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बेचने के बजाए कब्रिस्तान में दफनाएं कुर्बानी की खाल- जमीयत उलेमा-ए-हिन्द

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने बकरीद के दिन कुर्बानी के बाद जानवरों की खाल को कब्रिस्तान में दफनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि साजिश के तहत जानवरों की खाल के दाम कम कर दिए गए हैं.

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Published : Aug 11, 2019, 10:07 PM IST

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद ने दिल्ली के मुसलमानों से अपील की है कि बकरा ईद के दिन कुर्बानी के बाद बकरे की खालों को बेचने के बजाए कब्रिस्तान में दफना दें. दरअसल पांच हजार से पचास हजार और उससे कहीं ज्यादा कीमत के कुर्बानी वाले बकरों की खालें (चमड़े) महज दस से पंद्रह रुपए के बीच बिक रही है.

कुर्बानी की खाल दफनाने की अपील

मुस्लिम उलेमाओं का आरोप है कि बकरों की खालों के दाम साजिशन घटाए गए हैं ताकि खालों को बेचकर होने वाले मुनाफे का मदरसों को कोई लाभ न पहुंच सके.

साजिश के तहत कराए गए दाम
शास्त्री पार्क स्थित अल जमीयत उल इस्लामिया फलाह-ए-दारेन में पत्रकार वार्ता के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि 200 से 250 रूपये तक बिकने वाली बकरों की खाल की कीमत महज दस से पंद्रह रुपये तक पहुंच गई है. इससे किसी साजिश की बू आती है.

उन्होंने कहा क्योंकि बकरीद पर ज्यादातर मुसलमान कुर्बानी के जानवर की खालें (चमड़े) मदरसों को देते हैं जिन्हें बेचकर मदरसे वाले उनसे आने वाले पैसों को मदरसे में लगा देते हैं. शायद इसी को देखते हुए किसी सोची समझी साजिश के तहत बकरों की खालों के दाम गिरा दिए गए हैं.

'कब्रिस्तान में दफनाएं जानवरों की खाल'
मौलाना आबिद ने मुसलमानों से कुर्बानी के बाद जानवरों की खालों को बेचने के बजाए कब्रिस्तान में दफनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि कब्रिस्तान में गड्ढे करके जानवारों की खाल वहां दफना दें. हालांकि इस तरह से खालों को दफनाया जाना शरीयत के हिसाब से ठीक नहीं है, लेकिन बड़े नुकसान से बचने के लिए यह किया जा सकता है.

उन्होंने मुसलमानों से यह भी आह्वान किया कि यह सब एक साजिश के तहत मदरसों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से किया जा रहा है. ऐसे में मुसलमानों को चाहिए कि वह खाल ले जाने वाले मदरसों के लोगों को कुछ पैसे भी साथ मे दें, ताकि खाल बेचने से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद ने दिल्ली के मुसलमानों से अपील की है कि बकरा ईद के दिन कुर्बानी के बाद बकरे की खालों को बेचने के बजाए कब्रिस्तान में दफना दें. दरअसल पांच हजार से पचास हजार और उससे कहीं ज्यादा कीमत के कुर्बानी वाले बकरों की खालें (चमड़े) महज दस से पंद्रह रुपए के बीच बिक रही है.

कुर्बानी की खाल दफनाने की अपील

मुस्लिम उलेमाओं का आरोप है कि बकरों की खालों के दाम साजिशन घटाए गए हैं ताकि खालों को बेचकर होने वाले मुनाफे का मदरसों को कोई लाभ न पहुंच सके.

साजिश के तहत कराए गए दाम
शास्त्री पार्क स्थित अल जमीयत उल इस्लामिया फलाह-ए-दारेन में पत्रकार वार्ता के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि 200 से 250 रूपये तक बिकने वाली बकरों की खाल की कीमत महज दस से पंद्रह रुपये तक पहुंच गई है. इससे किसी साजिश की बू आती है.

उन्होंने कहा क्योंकि बकरीद पर ज्यादातर मुसलमान कुर्बानी के जानवर की खालें (चमड़े) मदरसों को देते हैं जिन्हें बेचकर मदरसे वाले उनसे आने वाले पैसों को मदरसे में लगा देते हैं. शायद इसी को देखते हुए किसी सोची समझी साजिश के तहत बकरों की खालों के दाम गिरा दिए गए हैं.

'कब्रिस्तान में दफनाएं जानवरों की खाल'
मौलाना आबिद ने मुसलमानों से कुर्बानी के बाद जानवरों की खालों को बेचने के बजाए कब्रिस्तान में दफनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि कब्रिस्तान में गड्ढे करके जानवारों की खाल वहां दफना दें. हालांकि इस तरह से खालों को दफनाया जाना शरीयत के हिसाब से ठीक नहीं है, लेकिन बड़े नुकसान से बचने के लिए यह किया जा सकता है.

उन्होंने मुसलमानों से यह भी आह्वान किया कि यह सब एक साजिश के तहत मदरसों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से किया जा रहा है. ऐसे में मुसलमानों को चाहिए कि वह खाल ले जाने वाले मदरसों के लोगों को कुछ पैसे भी साथ मे दें, ताकि खाल बेचने से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

Intro:दिल्ली में मुसलमानों से अपील की गई है कि वह इस बार कुर्बानी के बकरव की खालों को बेचने के बजाए कब्रिस्तानों में बड़े बड़े गढ्ढे खोदकर उसमें दफना दें, दरअसल पांच हजार से पचास हजार और उससे कहीं ज्यादा कीमत के कुर्बानी वाले बकरों की खालें (चमड़े) महज दस से पंद्रह रुपए के बीच बिक रहे हैं. मुस्लिम उलेमाओं का आरोप है कि बकरों की खालों के दाम साजिशन घटाए हुए हैं ताकि खालों को बेचकर होने वाले मुनाफे का मदरसों को कोई लाभ न पहुंच सके.


Body:शास्त्री पार्क स्थित अल जमीअत उल इस्लामिया फ़लाह ए दारेन में पत्रकार वार्ता के दौरान जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि दो सौ ढाई सौ रुपए की कीमत वाली बकरों की खालों की कीमत महज दस से पंद्रह रुपये तक पहुंच गई, इससे किसी साजिश की बू आती है. उन्होंने कहा क्योंकि बकरीद पर ज्यादातर मुसलमान कुर्बानी के जानवर की खालें (चमड़े) मदरसों को देते हैं जिन्हें बेचकर मदरसे वाले उनसे आने वाले पैसों को मदरसे में लगा देते हैं. शायद इसी को देखते हुए किसी सोची समझी साजिश के तहत बकरों की खालों के दाम गिरा दिए गए हैं.
मौलाना आबिद ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वह इस बार कुर्बानी के जानवरों की खालों को बेचने के बजाए कब्रस्तानों में बड़े बड़े गड्ढे करके उन्हें वहां दफना दें.हालांकि इस तरह से खालों को दफनाया जाना शरीयत के हिसाब से ठीक नहीं है, लेकिन बड़े नुकसान से बचने के लिए छह किया जा सकता है.
उन्होंने मुसलमानों से यह भी आह्वान किया कि क्योंकि यह सब एक साजिश के तहत मदरसों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से किया जा रहा है ऐसे में मुसलमानों को चाहिए कि वह खाल ले जाने वाले मदरसों के लोगों को कुछ पैसे भी साथ मे दें, ताकि खाल बेचने से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.



Conclusion:प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए जमीअत उलेमा ए हिंद, दिल्ली के अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी .....

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मुफ़्ती मौहम्मद हारून
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