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हिंसा पीड़ित परिवारों की मदद कर रही मौजपुर सिविल सोसाइटी, खुद जुटाया फंड

लॉकडाउन के दौरान दिल्ली हिंसा में मारे गए परिवारों की आर्थिक मदद करने के साथ-साथ मौजपुर सिविल सोसाइटी जरूरतमंदों की मदद भी कर रही है. सोसाइटी अब तक 21 परिवारों की मदद कर चुकी है. ईटीवी भारत ने सोसाइटी के अध्यक्ष और समाजसेवी नदीम अहमद से बातचीत की.

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सोसाइटी कर रही हिंसा पीड़ितों की मदद
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Published : May 20, 2020, 7:35 PM IST

नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन में जरूरतमंदों की मदद करने के साथ-साथ उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान मरने वालों के परिवारों की आर्थिक मदद मौजपुर सिविल सोसाइटी कर रही है. सोसाइटी के अध्यक्ष एवं समाजसेवी नदीम अहमद ने बताया कि संस्था अब तक 21 परिवारों की मदद कर चुकी है. सोसाइटी ने लोगों से लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करने और ईद के त्यौहार को बेहद सादगी से मनाने का आह्वान भी किया है.

मौजपुर सिविल सोसाइटी कर रही हिंसा पीड़ितों की मदद

मिलकर जुटाया फंड

उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर और आसपास के जिम्मेदार लोगों ने मिलकर मौजपुर सिविल सोसाइटी का गठन किया है. इसका मकसद फरवरी में हुए दंगों के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों की आर्थिक मदद करना है, ताकि लॉकडाउन के चलते इन्हें किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े. वहीं सोसाइटी के कर्ताधर्ता समाजसेवी नदीम अहमद ने बताता कि इसके लिए सोसाइटी के पदाधिकारियों ने मिलजुलकर फंड जुटाया और दंगा प्रभावित परिवारों की आर्थिक मदद का काम शुरू कर दिया.

सरकार ने दिया पीड़ितों को मुआवजा

सोसाइटी ने अधिकांश को बीस-बीस हजार जबकि कई लोगों को 30 से 40 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता की है. नदीम अहमद ने केजरीवाल सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि अधिकांश यह देखा जाता है कि पीड़ितों को मुआवजा मिलने में समय लगता है या फिर लोग परेशान ही रहते हैं, लेकिन इस मामले में दिल्ली सरकार ने अपनी घोषणा के मुताबिक पीड़ितों को मुआवजा राशि मुहैया करा दी.

सोशल डिस्टेंसिंग का रखे ख्याल

लॉकडाउन बढ़ने और ढील दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी कोरोना को हल्के में न ले और सरकार दके जरिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें. बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही घर से निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क का इस्तेमाल करें और अपने हाथों को बार-बार धोते रहें.

सादगी से मनाएं ईद

नदीम अहमद ने मुस्मिल समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा कि ईद को पूरी सादगी से मनाएं और अपने आसपास रहने वालों की जरूरत का भी ख्याल रखें. कहीं ऐसा न हो कि आपके नए कपड़े पहनने से दूसरे लोगों को तकलीफ हो क्योंकि लंबे समय से लॉकडाउन की वजह से आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं.

नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन में जरूरतमंदों की मदद करने के साथ-साथ उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान मरने वालों के परिवारों की आर्थिक मदद मौजपुर सिविल सोसाइटी कर रही है. सोसाइटी के अध्यक्ष एवं समाजसेवी नदीम अहमद ने बताया कि संस्था अब तक 21 परिवारों की मदद कर चुकी है. सोसाइटी ने लोगों से लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करने और ईद के त्यौहार को बेहद सादगी से मनाने का आह्वान भी किया है.

मौजपुर सिविल सोसाइटी कर रही हिंसा पीड़ितों की मदद

मिलकर जुटाया फंड

उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर और आसपास के जिम्मेदार लोगों ने मिलकर मौजपुर सिविल सोसाइटी का गठन किया है. इसका मकसद फरवरी में हुए दंगों के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों की आर्थिक मदद करना है, ताकि लॉकडाउन के चलते इन्हें किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े. वहीं सोसाइटी के कर्ताधर्ता समाजसेवी नदीम अहमद ने बताता कि इसके लिए सोसाइटी के पदाधिकारियों ने मिलजुलकर फंड जुटाया और दंगा प्रभावित परिवारों की आर्थिक मदद का काम शुरू कर दिया.

सरकार ने दिया पीड़ितों को मुआवजा

सोसाइटी ने अधिकांश को बीस-बीस हजार जबकि कई लोगों को 30 से 40 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता की है. नदीम अहमद ने केजरीवाल सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि अधिकांश यह देखा जाता है कि पीड़ितों को मुआवजा मिलने में समय लगता है या फिर लोग परेशान ही रहते हैं, लेकिन इस मामले में दिल्ली सरकार ने अपनी घोषणा के मुताबिक पीड़ितों को मुआवजा राशि मुहैया करा दी.

सोशल डिस्टेंसिंग का रखे ख्याल

लॉकडाउन बढ़ने और ढील दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी कोरोना को हल्के में न ले और सरकार दके जरिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें. बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही घर से निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क का इस्तेमाल करें और अपने हाथों को बार-बार धोते रहें.

सादगी से मनाएं ईद

नदीम अहमद ने मुस्मिल समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा कि ईद को पूरी सादगी से मनाएं और अपने आसपास रहने वालों की जरूरत का भी ख्याल रखें. कहीं ऐसा न हो कि आपके नए कपड़े पहनने से दूसरे लोगों को तकलीफ हो क्योंकि लंबे समय से लॉकडाउन की वजह से आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं.

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