इन सब समस्याओं को लेकर हम दिल्ली हाईकोर्ट तक गए हैं. लेकिन हमारी मांगों को लेकर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है.